कोरोना से मुक़ाबले की लड़ाई में अब रिज़र्व बैंक भी उतर आया है। सरकार ने ग़रीबों के लिए एलान किए तो अब रिज़र्व बैंक के फ़ैसले से मध्य वर्ग के एक हिस्से और व्यापारी वर्ग को कुछ राहत मिलेगी।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन और घर में ही रहने की मजबूरी के बीच अब दूरदर्शन पर फिर से उस रामायण का प्रसारण शुरू होगा जिसके शुरू होने पर कभी सड़कें खाली हो जाया करती थीं।
केंद्र सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम करने वालों, दिहाड़ी मज़दूरों और शहरी तथा ग्रामीण इलाक़ों में रहने वाले ग़रीबों के लिए एक लाख सत्तर हज़ार करोड़ के पैकेज की घोषणा की है।
कोरोना वायरस के फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया तो हज़ारों लोग पैदल ही घर की ओर निकल गए। आख़िर ये चुपचाप निकल क्यों गए? इन्होंने आवाज़ क्यों नहीं उठाई?
क्या आप कोरोना से सुरक्षित हैं? क्या प्रधानमंत्री मोदी के भाषणों से आप इस वायरस से सुरक्षित होने के प्रति आश्वस्त हैं? सरकार के पास कोई योजना है जिससे आपका विश्वास पक्का होता हो कि अब कोरोना ख़त्म हो जाएगा?
दुनिया में अब सबसे ज़्यादा इस वायरस के मरीज अमेरिका में हो गए हैं। 24 घंटे में 17166 नये मामले सामने आने के साथ ही अमेरिका में पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़कर 85 हज़ार से ज़्यादा हो गई है।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि भारत में कोरोना वायरस से बचाव की कार्रवाई काफ़ी देर से शुरू हुई। क्रोनोलॉजी से आप जानते हैं कि चीन में इसका पता 31 दिसंबर को चला था और भारत में पहला मामला 30 जनवरी को मिला था।
कोरोना वायरस की सबसे ज़्यादा मार रोज कमाने-खाने वाले वर्ग पर पड़ी है। शहरों से गांवों की ओर पैदल ही लौट रहा यह वर्ग रास्ते में पुलिस की ज़्यादती का भी शिकार हो रहा है।