जेटली के मुताबिक़, कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसे वादे किए गए हैं जो देश को तोड़ने का काम करते हैं। जेटली का कांग्रेस पर पलटवार इन्हीं दो मुद्दों पर रहा। आइए बारी-बारी से समझते हैं कि आख़िर अफ़्सपा और देशद्रोह का क़ानून क्या है।
क्या है अफ़्सपा क़ानून
पूर्वोत्तर के राज्यों में सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ़्सपा) को लेकर लंबे समय से विवाद रहा है। 45 साल पहले भारतीय संसद ने अफ़्सपा क़ानून को लागू किया था।
अफ़्सपा के तहत मिलने वाले अधिकार
- अफ़्सपा के तहत सुरक्षा बलों को किसी भी व्यक्ति को बिना किसी वारंट के ग़िरफ़्तार करने का अधिकार है।
- गिरफ़्तारी के दौरान सुरक्षा बलों के जवानों के द्वारा उसके ख़िलाफ़ किसी भी तरह के बल का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- बिना वारंट किसी के घर में घुसकर उसकी तलाशी लेने का अधिकार है।
- सुरक्षा बलों को किसी को गोली मारने तक का अधिकार है।
- किसी भी वाहन को रोक कर उसकी तलाशी लेने का अधिकार भी सुरक्षा बलों को मिला हुआ है।
अफ़्सपा को लेकर विवाद
पिछले कुछ सालों में अफ़्सपा की काफ़ी आलोचना हुई है। अफ़्सपा को लेकर मानवाधिकार, अलगाववादी संगठन और राजनीतिक दल सवाल उठाते रहे हैं। उनका तर्क है कि इस क़ानून से जनता के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। अफ़्सपा क़ानून के बारे में कोई भी बात इरोम शर्मिला के ज़िक्र के बिना अधूरी है। इरोम शर्मिला मणिपुर से अफ़्सपा क़ानून को हटाने की माँग को लेकर 2000 से 2016 तक भूख हड़ताल पर रहीं। इरोम महज 28 साल की उम्र में अनशन पर बैठ गई थीं। इरोम ने असम राइफ़ल के जवानों के साथ मुठभेड़ में 10 नागरिकों के मारे जाने के ख़िलाफ़ यह अनशन शुरू किया था। इसके बाद से ही उन्हें नाक में नली लगाकर भोजन दिया जा रहा था।
लेकिन अफ़्सपा के पक्ष में दलील भी दी जाती रही है। कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियाँ होने की संभावना के चलते यह कहा जाता है कि अफ़्सपा क़ानून के बिना आतंकवादी हमले बढ़ जाएँगे। देश के ख़िलाफ़ किसी तरह की साज़िश से या किसी देशद्रोही गतिविधि से निपटने के लिए एक और क़ानून है, जिसे भारतीय दंड संहिता की धारा 124A के तहत राजद्रोह या देशद्रोह के रूप में परिभाषित किया जाता है। धारा 124A के तहत उन लोगों को ग़िरफ़्तार किया जाता है जिन पर देश की एकता या अखंडता को नुक़सान पहुँचाने का आरोप होता है।
धारा 124A के मुताबिक़, अगर कोई भी शख़्स मौखिक, लिखित या सांकेतिक रूप से सरकार के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने, लोगों को भड़काने की कोशिश करता है या सरकार की अवमानना करता है तो उसे इस धारा के तहत राजद्रोही या देशद्रोही क़रार दिया जाता है।
कन्हैया को देशद्रोह के आरोप में ग़िरफ़्तार कर लिया गया और मुक़दमा चला। वह और उनके कई साथी कई दिनों तक जेल में भी रहे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि दिल्ली पुलिस क़रीब तीन साल बाद इस मामले में चार्जशीट दायर कर पाई।
राजनीति के जानकारों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी इस चुनाव को 'उग्र राष्ट्रवाद' और 'हिंदू कार्ड' के सहारे लड़कर जीतना चाहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के हालिया भाषणों से भी यह बात पूरी तरह साफ़ हो गई है।
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