सरकार ने बार-बार कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था बिल्कुल ठीक है और किसी तरह का कोई संकट नहीं है। लेकिन इसके उलट कई विदेशी संस्थाओं, रेटिंग एजेन्सियों और वित्तीय संस्थानों ने बार-बार कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था सुस्त हो चुकी है। ताजा घटनाक्रम में अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी मूडीज़ इनवेस्टर सेवा ने शुक्रवार को भारत की रेटिंग में कटौती कर दी है। इसने भारत की रेटिंग को 'स्टेबल' से गिरा कर 'निगेटिव' कर दिया है।
लेकिन इसके साथ ही मूडीज़ ने भारत की रेटिंग 'बीएए2' को बरक़रार रखा है।
रेटिंग क्यों की 'निगेटिव'?
आख़िर मूडीज़ ने क्यों भारत की रेटिंग को निगेटिव कर दिया है, यह सवाल तो उठता ही है। हालाँकि सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उससे पहले की तुलना में कम समय तक सुस्त रहेगा। लेकिन दूसरी ओर, भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था लगातार कमज़ोर होती जा रही है, रोज़गार के मौके कम बन रहे हैं और हाल-फ़िलहाल नकदी संकट बढ़ा है। इन वजहों से पूरी अर्थव्यवस्था के और धीमी होने की आशंका बढ़ गई है।
सरकार का इनकार
सरकार ने मूडीज़ की आशंकाओं को सिरे से खारिज कर दिया है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि भारत सबसे ज़्यादा तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में एक है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी स्थिति में कोई गिरावट नहीं आई है।
मूडीज़ ने यह भी कहा है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान इसमें सुधार हो सकता है और वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत तक पहुँच सकती है। मूडीज ने साफ़ शब्दों में कह दिया कि 8 प्रतिशत वृद्धि दर की संभावना बहुत ही कम है। मूडीज़ का कहना है कि जीडीपी गिरने की कई वजहें हैं, लेकिन ज़्यादातर वजहें घरेलू हैं। ये कारण लंबे समय तक बने रहेंगे।
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