टमाटर आख़िर इतना महंगा क्यों हो गया, जबकि सर्दियों के मौसम में यह सामान्य तौर पर सस्ता रहता है? जानिए, लोग बढ़ी क़ीमतों को लेकर कैसे-कैसे तंज कस रहे हैं...।
पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस से लेकर खाने का तेल और दाल सबके दाम आसमान पर। जनता महंगाई से बेहाल है फिर सरकार क्यों नहीं जागती? आलोक जोशी के साथ प्रो संतोष मेहरोत्रा, वीरेंद्र नाथ भट्ट, सतीश के सिंह, अंबरीश कुमार और हिमांशु बाजपेई।
दाम बढ़ने की वजह यही है कि कंपनियों का ख़र्च बढ़ गया है। और वो भी तब जबकि वो किफायत के सारे रास्ते आजमा चुकी हैं। ऐसे में दाम काबू करने का दबाव शायद बहुत से क़ारोबारों के लिए ख़तरनाक भी साबित हो सकता है।
पेट्रोल और डीजल के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सब्जियाँ आख़िर फलों के दाम क्यों बिक रही हैं और फल ग्राहकों की पहुँच के बाहर क्यों हो रहे हैं? जानिए देश में महंगाई का क्या हाल है।
जीडीपी के नये आंकडे आ गये हैं । उम्मीद की नयी किरण ? या फिर आँकड़ों की बाज़ीगरी ? अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी ? बेरोज़गारी दूर, मंहगाई कम ? आशुतोष के साथ चर्चा में ए के भट्टाचार्य, प्रो अरुण कुमार और आलोक जोशी ।
महँगाई के नए आँकड़े आ गए हैं। जून महीने में महँगाई बढ़ने की दर यानी मुद्रास्फीति की दर में मामूली गिरावट दर्ज हुई है। मई में यह दर 6.3% थी, जबकि जून में घटकर 6.26% हो गई है।
थोक और खुदरा महँगाई दर का आँकड़ा रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच चुका है। महँगाई पर क़ाबू पाने का मोदी सरकार के पास फ़िलहाल कोई ठोस उपाय नहीं दिख रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण महँगाई पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए हैं।
मई में ही अप्रैल महीने के लिए थोक महंगाई का जो आँकड़ा आया उसमें महंगाई बढ़ने की दर ग्यारह साल की नई ऊंचाई पर दिख रही है। पिछले साल के मुक़ाबले साढ़े दस परसेंट ऊपर।
देश में पेट्रोल 100 ₹ मंहगा बिक रहा है । ब्लैक फ़ंगस की दवा नहीं मिल रही है और चर्चा दिग्विजय सिंह पर हो रही है ? असफल सरकार या असफल समाज ? आशुतोष के साथ चर्चा में मनीषा प्रियम, विनोद कापड़ी, हरजिंदर, पंकज श्रीवास्तव और आलोक जोशी ।