राष्ट्रवादी कांग्रेस के गढ़ ठाणे, सोलापुर, सातारा, कोल्हापुर में चुनाव से पहले ही भारी भगदड़ मची हुई है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतने बड़े नुक़सान की भरपाई शरद पवार कैसे कर पाएँगे?
भीमा कोरेगाँव में 1 जनवरी 2018 को हुई हिंसा, उससे जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी के पीछे अर्बन नक्सल और अब आतंकवादी नेटवर्क की जो बात पुलिस कह रही है, उसके मायने बेहद गंभीर हैं।
महाराष्ट्र में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन में मुख्यमंत्री कौन होगा?, एक ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका उत्तर ना तो उद्धव ठाकरे ने कभी खुलकर दिया है ना ही मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडनवीस ने।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचने के साथ-साथ क्या अब सरकार की नज़रें देश में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के पास पड़ी 17 लाख एकड़ अतिरिक्त ज़मीन पर लगी हैं? बाबा रामदेव को महाराष्ट्र सरकार सस्ती ज़मीन क्यों दे रही है?
डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में बार-बार जाँच एजेंसियों को देरी या निष्क्रियता को लेकर डाँट लगाती रही अदालत ने अब सत्ताधारी दल और सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा क्या राज्य सरकार राज्य में ऐसा ही चलते रहने देना चाहती है?
प्रधानमंत्री मोदी की स्मार्ट सिटी की घोषणा को छोड़ दें तो उससे पहले भी मुंबई को कभी हांगकांग तो कभी शंघाई बनाने के सपने दिखाए गए। क्या बारिश के पानी में डूबा शहर स्मार्ट सिटी बन सकता है?
शिवसेना को यह दुख हमेशा सालता रहा है कि जिस बीजेपी ने राज्य में शिवसेना का हाथ थाम कर अपनी ज़मीन मज़बूत की, अब वही शर्तों की राजनीति कर रही है। क्या फिर दोनों के बीच कड़वाहट आएगी?
महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना ने प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना पर सवाल उठाए हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि राज़्य में विपक्ष की दोनों पार्टियाँ इस पर अभी तक खामोश क्यों हैं?
करोड़ों लीटर पानी खपाकर बीयर बनाने वाले इन कारखानों में इस साल उत्पादन क़रीब 14 फ़ीसदी बढ़ा है। लोगों को पीने का पानी कम मिल रहा है तो शराब कारोबार को पानी ज़्यादा कैसे मिलने लगा?
महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना मज़बूत स्थिति में हैं। कांग्रेस आज असमंजस में और कमज़ोर है। तो क्या फिर भी शरद पवार राजनीति की कांग्रेस संस्कृति को लेकर कोई बड़ा निर्णय लेने की योजना बना रहे हैं?
महाराष्ट्र में सूखे के कहर से चौतरफ़ा कोहराम मचा हुआ है। राज्य के 26 ज़िलों में सूखे की स्थिति है। पीने के पानी की किल्लत तो है ही किसानों की पूरी फ़सल बर्बाद हो गई है। तो कौन है इसका ज़िम्मेदार?