सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली दंगों के पीड़ितों की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा है कि अदालत को दबाव में नहीं लाया जा सकता। Satya Hindi
साल 2020 की फ़रवरी में हुए दिल्ली के हालिया दंगे को देख कर कलेजा मुँह को आता है। दंगों का ज्वार थमने के बाद मीडिया और पुलिस का रवैया भी कुछ ठीक नहीं है।
दिल्ली दंगे के ख़िलाफ़ आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने संसद में प्रदर्शन किया। हंगामा इतना हुआ कि संसद के दोनों सदनों को दिनभर के लिए स्थगित करना पड़ा।
नाम 'शांति मार्च'। और नारे लगाए गए- 'किसी को मत माफ़ करो, जिहादियों को साफ़ करो', 'देश के गद्दारों को, गोली मारो ... को'। यह कैसा शांति मार्च! क्या बंदूक़ की गोली से कभी शांति आ सकती है?
जब भी हिंदू-मुसलिम दंगे होते हैं तब सबसे पीड़ादायक होते हैं विदेश में रहने वाले मित्रों और रिश्तेदारों के संदेश। जब पाकिस्तान के हमारे रिश्तेदार हमसे पूछते हैं- भैया, आप सब लोग सुरक्षित हो- तब इससे ज़्यादा तकलीफ़देह बात और कुछ नहीं हो सकती।
एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है कि हिंसा शुरू होने से एक दिन पहले यानी रविवार को ट्रकों में भरकर बाहर से लोग और ईंट-पत्थर लाए गए थे। शायद साथ में हथियार भी हों। इससे साफ़-साफ़ लगता है कि दंगा कराया गया है।
क्या दिल्ली पुलिस अपना काम ठीक से करती तो दिल्ली दंगा हो पाता? बिल्कुल नहीं। अब जो रिपोर्टें आ रही हैं वे सभी इसके सबूत हैं। अब रिपोर्ट आई है कि मदद के लिए या दंगा रोकने के लिए चार दिन में 13 हज़ार से ज़्यादा फ़ोन कॉल पुलिस को किया गया।
दिल्ली पुलिस ने हिंसा मामले में दो विशेष जाँच दल यानी एसआईटी गठित की है। प्रत्येक एसआईटी का नेतृत्व डीसीपी राजेश देव और जॉय टिर्की करेंगे। तो क्या ये दोनों अफ़सर अब हिंसा भड़काने वालों की पहचान कर पाएँगे?
दिल्ली हिंसा की जाँच की हो रही है तो आप एक सवाल पर ग़ौर फरमाइए, देश में कितने दंगे हुए हैं जिसमें शामिल दोषियों और साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ जाँच एजेंसी पहुँच पाती है?
दिल्ली दंगे में एक बहुत ही ख़तरनाक ट्रेंड दिखता है। इसमें जितने भी लोगों की मौत हुई है उसमें से अधिकतर लोगों को गोली लगी थी। घायलों में भी बहुत बड़ी संख्या उनकी है जो गोली लगने से घायल हुए हैं।
दिल्ली हिंसा में तबाह हुए परिवारों को दिल्ली सरकार आर्थिक मदद करेगी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसके लिए फ़रिश्ते योजना की घोषणा की है। इसके तहत पीड़ित परिवारों को हर तरह की मदद की जाएगी।
दिल्ली हिंसा के मामले में भड़काऊ भाषण देने वाले नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करने के आदेश देने वाले हाई कोर्ट के जस्टिस मुरलीधर के तबादले को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला किया है।
दिल्ली हिंसा ने पूरे देश को झकझोर दिया है। और यह शायद जिन्हें नहीं झकझोर पायी है उनको सुप्रीम कोर्ट की एक टिप्पणी ज़रूर झकझोर देगी! अदालत ने कहा है कि अमेरिका में नेताओं को भड़काऊ बयान देने के कारण गिरफ़्तार कर लिया जाता है।
दिल्ली हिंसा और इस पर पुलिस के रवैये पर हाई कोर्ट ने सख्त नाराज़गी जताई है। हाई कोर्ट ने तो यहाँ तक कह दिया कि हम इस देश में एक और 1984 नहीं होने देंगे।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने दिल्ली हिंसा को हतप्रभ करने वाला दुर्भाग्यपूण क़रार देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफ़े की माँग की है।