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पाक का इरादा : ख़ालिस्तान वाया करतारपुर गलियारा?

पंजाब कई सालों तक आतंकवाद का शिकार रहा है और उसमें हज़ारों की जानें गई हैं। आज फिर वहाँ आतंकवाद का साया मँडराता दिख रहा है। और उसके पीछे फिर पाकिस्तान का ही हाथ नज़र आ रहा है। क्या हम तैयार हैं उससे मुक़ाबले के लिए?
क़मर वहीद नक़वी
हाल ही में श्री करतारपुर साहब गुरुद्वारे के गलियारे का शिलान्यास हुआ। इसमें पाक पीएम इमरान ख़ान ने जताया कि वे भारत के साथ संबंध सुधारना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में उनकी सरकार, पाक सेना और वहाँ के राजनीतिक दलों का एक ही विचार है। लेकिन हाल की कुछ घटनाओं पर ध्यान दें तो नज़र आता है कि पाकिस्तान जो पहले कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा था, उसकी नज़र अब पंजाब पर भी पड़ने लगी है। अमृतसर में निरंकारी भवन पर हुआ ग्रेनेड हमला इसका ताज़ा उदाहरण है। इससे पहले भी पाकिस्तान पठानकोट एयरबेस और दीनानगर  थाने में आतंकी वारदात कर चुका है।

आतंकी हमले की आशंका बढ़ी

पिछले दिनों पंजाब में जैश-ए-मोहम्मद के सात आतंकियों के घुसने की ख़बर आई जिसने आतंकी हमले की आशंका पैदा कर दी। ख़बर है कि ये आतंकी पंजाब से दिल्ली जाने की फिराक में हैं और फ़िरोज़पुर, गुरदासपुर, पठानकोट या अमृतसर में छिपे हैं। पूरे प्रदेश में अलर्ट घोषित किया गया। जगह-जगह नाकेबंदी और गहन तलाशी हुई। चाहे डी.जी.पी. सुरेश अरोड़ा ने इस अलर्ट को रूटीन बताया लेकिन पूरे प्रदेश में चौकसी बढ़ाने के आदेश दे दिए गए। अभी भी सभी ज़िलों के पुलिस प्रमुखों को सुरक्षा के सख्त प्रबंध करने के आदेश हैं। ऐसी आशंका है कि बड़े नेताओं व राजनीतिक पार्टियों की सभाओं, पार्कों व अन्य स्थलों पर होने वाले समागमों पर हमला हो सकता है। यह बात तब फैली जब पठानकोट में छीनी गई इनोवा गाड़ी का 48 घंटे बाद भी सुराग नहीं लगा। माधोपुर नाके पर चार संदिग्धों ने इस गाड़ी को छीन लिया था। इनोवा कार लूटने वाले संदिग्धों के स्कैच जारी हो गए हैं लेकिन अभी तक कोई हाथ नहीं आया है। एक ओर पुलिस दिलासा देती है कि लूटने वाले आतंकी नहीं पेशेवर अपराधी थे लेकिन दूसरी ओर पुलिस नाके लगाकर वाहनों की जाँच कर रही है।

मूसा के दिखाई देने की अफ़वाह

आतंकवादी जाकिर मूसा को उसके साथियों के साथ अमृतसर में देखे जाने की अफ़वाहें सामने आ रही हैं। दीनानगर और गुरदासपुर में आतंकवादी जाकिर मूसा के पोस्टर भी दिखाई देने लगे हैं। लेकिन हाई अलर्ट के बावजूद पूरा पंजाब घूम लो, पुलिस तंत्र ढीला है, नाके खाली दिखाई देते हैं। पुख़्ता सुरक्षा व्यवस्था व चाक-चौबंद चैकिंग गुरदासपुर जैसे सरहदी इलाकों में नहीं दिखती, पूरे पंजाब की तो बात छोड़ ही दो।

फिरोज़पुर बॉर्डर से बढ़ी घुसपैठ

पिछले दस महीनों में फ़िरोज़पुर बॉर्डर से घुसपैठ व संदिग्ध गतिविधियाँ बढ़ी हैं। पाक से सटे सतलुज दरिया से दो पाकिस्तानी नावें मिलीं और दो पाक फ़ौजी भारतीय सीमा में पकड़े गए। अभी कुछ समय पहले फ़िरोज़पुर सीमा पर तैनात एक बीएसएफ़ जवान आईएसआई को सूचनाएँ देने के आरोप में गिरफ्तार हुआ है।अब तक पाँच घुसपैठियों को गिरफ़्तार किया जा चुका है। एक फ़रार हो गया है जबकि एक मारा गया। जानकारों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में मौसमी बर्फ़बारी हो जाने के कारण आतंकियों की घुसपैठ कठिन हो गई है। इसलिए अब आईएसआई की नज़र पंजाब पर है। सूत्रों के अनुसार आईएसआई ने पंजाब की सीमा में सेंध लगाने की ज़िम्मेदारी पंजाब के आतंकी गुट बब्बर खालसा और ख़ालिस्तान जिंदाबाद फ़ोर्स को सौंपी है।जम्मू-कश्मीर के साथ लगती सीमा पर तनाव जारी है। गोलीबारी आम बात है। आईबी के मुताबिक पाकिस्तान रावी सहित उज्ज दरिया, जलालिया और तरनाह दरियाओं का अधिक लाभ उठाने की कोशिश में है। यहाँ भारतीय इलाका लगभग छह-सात फुट ढलान पर होने के कारण बहते पानी का दबाव भारतीय इलाके की ओर है। आतंकवादी इस पानी के रास्ते आसानी से घुसपैठ कर जाते हैं।

आतंकी वारदात कर चुका है पाक

इससे पहले भी पाकिस्तान पठानकोट एयरबेस और दीनानगर थाने में आतंकी वारदात कर चुका है। अब पाकिस्तान की बदनज़र फिर से पंजाब की सीमा पर आ लगी है। ख़ालिस्तान ज़िंदाबाद फ़ोर्स का सरगना रंजीत सिंह नीटा और बब्बर खालसा चीफ़ वधावा सिंह इस सीमा का इस्तेमाल करते रहते हैं। अभी सी.टी. इंस्टीट्यूट जालंधर के विद्यार्थियों से बरामद हथियारों की खेप भी इसी रास्ते से आई थी। रणजीत सिंह नीटा 1991 से पाकिस्तान में आतंकियों का किंगपिन है। वह पाकिस्तानी रेंजरों के साथ मिलकर घुसपैठ करवाता है। नशीले पदार्थ भेजता है।बब्बर खालसा के वधावा सिंह का भी पंजाब में बड़ा नेटवर्क है। इनके अचानक सक्रिय हो जाने से पंजाब सीमा में घुसपैठ की आशंका बढ़ गई है और सर्दियों में अन्य आतंकवादी घटनाओं की गुंजाइश भी दिखाई देने लगी है। समय की माँग है कि पुलिस बल अपनी ‘सब चलता है’ की मनोवृत्ति को त्यागें। आतंकवाद की बढ़ती धमक को पहचानें और इस पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि इसे ख़त्म करने के लिए तैयार हो जाएँ।
pakistan inaugrate kartarpur corroidor, but not easy to trust our neighbour - Satya Hindi
श्री करतारपुर साहब गुरुद्वारे के गलियारे का शिलान्यास डेरा बाबा नानक में उपराष्ट्रपति ने कर दिया। समारोह में भाईचारे के ऊपर सियासी स्वार्थ की राजनीति का कोलाहल हावी रहा। 28 नवंबर को पाकिस्तान में प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने अपने देश की ओर से गलियारे की नींव का पत्थर रखा। भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल, हरदीप पुरी और पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिद्धू ने समारोह में शिरकत की। चाहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने साफ़ किया कि नवजोत उनसे पूछकर नहीं गए लेकन ज़ाहिर है कि जाने की सरकारी मंज़ूरी तो उनके पास थी।यह कॉरिडोर चार महीने में पूरा होगा, जैसा कि पाकिस्तान के अखबार डॉन ने बताया है। लेकिन इससे अगर कोई भ्रम पैदा हो जाए कि माहौल में सुधार हो रहा है, आतंकी गतिविधियां धीमी पड़ेंगी और एक नई सांझ और सौहार्द्र का माहौल पैदा हो जाएगा तो इससे बड़ी ख़ुशफ़हमी कोई और हो नहीं सकती। 

पाक को दिखाया असली चेहरा

पाकिस्तान के असली इरादों को बेनक़ाब करने की कोशिश जहाँ समारोह में कैप्टन अमरिंदर सिंह और वेंकैया नायडू ने भी की, वहीं पाकिस्तान का मीडिया भी अपने शोर-शराबे में किसी से कम नहीं। रोज़नामा औसाफ़ ने तो साफ़ लिख दिया कि भारत सरकार को सिखों के ख़ालिस्तान आंदोलन का सामना करना पड़ रहा है और पंजाब उसके हाथ से निकलता जा रहा है। इसलिए वह कॉरिडोर बनाने का सद्भावनापूर्ण फ़ैसला करने के लिए मजबूर हुई। पाकिस्तान के डेली टाइम्स के मुताबिक़ यह बेहतर शुरुआत है लेकिन भारत सरकार ने इस पर कोई पहल नहीं की। पाकिस्तानी मीडिया नवजोत सिद्धू और बाजवा की झप्पी को इसका श्रेय देता है।

ख़ालिस्तान के समर्थन में हुई नारेबाजी

पाकिस्तानी पंजाब के कई ज़िलों में पिछले दिनों रेफ़रेंडम-2020 के पोस्टर लगाकर सिखों के लिए अलग राज्य की माँग की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य पंजाब को देश से अलग करना है। विदेश में रह रहे गर्म ख़्याली संगठन इसे समर्थन दे रहे हैं। इधर, ननकाणा साहब में ख़ालिस्तान के समर्थन में नारेबाजी हुई और पोस्टर लगाए गए। पाकिस्तानी सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से लगाए गए पोस्टरों में भारत विरोधी नारे लिखे हैं और इसके विवादास्पद महासचिव गोपाल सिंह चावला की तस्वीर के साथ विषवमन किया गया है। माहौल अगर बदलना होता तो इमरान ख़ान इस तरह के प्रचार अभियान को तरजीह न देते। भारतीय एजैंसियों के मुताबिक़ पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजैंसी आई.एस.आई. सिख समुदाय को उकसाने के मक़सद से ऐसी हरकतों को अंजाम दे रही है। जहाँ तक पंजाब में इंटेलिजेंस के इनपुट का ताल्लुक़ है, उसके मुताबिक़ पंजाब पुलिस को अलर्ट होना पड़ेगा। धार्मिक नेताओं की सुरक्षा की समीक्षा भी हो रही है।

हिंदू नेता, डेरे हैं निशाने पर

आतंकियों द्वारा निरंकारी भवन पर हमले के बाद अब हिंदू नेता और डेरों के नाम आतंकियों की नई खुराफ़ात ग्रेनेड हमले के निशाने पर आ गए हैं। पुलिस ने इन सभी नेताओं की सिक्युरिटी बढ़ा दी है लेकिन पुलिस कितनी अलर्ट होती है इसका पता आने वाले दिनों में चलेगा।  पिछले साल पंजाब में छह हिंदू नेताओं की हत्या हो चुकी है। इनमें जगदीश गगनेजा, अमित शर्मा और अन्य हिंदू नेता शामिल थे। उनकी हत्या गोली मारकर की गई।

आतंकियों के संपर्क में हैं युवा

अमृतसर में निरंकारी भवन पर हुआ ग्रेनेड हमला बता रहा है कि आतंकवादियों ने व्यक्तिगत आतंकवाद को बढ़ावा दिया है। अब गोलियाँ चलाने के बजाय ग्रेनेड से हमले किए जा रहे हैं। निरंकारी भवन पर ग्रेनेड हमला करने के आरोप में पकड़ा गया अवतार सिंह पूछताछ में बता चुका है कि उसकी तरह पंजाब के कई और युवा भी आतंकी संगठनों के सम्पर्क में हैं। उनके ज़रिए पंजाब में आतंकवाद फैलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अवतार सिंह ने बताया कि अब आतंकी संगठनों के निशाने पर कुछ हिंदू नेता और डेरा सच्चा सौदा के नाम चर्चा केन्द्र में हैं, जिन पर हमला हो सकता है। इसलिए इन सब बातों को हल्के में नहीं लिया जा सकता।

पंजाब को होना होगा सजग

सद्भावना और धर्मस्थल पर मुक्त पहुँच का फ़ैसला अवश्य सदाशयता से भरा हुआ है। लेकिन इस भाईचारे के नक़ाब के पीछे जो आतंकी कुचालें दिखाई दे रही हैं, उसके बारे में पंजाब को अभी से सजग होना होगा क्योंकि अगर ऐसा नहीं होगा तो ज्यों-ज्यों वक़्त बीतेगा, पंजाब में आतंकवाद की धमक और भी बढ़ती जाएगी। इसका सामना जब तक पंजाब, केंद्र और सरहदी इलाके पिछले आतंकवादी मुक़ाबले की तरह नीतिगत तरीके से नहीं करते, तब तक तबाही और विध्वंस की यह तलवार पंजाब के सिर पर लटकती रहेगी।
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क़मर वहीद नक़वी

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