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ट्विटर यूज़रों ने प्रधानमंत्री मोदी को ही 'आंदोलनजीवी' बता दिया!

प्रधानमंत्री मोदी ने 'आंदोलनजीवी' वाला जो बयान दिया है उस पर सोशल मीडिया पर ज़बर्दस्त प्रतिक्रिया आई है। किसी ने प्रधानमंत्री मोदी को आंदोलनों में उनके शामिल होने की तसवीरें ट्वीट की हैं तो किसी ने भगत सिंह से लेकर महात्मा गाँधी तक और दूसरे स्वतंत्रता सैनानियों को याद कर लिखा है कि आंदोलनों की वजह से ही देश आज़ाद हुआ है। किसी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाई है तो किसी ने ख़ुद मोदी को आंदोलन से राजनीतिक करियर बनाने वाला बताया है।

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सोशल मीडिया पर ऐसी प्रतिक्रियाएँ तब आई हैं जब प्रधानमंत्री मोदी संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के आख़िर में जवाब दे रहे थे। इसी दौरान उन्होंने कहा कि इस देश में एक नई जमात का जन्म हुआ है, जिसका नाम है 'आंदोलनजीवी'। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, 'ये लोग ख़ुद आंदोलन नहीं चला सकते हैं, लेकिन किसी का आंदोलन चल रहा हो तो वहाँ पहुँच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं।'

प्रधानमंत्री के संसद में भाषण के बाद शिवसेना नेता संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि 'गर्व से कहो... हम सब आंदोलनजीवी हैं...।' 

शिवसेना की ही एक अन्य नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि देश को अंग्रेज़ों से आज़ादी भी एक आंदोलन से ही मिली थी। 

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि "जिन्होंने अपना राजनीतिक करियर आंदोलन करके बनाया है वह किसानों को नीचा दिखाने के लिए 'आंदोलनजीवी' कह रहे हैं।"

वरिष्ठ पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने एक तसवीर साझा करते हुए लिखा है, 'प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा परिभाषित किए गए 'आंदोलनजीवी' देखे गए।'

रचित सेठ ने एक तसवीर साझा करते हुए लिखा है, 'बैलगाड़ी पर आंदोलन करते और संसद में प्रवेश करते वाजपेयी। आंदोलनजीवी?'

पत्रकार माधवन नारायणन ने लिखा है, 'जब इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया, तो हमने वाजपेयी, जेपी, जॉर्ज फर्नांडीस और आडवाणी को #Andolanjeevis बनते देखा। आज़ादी से पहले आंबेडकर, गांधी और लोहिया की तरह।'

आरटीआई कार्यकर्ता साकेत गोखले ने लिखा है, 'एक आंदोलनजीवी कभी भी तड़ीपारजीवी से अच्छा है।'

किसान आंदोलन से जुड़े रहे और स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि "हाँ, मैं 'आन्दोलनजीवी' हूँ मोदी जी!" अस्पताल में भर्ती योगेंद्र यादव ने एक वीडियो बयान जारी किया है। उसमें उन्होंने कहा है कि वह अस्वस्थ होने की वजह से अस्पताल में हैं और सोशल मीडिया पर लाइव होने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन प्रधानमंत्री ने जिस तरह से संसद में भाषण दिया है उसपर यह ज़रूरी हो गया है। 

प्रधानमंत्री के इस बयान को योगेंद्र यादव जैसे नेताओं पर निशाना साधने के तौर पर देखा गया। यह इसलिए कि जब से यह किसान आंदोलन शुरू हुआ है तब से योगेंद्र यादव किसानों की माँगों को उठा रहे हैं। जब सरकार ने किसान नेताओं के साथ वार्ता शुरू की थी तब उसने सिर्फ़ किसान नेताओं को शामिल किया था और उसमें योगेंद्र यादव शामिल नहीं थे। शायद योगेंद्र यादव के किसान आंदोलन में शामिल होना बीजेपी को खटकता रहा। इसके बावजूद जो किसानों का संयुक्त किसान मोर्चा बना उसमें वह मुख्य प्रवक्ताओं में से एक थे। 

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योगेंद्र यादव ने वीडियो में कहा, 'संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण के गरिमामय जैसे मौक़े पर प्रधानमंत्री ने ऐसी बात कह दी, और एक ऐसी कुटिल मुस्कान के साथ कह दी। और कोई शब्द नहीं है इस तरह की मुस्कान के लिए।' उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि बात तो कहनी पड़ेगी।

यादव ने कहा, 'ये शब्द प्रधानमंत्री बोल रहे हैं! संसद में बोल रहे हैं! इशारा साफ़ था किन लोगों पर था। इतना डरते हैं हमसे। शोभा नहीं देता प्रधानमंत्री जी। बहुत बड़ी कुर्सी पर बैठे हो, मन भले ही छोटा हो।'

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क़मर वहीद नक़वी

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