लॉकडाउन के कारण जब अर्थव्यवस्था पूरी तरह चौपट है, ऐसे समय में प्रधानमंत्री का कहना है कि हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी है, उनके इस बयान का क्या आधार है, कुछ पता नहीं।
दुनिया आज जब कोविड-19 की महामारी से जूझ रही है तब उसके पास मानवता की रक्षा के लिए जन-जन की सेवा करने वाला न कोई महात्मा गाँधी है और न ही कोई मदर टेरेसा।
FORCE नाम से दिए गए प्रस्ताव में राजस्व बढ़ाने के कई उपाय सुझाए गए हैं। इनमें सुपर रिच पर टैक्स बढ़ाने के साथ-साथ संपत्ति कर, महामारी कर और विदेशी कंपनियों पर टैक्स बढ़ाने की भी बात कही गई है मगर सरकार को ये रास नहीं आ रहे। वह इन अधिकारियों से नाराज़ हो गई है और उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई भी कर सकती है।
चीन से ख़राब गुणवत्ता वाली कोरोना टेस्ट किट की शिकायत मिलने पर केंद्र सरकार ने ऑर्डर को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि इन किट को मुहैया कराने वाली कंपनियों को एक रुपया भी नहीं दिया जाएगा।
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के महँगाई भत्ते पर क़रीब डेढ़ साल के लिए रोक लगा दी। पेंशनरों को भी नहीं छोड़ा। मगर अब जब बड़े दौलतमंदों पर टैक्स लगाने का सुझाव दिया गया तो वह बौखलाई हुई है।