अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आते ही महाराष्ट्र में बीजेपी और शिवसेना के बीच का बरसों पुराना हिंदुत्व का प्यार ख़त्म हो गया है। साथ ही गठबंधन का रिश्ता भी तार-तार हो गया है। शिवसेना के साथ सरकार बनाने में आ रही सबसे बड़ी अड़चन हिंदुत्व और ख़ासकर अयोध्या विवाद का पटाक्षेप होते ही कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) दोनों शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने को बेकरार हो गईं हैं। शिवसेना को मुख्यमंत्री पद की कुर्सी की कितनी चाहत है, इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके लिए उसने बीजेपी के साथ तीन दशक पुरानी अपनी दोस्ती को तोड़ दिया।
शिवसेना का होगा सीएम!
ख़बरों के मुताबिक़, महाराष्ट्र में बनने वाली नई सरकार में मुख्यमंत्री शिवसेना का होगा। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे अपने बेटे आदित्य ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं। हालांकि शिवसेना का एक बड़ा धड़ा चाहता है कि उद्धव ठाकरे ख़ुद मुख्यमंत्री पद की कमान संभालें। कांग्रेस और एनसीपी के सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक़, नई सरकार में उपमुख्यमंत्री एनसीपी का होगा और विधानसभा स्पीकर का पद कांग्रेस के खाते में जा सकता है। इसके अलावा शिवसेना और एनसीपी के बीच मुख्य मंत्रालयों का बंटवारा होगा। एनसीपी शिवसेना पर गृह मंत्रालय अपने पास रखने का दबाव बना सकती है। सूत्रों के मुताबिक़, आठ-आठ मंत्री शिवसेना और एनसीपी के होंगे जबकि कांग्रेस के छह मंत्री हो सकते हैं।एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने शिवसेना के सामने यह शर्त रखी थी कि अगर उसे सरकार बनाने के लिए एनसीपी और कांग्रेस का समर्थन चाहिए तो सबसे पहले उसे केंद्र की मोदी सरकार में शामिल अपने मंत्री को इस्तीफ़ा देने के लिए कहना होगा। शरद पवार की शर्त मानते हुए शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने मंत्री को केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा है। मोदी सरकार से शिवसेना के मंत्री का इस्तीफ़ा होते ही कांग्रेस और एनसीपी दोनों शिवसेना के साथ सरकार में शामिल होने के मुद्दे पर सिर जोड़ कर बैठ गए हैं।
शरद पवार ने मुंबई में एनसीपी की कोर कमेटी के नेताओं की बैठक बुलाकर कई घंटे तक चर्चा की तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपने आवास 10, जनपथ पर कार्यसमिति की बैठक बुलाकर कई घंटे तक इस बात पर चर्चा की कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने का क्या राजनीतिक नफ़ा-नुक़सान हो सकता है।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद महाराष्ट्र मामलों के प्रभारी महासचिव मलिकार्जुन खड़गे ने बताया कि कार्यसमिति की बैठक में महाराष्ट्र को लेकर लंबा विचार-विमर्श हुआ है। बैठक में यह तय हुआ कि पार्टी आलाकमान महाराष्ट्र के नेताओंं के साथ इस मुद्दे पर चर्चा करके आगे की रणनीति तय करेगा। खड़गे ने साफ़ कर दिया कि महाराष्ट्र के नेताओं से विचार-विमर्श के बाद ही कांग्रेस आलाकमान महाराष्ट्र में बनने वाली नई सरकार में कांग्रेस की भूमिका के बारे में अपने फ़ैसले का ऐलान करेगा।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद यह लगभग साफ़ हो गया है कि कांग्रेस महाराष्ट्र में बनने वाली शिवसेना और एनसीपी की सरकार को समर्थन देगी। कांग्रेस को सिर्फ़ यह तय करना है कि वह सरकार को बाहर से समर्थन देगी या फिर सरकार में शामिल होगी।
बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में जीते कांग्रेस के सभी 44 विधायक सरकार में शामिल होने के पक्ष में हैं। कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई भी सरकार में शामिल होने के पक्ष में है। महाराष्ट्र के नेताओं का तर्क यह है कि अगर पार्टी सरकार में शामिल नहीं होती है तो कांग्रेस के विधायकों में टूट हो सकती है और विधायकों का एक बड़ा धड़ा टूट कर बीजेपी में शामिल हो सकता है। इससे पहले गोवा में ऐसा हो चुका है। इसी आशंका के मद्देनज़र महाराष्ट्र इकाई और राज्य के विधायक आलाकमान पर सरकार में शामिल होने का दबाव बना रहे हैं।
वहीं, कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के कुछ देर बाद ही एनसीपी की कोर कमेटी की बैठक मुंबई में ख़त्म हुई। बैठक के बाद एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बताया कि क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर चुनाव लड़ा था, इसलिए जो भी फ़ैसला होगा संयुक्त रूप से होगा। मलिक के बयान से यह लगभग साफ़ हो गया है कि कांग्रेस भी सरकार में शामिल होगी।
मलिक ने यह साफ़ कर दिया है कि एनसीपी नई सरकार के गठन के बारे में अपने फ़ैसले का ऐलान कांग्रेस के साथ सलाह-मशविरा करके ही करेगी। इसलिए जब तक कांग्रेस अपनी महाराष्ट्र इकाई के नेताओं से सलाह-मशविरा करके किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती है, तब तक एनसीपी भी अपने फ़ैसले का ऐलान नहीं करेगी। कांग्रेस के फ़ैसला करने के बाद एनसीपी दोबारा बैठक करेगी और उसके बाद अपने फ़ैसले का ऐलान करेगी। मलिक ने साफ़ किया है कि शिवसेना के साथ सरकार बनाने के मसले पर जो भी फ़ैसला होगा वह एनसीपी और कांग्रेस मिलकर लेंगी।
मलिक ने कहा कि शिवसेना के मंत्री अरविंद सावंत ने केंद्र सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया है। सावंत ने भी कहा है कि शिवसेना ने एनडीए से नाता तोड़ लिया है। इसलिए, अब उसके साथ सरकार बनाने में न एनसीपी को दिक्कत हो सकती है और ना ही कांग्रेस को दिक्कत होनी चाहिए।
राज्यपाल ने शिवसेना को उसके हक़ में 145 विधायकों की लिस्ट सौंपने के लिए सोमवार शाम 7:30 बजे तक का समय दिया है। कांग्रेस ने 4:00 बजे महाराष्ट्र इकाई के नेताओं की बैठक बुलाई है। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने उम्मीद जताई है कि 7:30 बजे से पहले तक नई सरकार को लेकर तसवीर साफ़ हो जाएगी।
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