दो दिन पहले जाने-माने पत्रकार आशुतोष को किसी ने फ़ोन पर धमकी दी कि वह यदि उनको कहीं राह चलते मिल गए तो वह उन्हें जान से मार डालेगा। ऐसे में अब आशुतोष को क्या करना चाहिए?
आज वही तोलस्तोय कठघरे में हैं जिन्हें महात्मा गाँधी अपना 'आध्यात्मिक गुरु' मानते थे। बाम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस सारंग कोतवाल ने वेरनॉन गोंजाल्विस से सवाल किया कि उन्होंने 'दूसरे देश के युद्ध की किताब' अपने घर में क्यों रखी है।
ऐसे में एक मासूम युवा अगर मुझे देश का दुश्मन मान ले और फ़ोन पर जान से मारने की धमकी दे या देशभक्ति के जज़्बे में आकर मुझे गोली मार दे तो इसके लिये कौन ज़िम्मेदार होगा?
आज कहीं आपातकाल नहीं लगा है फिर भी जम्मू-कश्मीर में संवैधानिक और मौलिक अधिकार निलंबित हैं। इससे बुरा यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने इन अधिकारों को लागू करने वाले संवैधानिक उपायों को भी छीन लिया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय में शहीद भगत सिंह और नेताजी की मूर्तियों को वी डी सावरकर की मूर्ति के साथ एक ही पीठिका पर रखने का दुस्साहस किया गया। क्या भगत सिंह और नेताजी से सावरकर की तुलना की जा सकती है?
कुछ ही दिनों में गाँधीजी की 150वीं जयंती आने वाली है और प्रधानमंत्री मोदी समेत सभी बड़े नेता उनको याद कर दावा करेंगे कि वे गाँधीजी के ही बताए मार्ग पर चल रहे हैं। क्या वे जम्मू-कश्मीर के मामले में ऐसा कर रहे हैं?
जिस विशाल जनसंख्या को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल तक डेमोग्राफ़िक डिविडेंड बता रहे थे, अब उसे वे डेमोग्राफ़िक डिजास्टर बता रहे हैं। ऐसा क्यों? क्या कुछ महीने या साल में स्थिति इतनी बदल गई?
भारत-पाकिस्तान के बीच हालात ठीक नहीं हैं। सवाल यह उठता है कि यदि वाक़ई युद्ध छिड़ जाए तो इसका क्या हश्र होगा? क्या इसका नुक़सान दोनों देशों को नहीं होगा?
एनडीए के घटक दलों ने समान नागरिक संहिता बनाने की माँग शुरू कर दी है। बीजेपी ख़ुद अर्से से इसकी माँग करती रही है। तो क्या अब समान नागरिक संहिता की बारी है?
क्या भारत का विभाजन टाला जा सकता था? अंत-अंत तक जिन्ना की इच्छा यही थी कि हिंदुस्तान और पाकिस्तान एक महासंघ का हिस्सा बनकर रहते। लेकिन नेहरू-पटेल जैसे कांग्रेसी नेता इस पर क्यों तैयार नहीं थे?