डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों के लिए एक योजना का जिक़्र आने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिए गए बयान को लेकर सोशल मीडिया पर काफ़ी कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई है। लोगों ने प्रधानमंत्री के इस बयान पर ख़ासी नाराज़गी जताई है।
अविनाश वीरप्पा ने ट्वीट किया, ‘वह इस बात की शर्त लगाते हैं कि प्रधानमंत्री को डिस्लेक्सिया के बारे में कोई जानकारी नहीं है। आख़िर हमने ऐसे व्यक्ति को कैसे अपना प्रधानमंत्री चुन लिया। इस पर मुझे हंसी आती है।’
तेजी सिंह ने ट्वीट किया कि प्रधानमंत्री के बयान पर ताली बजाने वाले भी मुझे रोगी रोगी लग रहे हैं।
रचना अग्रवाल ने ट्वीट किया कि प्रधान सेवक जी डिस्लेक्सिया का मज़ाक बनाना बिल्कुल शोभा नहीं देता।
पेशे से न्यूरोसाइंटिस्ट डॉ. सुमाया शेख़ ने ट्वीट किया कि डिस्लेक्सिया पढ़ने, लिखने और सीखने से संबंधित बीमारी है और यह 3-7 फ़ीसदी लोगों को प्रभावित करती है। प्रधानमंत्री का ऐसा बयान किसी की मानसिक स्थिति का मज़ाक उड़ाने जैसा है।
मिर्जा शब्बीर नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा कि प्रधानमंत्री होकर सड़क छाप जोक्स करेंगे और फिर कुछ बोल दो तो बोलेंगे कि प्रधानमंत्री का सम्मान नहीं करते।
गीता चौहान नाम की ट्विटर यूज़र ने लिखा कि कभी-कभी मोदी जी जुबान पर कंट्रोल नहीं रख पाते हैं, उन्हें अपनी ग़लती स्वीकार करनी चाहिए।
तेज बहादुर यादव ने ट्वीट किया कि ऐसा जवाब कोई मानसिक रूप से विक्षिप्त ही दे सकता है।
सचिन कुमार जैन ने ट्वीट किया कि अफ़सोस है कि भारत के प्रधानमंत्री ने डिस्लेक्सिया से प्रभावित बच्चों का मज़ाक उड़ाया है।
बता दें कि बीते शनिवार को 'स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2019' कार्यक्रम के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में देहरादून की एक छात्रा प्रधानमंत्री को डिस्लेक्सिया की बीमारी से पीड़ितों बच्चों के लिए एक योजना के बारे में बता रही थी।
छात्रा बता रही थी कि उनकी योजना ऐसे बच्चों के लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन प्रधानमंत्री ने छात्रा को बीच में ही रोकते हुए पूछा, 'क्या किसी 40-50 साल के बच्चे के लिए भी यह योजना काम आएगी?।’ मोदी के इतना कहते ही वहाँ मौजूद सभी छात्र-छात्राएँ जोर से हंसने लगते हैं। जवाब में छात्रा कहती है कि हाँ, काम आएगी। लेकिन मोदी यही नहीं रुकते, वह आगे कहते हैं, 'इससे तो ऐसे बच्चों की माँ बहुत खुश हो जाएगी।' जिसके बाद छात्र-छात्राएँ फिर से हंसने लगते हैं।
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