चीन बड़े पैमाने पर बढ़ रहे अपने उद्योग के लिए कच्चे माल की ज़रूरतों को पूरा करने के लालच से लद्दाख पर नज़रें गड़ाए हुए है। गलवान घाटी, पैंगोंग त्सो, डेमचोक, फाइव फिंगर्स आदि में हालिया चीनी घुसपैठ का असली कारण यही है।
आख़िर भारतीय दिग्गज़ खिलाड़ी देश के संवेदनशील मुद्दों पर कुछ क्यों नहीं बोलते हैं? वे विवादास्पद मुद्दों पर ऐसा रवैया अपनाते हैं मानो उन्हें कुछ पता ही नहीं है। लेकिन क्यों?
ख़बर है कि डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मुंबई स्थित घर ‘राजगृह’ पर तोड़फोड़ की गई है। यह घटना 7 जुलाई की है। जहाँ गमले तो तोड़े ही गए, सीसीटीवी कैमरे भी तोड़ डाले गए।
गत पांच जुलाई को भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी के बीच बातचीत के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा पर
ट्रम्प तो किसी की सलाह की परवाह नहीं करते पर हमारे प्रधानमंत्री को तो कोई बताता ही होगा कि उनके कट्टर समर्थकों के अलावा भी देश में जो जनता है वह उनकी छवि को लेकर इस समय क्या सोच रही है!
आकाशीय बिजली गिरने से सबसे अधिक मौत जहां महाराष्ट्र के मराठवाड़ा अंचल में दर्ज हैं, वहीं मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के किसान और आदिवासी भी बड़ी संख्या में इसके शिकार होते हैं।