पहले मुख्यमंत्री रिलीफ़ फ़ंड में कॉरपोरेट-सोशल रिस्पांसिबिलिटी यानी सीएसआर के प्रावधान को हटाना और अब पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) और जांच किट को उपलब्ध नहीं कराना? क्या कोरोना वायरस से लड़ाई में भी केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव का खेल चल रहा है? या केंद्र सभी शक्तियां अपने हाथों में रखना चाहता है?
केंद्र के इस रवैये के बाद देश के संघीय ढाँचे पर भी सवाल उठाये जाने लगे हैं। ताज़ा मामला महाराष्ट्र का है, जहां बीजेपी सत्ता में नहीं है। यहां कोरोना के सबसे ज़्यादा मामले हैं और केंद्र सरकार से कोरोना से निपटने के लिए जांच और पीपीई किट नहीं मिलने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने सीधे ख़रीद की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
जांच किट ख़रीदने में देरी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी मंगलवार को ट्वीट कर केंद्र सरकार पर हमला बोला है कि वह कोरोना संक्रमण को जांचने के लिए ज़रूरी किट ख़रीदने में देरी कर रही है। 2 अप्रैल को केंद्र सरकार ने पत्र लिखकर राज्यों को निर्देश दिए थे कि वे कुछ नहीं ख़रीदें क्योंकि केंद्र उन्हें सामग्री उपलब्ध कराएगा। लेकिन 12 दिन के इंतज़ार के बावजूद भी जब कोई सामग्री नहीं पहुँची तो महाराष्ट्र सरकार ने ख़रीद की प्रक्रिया शुरू कर दी।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया कि पीपीई किट, एन95 मास्क और वेंटिलेटर्स केंद्र सरकार की तरफ़ से उपलब्ध कराये जाने के आशय के निर्देश आये थे। लेकिन बार-बार आग्रह किये जाने के बावजूद ये सामग्रियां नहीं मिलीं।
टोपे ने कहा कि ये सामग्रियां कोरोना से लड़ाई में महत्वपूर्ण हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को इसकी बहुत ज़्यादा ज़रूरत है। टोपे ने कहा कि राज्य में उत्पादित होने वाले मास्क, किट और वेंटिलेटर्स की गुणवत्ता के लिए नए मानक निर्धारत कर इसका सर्कुलर जारी कर दिया गया है। स्वास्थ्य शिक्षा राज्य मंत्री अमित देशमुख ने बताया कि नए सर्कुलर के तहत अब जिला स्तर पर इन सामग्रियों को खरीदने का अधिकार दिया गया है। सरकार इन सामग्रियों के लिए दर तय करने से जुड़े करार कर रही है।
पीपीई किट्स के लिए 5 तथा एन95 मास्क की आपूर्ति के लिए 4 कंपनियों से समझौता किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री टोपे ने बताया कि इन कंपनियों के साथ यह करार किया गया है कि वे सिर्फ महाराष्ट्र को ही आपूर्ति देंगी। उन्होंने कहा कि राज्य ने केंद्र से 2,142 वेंटिलेटर्स, 3 लाख 14 हजार पीपीई किट, 8 लाख एन95 मास्क और 99 लाख ट्रिपल लेयर मास्क की मांग की है।
राज्य में वर्तमान में 30 हजार पीपीई किट, सरकारी और महात्मा ज्योतिबा फुले आरोग्य योजना से संलग्न रुग्णालयों को मिलाकर 3 हजार से ज्यादा वेंटिलेटर, 3 लाख एन95 मास्क और 25 लाख ट्रिपल लेयर मास्क उपलब्ध हैं। लेकिन राज्य में कोरोना वायरस के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए मरीजों की देखभाल में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को पीपीई किट और एन-95 मास्क की बहुत जरूरत है, इसलिये केंद्र से भी मांग की गई है।
नहीं मिली जांच किट
उधर, आईसीएमआर की ओर से 20 दिन में चार बार टेंडर जारी करके और पांच कंपनियों से करार करके 31 लाख किट्स का ऑर्डर दिया जा चुका है। हर ऑर्डर में भारत की शर्त थी कि किट्स सप्ताह भर में मिलनी शुरू हो जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, बार-बार कहने के बाद भी एक भी जांच किट नहीं मिली है।
जांच को लेकर देश आज भी लॉकडाउन से पहले वाली स्थिति में है। हर रोज 219 प्रयोगशालाओं में औसतन 15.7 हजार जांच की जा रही हैं। अब तक दो लाख से ज़्यादा सैंपल की जांच हो चुकी है। प्रति 10 लाख की आबादी पर भारत में 133 लोगों की जांच हो रही है। अन्य देशों में यह आंकड़ा कई गुना ज़्यादा है।
कोरोना वायरस से प्रभावित देश के 354 जिलों में से 101 में 250 से ज्यादा हॉट स्पॉट बनाए गए हैं। हर हॉट स्पॉट में जांच ज़रूरी है। लेकिन वह कब पूरी तरह शुरू होगी, इसका अभी कोई पता नहीं है।
अपनी राय बतायें