उत्तर प्रदेश के गोंडा में तीन दलित बहनों पर एसिड हमला कर दिया। सवाल है कि आख़िर तमाम प्रयासों के बावजूद एसिड के हमले क्यों नहीं रुक रहे हैं? उत्तर प्रदेश में महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध क्यों कम नहीं हो रहे हैं?
झांसी से ख़बर है कि यहां नाबालिग युवती से बलात्कार हुआ है और अभियुक्तों ने लूटपाट कर उसके पैसे भी छीन लिए। पीड़िता के परिवार की ओर से एफ़आईआर दर्ज कराई गई है।
हाथरस मामले में 10 हज़ार नारीवादियों ने बयान जारी किया है। उन्होंने हाथरस गैंगरेप और हत्या की निंदा की है और इसके दोषियों, ज़िम्मेदार अफ़सरों पर कार्रवाई की माँग की है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं, दलितों, ग़रीबों पर अपराध बढ़ गया है।
पीएफ़आई यानी पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया से कथित रूप से जुड़े एक पत्रकार और तीन अन्य लोगों को पुलिस ने मथुरा से देर रात को हिरासत में लिया है। पुलिस ने कहा है कि वे सभी दिल्ली से एक कार में हाथरस जा रहे थे।
हाथरस की घटना ने पूरे देश को हिला दिया है। क्यों होती हैं इस तरह की घटनायें? क्यों दलित समाज है सवर्ण जातियों के निशाने पर? क्या है बर्बरता के असली कारण? दलित और सवर्ण समाज के बीच क्या बदल रहा है?
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आँकड़ा है कि 2012 से 2017 में बलात्कार के मामले 35 फ़ीसदी बढ़े। 2012 में निर्भया कांड के बाद कई क़ानून में बदलाव हुए, लेकिन दुष्कर्म नहीं कम हुए। क्या क़ानून-व्यवस्था की विफलता के कारण हाथरस गैंगरेप जैसे मामले बढ़ रहे हैं?
हाथरस गैंगरेप मामले में चंद्रशेखर आज़ाद रावण ने कहा कि परिवार की गैर मौजूदगी में देर रात को शव जला दिए जाने का साफ़ मतलब है कि यूपी सरकार और पुलिस सबूतों को ख़त्म करना चाहती है।
‘क्राइम स्टेट’ बनते जा रहे उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित परिवार की बेटी के साथ हुए जुल्मों का शोर अभी थमा भी नहीं था कि बलरामपुर से ऐसी ही ख़ौफ़नाक घटना सामने आई है।
हाथरस मामले से पहले से ही हाल के वर्षों में बलात्कार को लेकर नई धारणा बनकर उभरी है कि तमाम मामलों को जातीय व धार्मिक नज़रिए से देखा जाने लगा है। आख़िर क्यों?
हाथरस में मंगलवार देर रात ढाई बजे बिना घरवालों की मौजूदगी के पुलिस ने ही अंतिम संस्कार कर डाला। पीड़िता के परिजनों ने बुधवार सुबह आरोप लगाया कि पुलिस ने उनके साथ बर्बरता की और बेटी का चेहरा तक नहीं देखने दिया।
हाथरस की घटना के विरोध में दिल्ली के सफ़दरजंग में प्रदर्शन स्थल से ग़ायब कर दिए गए हैं। चंद्रशेखर के पीआरओ कुश अंबेडकर ने आरोप लगाया है कि दलित बेटी के दुष्कर्म और मौत का मामला बढ़ते देख चंद्रशेखर को ग़ायब किया गया है।