यह जीडीपी वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने जो अनुमान लगाया था, उससे भी कम जीडीपी यह बताता है कि अर्थव्यवस्था वाकई बहुत ही बुरी हाल में है।
क्या कहा था रिज़र्व बैंक ने?
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 8 अगस्त को अप्रैल-सितंबर के दौरान अर्थव्यवस्था के 5.8-6.6 फ़ीसदी की दर से बढ़ने की उम्मीद जताई थी। हालाँकि यह उसके जून की 6.4-6.7 फ़ीसदी के अनुमान से भी कम थी। भारतीय रिज़र्व बैंक ने 4 अक्टूबर को इस वित्तीय वर्ष की अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर जारी की। उसने जीडीपी वृद्धि दर में कटौती कर दी है। आरबीआई ने इसे 6.9 प्रतिशत से कम कर 6.1 प्रतिशत कर दिया है।
सही था स्टेट बैंक?
देश के सबसे बड़े भारतीय बैंक स्टेट बैंक ने 12 नवंबर को अपनी रिपोर्ट जारी की। इस सरकारी बैंक ने अपनी ताज़ा रपट में कहा है कि चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी छमाही में सकल घरेल उत्पाद की वृद्धि दर घट कर 4.2 प्रतिशत पर आ सकती है।
बैंक का कहना है कि गाड़ियों की कम बिक्री, हवाई यात्रा में गिरावट, कोर सेक्टर की बदहाली और निर्माण व ढाँचागत सुविधाओं के क्षेत्र में कम निवेश की वजह से ऐसा होने की संभावना है। अगले वित्तीय वर्ष में विकास दर 6.1 प्रतिशत से गिर कर 5 प्रतिशत पर आ जाएगा।
स्टेट बैंक ने अपनी रपट में कहा है कि इस साल सितंबर में अर्थव्यवस्था के 33 बड़े इन्डीकेटर सिर्फ़ 17 प्रतिशत कामकाज ही दिखा रहे थे। ये इन्डीकेटर साल 2018 के अक्टूबर महीने में 85 प्रतिशत कामकाज पर थे।
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