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वी. के. सिंह जी, आप जवाब देने के बजाए मसखरी पर क्यों उतर आए?

विदेश राज्यमंत्री जैसे अहम ओहदे पर बैठे किसी व्यक्ति से उम्मीद तो यह की जानी चाहिए कि वह देश में किसी मुद्दे पर पूछे जा रहे सवालों का सही जवाब देगा लेकिन अगर जवाब देने के बजाय वह मसखरी करने पर उतर आए तो आप क्या कहेंगे। हम बात कर रहे हैं विदेश राज्यमंत्री वी. के. सिंह की, जिन्होंने ऐसा ही एक ट्वीट कर मसखरी की है या ख़ुद का मखौल उड़ाने का मौक़ा लोगों को दिया है। 

जनरल (रि.) वी. के. सिंह ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘रात 3.30 बजे मच्छर बहुत थे, तो मैंने HIT मारा। अब मच्छर कितने मारे, ये गिनने बैठूँ, या आराम से सो जाऊँ?।’
vk singh statement on terrorist killed on air strike - Satya Hindi
केंद्रीय मंत्री ने किस संदर्भ में यह ट्वीट किया है, यह भी आपको बताते हैं। 
पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से 26 फ़रवरी को बालाकोट में हवाई हमला किया गया था। इस हवाई हमले में कितने आतंकवादी मारे गए, इसकी संख्या को लेकर विवाद हो गया है।
वायु सेना ने कहा है कि आतंकवादियों की संख्या गिनना हमारा काम नहीं है, बीजेपी अध्यक्ष का कहना है कि 250 आतंकवादी मारे गए हैं। इस पर सरकार से बस इतना ही पूछा जा रहा है कि वह हवाई हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या बता दे। क्योंकि इस बारे में कई अंतर्राष्ट्रीय मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वहाँ वैसा नुक़सान नहीं हुआ है, जैसा दावा किया जा रहा है। लेकिन इस सवाल का जवाब देने के बजाय वी. के. सिंह मसखरी पर उतर आए। 
विदेश राज्यमंत्री बनने से पहले वी. के. सिंह भारतीय सेना प्रमुख जैसे बेहद गरिमा वाले पद पर भी रह चुके हैं। इतने बड़े पदों पर रहे व्यक्ति से इस तरह के ट्वीट की क़तई उम्मीद नहीं की जा सकती।

पहले भी देते रहे हैं विवादित बयान

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि वी. के. सिंह ने इस तरह का कोई बेहद सस्ता और हल्का बयान दिया हो। अप्रैल 2015 में वी. के. सिंह ने हिंसाग्रस्त यमन से भारतीयों को निकालने के मिशन की तुलना पाकिस्तान दूतावास के कार्यक्रम में जाने को लेकर की थी। जब इस पर विवाद हुआ तो उन्होंने मीडिया पर ही आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी। जनरल वीके सिंह ने मीडिया को लेकर एक ट्वीट में कहा था, ‘दोस्तों, आप प्रेस्टीट्यूट्स से और क्या उम्मीद कर सकते हैं। पिछली बार टीवी एंकर ने प्रेस्टीट्यूट में अंग्रेजी अक्षर ‘ई’ की जगह 'ओ' (प्रॉस्टिट्यूट) सोच लिया था।’

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अक्टूबर 2015 में सिंह ने बेहद ख़राब बयान दिया था। फ़रीदाबाद के बल्लभगढ़ में दो दलित बच्चों की हत्या के मामले पर टिप्पणी करते हुए सिंह ने कहा था कि हर चीज़ के लिए सरकार ज़िम्मेदार नहीं है, कहीं किसी ने कुत्ते को भी पत्थर मार दिया तो भी क्या सरकार ही ज़िम्मेदार है। उनके इस बयान को लेकर विपक्षी दलों ने उन पर जमकर हमला बोला था और माफ़ी माँगने को कहा था। इस पर वी. के. सिंह को सफ़ाई देनी पड़ी थी। 
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अप्रैल 2018 में इराक के मोसुल में आतंकी संगठन आईएस द्वारा मारे गए भारतीय नागरिकों के परिजनों ने जब वी. के. सिंह से मुआवजे की माँग की थी तो उन्होंने तब भी बेहद ख़राब बयान दिया था। उन्होंने कहा था, 'यह बिस्कुट बाँटने वाला काम नहीं है, मैं अभी कहाँ से एलान करूँ, जेब में कोई पिटारा थोड़ी रखा हुआ है।' विदेश राज्य मंत्री के इस बयान पर यही कहा जा सकता है कि वह बेहद संवेदनहीन व्यक्ति हैं। 

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दो दिन पहले ही वी. के. सिंह ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को जवाब देते हुए देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी। दिग्विजय की ओर से पुलवामा में हुए हमले को दुर्घटना कहे जाने पर वी. के. सिंह ने पूछा था, 'आप बताएँ कि राजीव गाँधी की हत्या, हत्या थी या दुर्घटना? इसका मुझे जवाब दे दें बाक़ी बात बाद में करेंगे।' 

वी. के. सिंह के ट्वीट पर लोगों ने टिप्पणी कर अपनी राय रखी है। 
रोहित गुप्ता ने ट्वीट किया कि आप मच्छर मारकर ढिंढोरा पीट रहे हो और मच्छर मारने के नाम पर वोट भी माँग रहे हो।
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आलोक झा नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा कि यह बात आप अपनी पार्टी के अध्यक्ष को क्यों नहीं बताते, उन्होंने तो 250 का आँकड़ा बताया है।
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विपिन राठौर ने ट्वीट कर सवाल पूछा कि फिर आपके और आपके साहब के होने का क्या फ़ायदा है, जब मच्छर घर में घुस गए?
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मंजुषा नाम की ट्विटर यूज़र ने लिखा कि सीट गिनते-गिनते मोटा भाई (अमित शाह) मच्छर भी गिनने लगे हैं क्या? क्या बुरे दिन आ गए हैं चाणक्य जी के। 
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वसावा गिरीश नाम के ट्विटर हैंडल से लिखा गया कि मंत्री जी, पुलवामा हमले में लापरवाही के लिए कौन ज़िम्मेदार है, इतना तो आप बता ही सकते हैं?

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एस. के. राय नाम के ट्विटर यूज़र ने लिखा कि क्या दिन आ गए हैं, हिंदुस्तानी फ़ौज़ का जनरल अब मरे हुए मच्छरों को गिनेगा भला। 
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पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान के बालाकोट में किए गए हवाई हमले में मारे गए आतंकियों की संख्या को लेकर वी. के. सिंह कोई सीधा और गंभीर जवाब दे देते या देश की सरकार ही कोई सही आँकड़ा बता दे, तभी इस चर्चा पर विराम लग सकता है। पहले सेना और फिर देश की सरकार में ऊँचे पदों पर रहे वी. के. सिंह से इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि वह इस तरह का बयान न दें। इस तरह का बयान देने से न सिर्फ़ उनकी छवि गिरती है, बल्कि देश की भी छवि को नुक़सान होता है।

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क़मर वहीद नक़वी

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