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महाराष्ट्र: पंकजा मुंडे ने कहा, बीजेपी मुझे निकालना चाहे तो निकाल दे

जिस बात की अटकलें लगाई जा रही थीं, वही हुआ और महाराष्ट्र सरकार की पूर्व मंत्री पंकजा मुंडे ने बीजेपी से बग़ावत का एलान कर दिया। पार्टी से नाराज चल रहे वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे भी सामने आए और उन्होंने कहा कि पंकजा अकेली नहीं हैं और हम सब उनके साथ हैं। खडसे ने कहा कि जो उनके साथ हुआ है, वह पंकजा मुंडे के साथ नहीं होना चाहिए। 

पंकजा ने फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था कि अपने पिता गोपीनाथ मुंडे की जंयती पर वह बड़ा एलान करेंगी और उन्होंने राज्य भर से अपने समर्थकों को बुलाया था। बृहस्पतिवार को पंकजा मुंडे ने शक्ति प्रदर्शन किया। हालाँकि उन्हें मनाने के लिए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल भी पहुंचे और उन्होंने कहा कि आप लोगों की शिकायतें सुनी जाएगी। पाटिल ने कहा कि घर की लड़ाई घर में ही सुलझाएंगे। लेकिन इसका कोई असर नहीं हुआ। 

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पंकजा ने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि पार्टी किसी के बाप की नहीं होती है लेकिन जिन मुट्ठी भर नेताओं को लेकर उनके पिता ने प्रदेश में बीजेपी को एक व्यापक स्वरूप दिया, आज उसी स्वरूप को बिगाड़ने का काम पार्टी के उच्च पदों पर बैठे नेता कर रहे हैं। 

पंकजा मुंडे ने 26 जनवरी को अपने पिता के मुंबई स्थित राजनीतिक कार्यालय को फिर से खोलने की बात कही है। उन्होंने कहा कि 27 जनवरी को वह औरंगाबाद में मराठवाड़ा में अकाल की समस्या को लेकर एक दिन का सांकेतिक उपवास करेंगी। पंकजा की इस घोषणा को इस नजरिये से देखा जा रहा है कि क्या वह बीजेपी के समानांतर संगठन खड़ा करने वाली हैं? क्योंकि उन्होंने अपने भाषण में इस बात का उल्लेख किया है कि उनके पास अब किसी प्रकार का कोई पद नहीं है और ना ही वह किसी बंधन में बंधी हैं। 

पंकजा ने कहा, ‘पार्टी को जो करना है वह करे लेकिन मैं अपने पिता द्वारा तैयार किये गए पार्टी के नेताओं, जिन्हें आज हाशिये पर धकेला जा चुका है, को फिर से एकजुट करूंगी।' उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी बनाने के बारे में आगे देखा जाएगा। 

अपने भाषण में पंकजा ने कहा कि, ‘पार्टी नेता पहले इस बात का पता करें कि मेरे ख़िलाफ़ कौन साज़िश रच रहा है। मेरे ख़िलाफ़ विगत 12 दिनों से मीडिया में लगातार उल्टी-सीधी ख़बरें प्रकाशित कराई जा रही हैं, इसके पीछे कौन है।’ पंकजा ने इशारों ही इशारों में बीजेपी हाईकमान को आड़े हाथों लिया और यह संदेश देने की कोशिश की कि उनके पिता का योगदान बीजेपी को बड़ा करने में वर्तमान नेतृत्व से कहीं ज़्यादा है। 

पंकजा मुंडे ने कहा, ‘जिस समाज और सोशल इंजीनियरिंग के फ़ॉर्मूले को साधकर गोपीनाथ मुंडे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश में पार्टी को बढ़ाया था आज उसे तोड़ा जा रहा है। ग़रीब और वंचित लोगों का पार्टी में प्रतिनिधित्व कम किया जा रहा है।’

एक दर्जन बीजेपी विधायक रहे उपस्थित 

पंकजा के भाषण का आकलन किया जाए और यह कहा जाए कि उन्होंने एक नए संघर्ष के संकेत दिए हैं तो कुछ ग़लत नहीं होगा। उनके मंच पर बीड जिले व मराठवाड़ा से चुनकर आये एक दर्जन विधायक उपस्थित थे। एकनाथ खडसे ने खुलकर कहा कि उन्होंने पार्टी को 40 साल दिए और पार्टी ने उन्हें ही उठाकर हाशिये पर फेंक दिया। मंच पर कही गयी बातों से एक बात स्पष्ट है कि बीजेपी का यह विवाद इतना जल्दी ख़त्म नहीं होने वाला है। एकनाथ खडसे के अलावा पूर्व मंत्री प्रकाश मेहता भी इस दौरान उपस्थित थे। 

पंकजा और खडसे ने पार्टी हाईकमान के सामने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वे हाशिये पर नहीं जाने वाले हैं। साथ ही पार्टी के नाराज लोगों का एक समूह बनाने के बाद अपनी नई रणनीति जाहिर करेंगे। विधानसभा चुनावों में जिस तरह से मंत्रियों के टिकट काटे गए, वहीं से इस विवाद का जन्म हुआ था और अब जब प्रदेश में सरकार नहीं बनी तो ये सभी नेता एक दबाव समूह तैयार करने का काम कर रहे हैं। 

कुछ ही दिन पहले पंकजा मुंडे ने ट्विटर पर अपने बायो से बीजेपी से जुड़ा परिचय हटा लिया था। पंकजा ने फ़ेसबुक पोस्ट लिखकर कहा था कि वर्तमान राजनीतिक हालात में भविष्य के बारे में फ़ैसला करने की ज़रूरत है। तभी से इस बात की अटकलें लग रही थीं कि पंकजा पार्टी छोड़ सकती हैं। पंकजा के बग़ावत करने से महाराष्ट्र में बीजेपी की मुश्किलें बढ़ेंगी क्योंकि उसके ख़िलाफ़ राज्य में तीन दलों के एक मजबूत गठबंधन की सरकार बन चुकी है। 

छिटक सकते हैं ओबीसी वोट! 

पंकजा मुंडे के पिता गोपीनाथ मुंडे महाराष्ट्र में ओबीसी समुदाय के बड़े नेता थे। मुंडे को इस बात का श्रेय दिया जाता है कि उन्होंने महाराष्ट्र में मराठा राजनीति के प्रभाव को बहुत हद तक बेअसर कर दिया और 1995 में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन की सरकार बनने पर वह उप मुख्यमंत्री बने थे। पंकजा और एकनाथ खडसे की बग़ावत के बाद बीजेपी के लिए राज्य में ओबीसी समुदाय को अपने साथ रखना मुश्किल हो जाएगा। 

फडणवीस के प्रतिद्वंद्वी हैं पंकजा-खडसे

2014 में गोपीनाथ मुंडे के निधन के बाद हुए विधानसभा चुनाव में जब बीजेपी सत्ता में आई तो दिल्ली से नरेंद्र मोदी-अमित शाह की पसंद के नाम पर देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बना दिया गया। पंकजा फडणवीस सरकार में मंत्री बनीं जबकि वह मुख्यमंत्री बनने की सियासी ख़्वाहिश रखती थीं। महाराष्ट्र में ओबीसी समाज के दूसरे बड़े नेता एकनाथ खडसे को भी फडणवीस की उपेक्षा का शिकार होना पड़ा था। जबकि 2014 में खडसे मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। 

पंकजा मुंडे ने ख़ुद के सियासी विस्तार की बहुत कोशिश की लेकिन फडणवीस ने उन्हें मंत्री पद तक ही सीमित कर दिया। अब जब फडणवीस मुख्यमंत्री नहीं हैं और विपक्षी दलों की सरकार राज्य में बन चुकी है, ऐसे में यह माना जा रहा है कि पंकजा मुंडे के लिए अपना विस्तार करने का यह सही समय है। पंकजा को समर्थन देने का एलान करके खडसे ने बीजेपी आलाकमान पर दबाव बढ़ा दिया है। 

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संजय राय

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