कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल द्वारा गांधी परिवार पर तंज कसे जाने के बाद उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं के ही भारी विरोध का सामना करना पड़ा है। पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने बुधवार रात को उनके घर के बाहर प्रदर्शन किया। वे हाथों में 'गेट वेल सून कपिल सिब्बल' की तख्तियाँ लिए हुए थे। उन्होंने उनके घर पर टमाटर फेंके। एक रिपोर्ट के अनुसार सिब्बल की कार क्षतिग्रस्त हो गई है। पार्टी कार्यकर्ताओं ने 'पार्टी छोड़ो', 'होश में आओ' और 'राहुल गांधी जिंदाबाद' के नारे लगाए।
ऐसी प्रतिक्रिया तब हुई है जब सिब्बल ने पहले फोन कर पत्रकारों को बुलाया और फिर प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर पंजाब कांग्रेस संकट के बीच नेतृत्व पर कई सवाल उठाए। उनके इस बयान के बाद टीएस सिंह देव सहित कांग्रेस के कई नेताओं ने कपिल सिब्बल की आलोचना की। युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बी वी ने ट्वीट कर उनपर निशाना साधा।
सुनिए 'जी-हुजूर':-
— Srinivas BV (@srinivasiyc) September 29, 2021
पार्टी की 'अध्यक्ष' और 'नेतृत्व' वही है,
जिन्होंने आपको हमेशा संसद पहुंचाया,
पार्टी के अच्छे वक्त में आपको 'मंत्री' बनाया,
विपक्ष में रहे, तो आपको राज्यसभा पहुंचाया
अच्छे-बुरे वक्त में सदैव जिम्मेदारियों से नवाजा..
और जब 'वक्त' संघर्ष का आया, तो...
पार्टी में अध्यक्ष नहीं तो कौन ले रहा है फ़ैसले: सिब्बल
इससे पहले आज दिन में जी-23 नेताओं में गिने जाने वाले सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व पर तंस कसते हुए कहा था कि 'हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है तो हम नहीं जानते हैं कि फ़ैसले कौन ले रहा है। हम जानते हैं और तो भी हम नहीं जानते हैं।' पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने के साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि जी-23 नेता कभी भी पार्टी नहीं छोड़ेंगे और कहीं और नहीं जाएँगे। हालाँकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वे 'जी हुजूर-23' नहीं हैं। पार्टी छोड़कर जाने वालों के बारे में कहा कि जो खुद को क़रीबी बताते थे वे छोड़कर जा रहे हैं।
कपिल सिब्बल उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ख़त लिखा था और पार्टी में आमूलचूल बदलाव लाने की मांग की थी। सबसे प्रमुख मांगों में से एक थी नेतृत्व परिवर्तन की मांग। यह कहकर नेतृत्व बदलने की मांग की गई थी कि पार्टी की बागडोर ऐसे हाथों में सौंपी जाए जो पूरे समय पार्टी के लिए सक्रिय रह कर काम करे।
चिट्ठी लिखने वालों में 23 नेता शामिल थे इसलिए उसे जी-23 कहा जाने लगा। पिछले साल विवाद उठने के बाद से यह मामला आम तौर पर शांत रहा है, लेकिन जब तब यह तूल पकड़ लेता है। अब फिर से कपिल सिब्बल ने इस राग को छेड़ दिया है।
सिब्बल ने कहा, 'मैं उन कांग्रेसियों की ओर से आपसे (मीडिया) बात कर रहा हूँ जिन्होंने पिछले साल अगस्त में ख़त लिखा था और जो अध्यक्ष से लेकर सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति में चुनाव के संबंध में हमारे नेतृत्व द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'
उन्होंने आगे कहा, 'हम वे नहीं हैं जो पार्टी छोड़कर कहीं और जाएँगे। यह विडंबना है। जो उनके (पार्टी नेतृत्व) क़रीब थे, वे चले गए हैं और जिन्हें वे अपने क़रीब नहीं मानते हैं, वे अभी भी उनके साथ खड़े हैं।'
सिब्बल का इशारा जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं की तरफ़ था। इन दोनों नेताओं के अलावा पिछले कुछ सालों में एसएम कृष्णा, सोनिया गांधी के क़रीबी रहे टॉम वडक्कन, रीता बहुगुणा जोशी, जगदंबिका पाल, अशोक तंवर, सुष्मिता देव सहित कई नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं।
बहरहाल, सिब्बल ने यह भी कहा, "एक बात सबके लिए स्पष्ट होनी चाहिए। हम 'जी हुजूर-23' नहीं हैं। हम बात करते रहेंगे। हम अपनी मांगों को दोहराते रहेंगे... देश के हर कांग्रेसी नेता को सोचना चाहिए कि पार्टी को कैसे मज़बूत किया जा सकता है। जो चले गए हैं उन्हें वापस आना चाहिए क्योंकि कांग्रेस ही इस गणतंत्र को बचा सकती है।"
उन्होंने पंजाब में पार्टी के संकट का ज़िक्र करते हुए कहा, 'एक सीमावर्ती राज्य जहाँ कांग्रेस पार्टी के साथ ऐसा हो रहा है, उसका क्या मतलब है? यह आईएसआई और पाकिस्तान के लिए फायदेमंद साबित होगा। हम पंजाब के इतिहास और वहां उग्रवाद के उभार को जानते हैं... कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे एकजुट रहें।'
सिब्बल का यह बयान तब आया है जब पंजाब कांग्रेस में संकट चल रहा है। एक समय जब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया और चन्नी नये मुख्यमंत्री बन गए तो सबकुछ सामान्य होता नज़र आ रहा था। लेकिन नये मंत्रिमंडल के गठन के कुछ दिनों बाद ही नवजोत सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देकर चौंका दिया। उनके समर्थन में एक मंत्री और तीन अन्य नेताओं ने पार्टी के पदों से इस्तीफ़ा दे दिया है।
वैसे, कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से तनातनी चली रही है। इसी तनातनी के बीच क़रीब 10 दिन पहले अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस हाईकमान ने कैप्टन के पुरजोर विरोध के बाद प्रदेश अध्यक्ष बनाया था। उनके अध्यक्ष बनने के बाद कैप्टन पर और ज़्यादा दबाव बना था। कैप्टन के इस्तीफ़े से पहले पंजाब कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुला ली गई थी। इससे संदेश गया कि कैप्टन के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया गया।
अब पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि सिद्धू से उन्होंने फ़ोन पर बात की है। उन्होंने पंजाब कांग्रेस को एक परिवार के तौर पर पेश करते हुए सिद्धू को परिवार का मुखिया करार दिया। समझा जाता है कि जिन बातों को लेकर सिद्धू को आपत्ति है उनको लेकर दोनों के बीच बातचीत हुई है।
मौजूदा हालात ये हैं कि एक तरफ़ तो सिद्धू को मनाने की कोशिशें की जा रही हैं और दूसरी तरफ़ कैप्टन अमरिंदर सिंह ने दिल्ली में बीजेपी नेता अमित शाह से मुलाक़ात की है। तो सवाल है कि कांग्रेस नेतृत्व इस संकट को कब ख़त्म करा पाएगा और किस तरह से?
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