सोशल मीडिया की बादशाह माने जाने वाली बीजेपी का समय इन दिनों ख़राब चल रहा है। कई फ़ेसबुक पेज और कई ट्विटर हैंडल चलाने वाली बीजेपी इन दिनों यू ट्यूब पर मिल रहे डिसलाइक्स से परेशान है। इन डिसलाइक्स को लेकर राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा भी है।
कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को बीजेपी के यू ट्यूब चैनल पर लगभग डेढ़ लाख लाइक की जगह लगभग साढ़े 8 लाख से ज़्यादा डिसलाइक मिले थे। अब बीजेपी के ही यू ट्यूब चैनल पर फिर से कुछ ऐसा ही हुआ है और पार्टी परेशान है कि आख़िर वह करे तो करे क्या।
4 सितंबर को बीजेपी के यू ट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। लोगों को वीडियो की ओर खींचने के लिए वीडियो की शुरूआत एक इमेज से की गयी, जिसमें लिखा है- कोरोना महामारी में देश वासियों के साथ हर क़दम पर खड़ी मोदी सरकार, इसमें मोदी जी का फ़ोटो भी है। इसके टाइटल में भी यही वाक्य लिखा गया है।
डिस्क्रिप्शन को कैची बनाने के लिए लिखा गया है- ‘ग़रीबी में जीने वाला ही जान सकता है ग़रीबों की पीड़ा।’ इसके अलावा ग़रीबों को मुफ्त राशन, मुफ्त गैस सिलेंडर, जनधन खाते में 500-500 रुपये, अतिरिक्त वृद्धावस्था व विकलांग पेंशन सहित तमाम कामों का जिक्र किया गया है और हैशटैग दिया गया है- आत्मनिर्भर भारत।
वीडियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शान में कसीदे पढ़ते हुए एक बुजुर्ग महिला को एक दुकानदार से यह कहते हुए दिखाया गया है कि वह उसे मुफ़्त राशन दे दे। बुजुर्ग महिला कहती है, ‘तीन महीने से मेरे घर का चूल्हा मोदी जी के कारण जल रहा है, हम ग़रीबों को मोदी जी कब तक झेलेंगे।’ इस पर दुकानदार कहता है- ‘जो ख़ुद ग़रीब परिवार से आया हो, वह किसी को झेलता नहीं है, दूसरों का सहारा बनता है।’
आगे भी इसी तरह के वाक्यों से मोदी जी को ग़रीबों का मसीहा बताया गया है। वीडियो अपलोड करने के बाद बीजेपी की आईटी टीम को उम्मीद रही होगी कि उसका यह वीडियो काफ़ी लोगों को पसंद आएगा लेकिन थोड़ी देर बाद ही यह वीडियो सोशल मीडिया में चर्चा का विषय बन गया। वह इसलिए कि इस वीडियो के साथ भी वही हुआ, जो ‘मन की बात’ वाले कार्यक्रम के वीडियो के साथ हुआ था।
5 सितंबर सुबह के 11 बजे तक इस वीडियो को 2700 लाइक के बजाय 16 हज़ार डिसलाइक मिल चुके थे।
इतना ही नहीं, इस वीडियो के नीचे कमेंट सेक्शन में जितेंद्र कुमार लिखते हैं कि वह वीडियो को डिसलाइक करने इस चैनल पर आते हैं और 2 मिनट बाद फिर से देखते हैं कि कोई और वीडियो अपलोड हुआ या नहीं। इसी तरह दीन की बात वाले एक यूजर ने लिखा है कि वह डिसलाइक करने के लिए मंगल ग्रह से आया है।
ऐसे ही कमेंट कई और लोगों ने भी किए हैं। सौरव कुमार नाम के एक यूजर ने लिखा है कि यह सरकार ग़रीबों और मिडिल क्लास के लिए पूरी तरह असंवेदनशील है। विद्या नाइक नाम की यूजर लिखती हैं कि तीन साल से पेंडिंग पड़े हुए एसएससी और रेलवे के रिजल्ट को सरकार को जारी करना चाहिए।
बीजेपी के लिए बना सिरदर्द
कुल मिलाकर यह बीजेपी के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है कि आख़िर ऐसा क्या हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यू ट्यूब पर लोगों ने नापसंद करना शुरू कर दिया है क्योंकि मोदी की लोकप्रियता नोटबंदी, जीएसटी, आर्थिक मंदी और कोरोना संकट में भी घटती नहीं दिख रही थी तो अब अचानक लोग डिसलाइक क्यों करने लगे हैं।
कुछ लोगों का मानना है कि यह NEET और JEE के परीक्षार्थियों और उनके माता-पिता का गुस्सा है। देश में 26 लाख से ज्यादा परीक्षार्थी NEET और JEE की परीक्षा दे रहे हैं। उन्होंने और कई राज्य सरकारों ने मांग की थी कि कोरोना संक्रमण के बेहद कठिन हालात में केंद्र सरकार को ये परीक्षाएं टाल देनी चाहिए लेकिन केंद्र सरकार नहीं मानी और इन लोगों को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली।
अब बीजेपी कैसे इस मुसीबत से निपटती है, ये देखने वाली बात होगी। क्योंकि बीजेपी सब कुछ कर सकती है लेकिन लोगों को वीडियो लाइक या डिसलाइक करने से नहीं रोक सकती।
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