राजस्थान की पुलिस ने अदालत के सामने सारा मामला इतने लचर-पचर ढंग से पेश किया कि सभी अभियुक्त बरी हो गए यानि पहलू ख़ान को किसी ने नहीं मारा। वह अपने आप मर गया।
कुछ गाँधीवादियों ने अनुच्छेद 370 में फेरबदल और इसके बाद जम्मू-कश्मीर में बनी परिस्थितियों को लेकर सरकार को संबोधित करते हुए बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने सरकार की आलोचना की है।
भारत के विभाजन से पहले परिस्थितियाँ कैसी थीं? क्या बँटवारे को टाला जा सकता था? पहली बार पाकिस्तान की माँग जिन्ना ने नहीं उठाई थी, लेकिन जिसने पाकिस्तान नाम दिया उसको देश क्यों निकाला गया?
आज़ादी की लड़ाई के लिए कांग्रेस भी लड़ रही थी और मुसलिम लीग भी। एक समझौते के बाद दोनों साथ आए। लेकिन फिर इसमें दरार पड़ गई। आज़ादी के लिए लड़ रहे थे तो क्यों टूटी कांग्रेस और मुसलिम लीग की 12 साल पुरानी दोस्ती?
यह कहना कि जिन्ना ही पार्टिशन के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार थे, पूरी तरह ग़लत होगा। कारण यह कि अव्वल तो यह बँटवारा जिस दो क़ौमों के सिद्धांत के आधार पर हुआ था, वह जिन्ना का नहीं था।
कश्मीर में काफ़ी ज़्यादा हलचल है। सबकी निगाह इस बात पर लगी है कि क्या कश्मीरियत बहाल होगी, क्या कश्मीर में हालत सामान्य होंगे और क्या फिर से वादी-ए-कश्मीर जन्नत बन पायेगी?
क्या अब्दुल्ला और मुफ़्ती परिवार ही ज़िम्मेदार हैं? राजा हरि सिंह ने 15 अगस्त 1947 के पहले कश्मीर का भारत में विलय क्यों नहीं किया, स्वायत्तता की माँग क्यों की? दूसरे पक्ष को क्यों नहीं देखा जा रहा है?
अनुच्छेद 370 में फेरबदल किए जाने से कश्मीरी महिलाओं व लड़कियों को निशाने पर क्यों लिया जा रहा है। इनको लेकर जो कुंठा सामने आ रही है, वह सामान्य नहीं है। यह डराने वाली स्थिति है।
अनुच्छेद 370 में फेरबदल के बाद यह आशंका जतायी जा रही है कि पाकिस्तान घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने की बड़ी साज़िश रच सकता है। पाकिस्तान बुरी तरह से छटपटा रहा है लेकिन क्या वह ऐसा करने में सक्षम है?
भारत ने कश्मीर पर एक बड़ा फ़ैसला करने के बाद से पाकिस्तान द्वारा किए जाने वाले हंगामे और राजनयिक संबन्धों पर उठाए गए क़दमों की प्रतिक्रिया बहुत ही संयत ढंग से क्यों दी है?
करो या मरो! 1942 की अगस्त क्रांति का यही नारा था जिसने दूर दिखाई पड़ रही आज़ादी की भोर को अगले पाँच साल में हक़ीक़त बना दिया। इस क्रांति के साथ एक सपना भी जुड़ा था जिसे 79 साल बाद आज ज़मींदोज़ होते देखा जा रहा है।
क़रीब एक सौ चौंतीस साल पुरानी कांग्रेस 2014 और 2019 की हार के कारण सन्निपात की स्थिति में पहुँच गई है। एक पार्टी के तौर पर यह इतनी विचलित पहले कभी नज़र नहीं आयी। क्या हिंदू राष्ट्रवाद के भँवर में फँसकर ऐसी स्थिति में कैसे पहुँच गई?
आम्बेडकर ने क्यों लिखा था कि मुझे लगता है कि हमें कश्मीर के बजाय पूर्वी बंगाल पर ज़्यादा ध्यान देना चाहिए, जिसके बारे में हमें अख़बारों से पता चल रहा है कि वहाँ हमारे लोग बहुत ख़राब परिस्थितियों में रहे हैं?