आईएफ़एससी को मुंबई के बजाय गुजरात ले जाने के फ़ैसले को लेकर महाराष्ट्र में राजनीति गरमा गयी है और इस मुद्दे पर केंद्र व महाराष्ट्र सरकार आमने-सामने है।
महाराष्ट्र में क्या प्रेस की आज़ादी पर कुठाराघात हो रहा है? क्या मीडिया कर्मियों पर उद्धव ठाकरे सरकार नाजायज दबाव डाल रही है? या क्या लोगों की सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति पर भी पहरा लगा दिया गया है?
महाराष्ट्र में दो लड़ाईयाँ चल रही हैं, एक कोरोना के ख़िलाफ़ और एक राजनीतिक अस्थिरता को रोकने के लिए। मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे को विधायक मनोनीत करने का जो प्रस्ताव भेजा है, उसे राज्यपाल नहीं मानें तो क्या होगा?
देश में एक के बाद एक लॉकडाउन लागू किये जा रहे हैं। क्या हमारी केंद्र व राज्य सरकारें सिर्फ़ लॉकडाउन के भरोसे कोरोना से लड़ाई जीतने की उम्मीद लगाये बैठी हैं।
आज पूरे देश में हर राज्य जब कोरोना के ख़िलाफ़ एक जंग लड़ रही है तो क्या ऐसे में केंद्र सरकार की तरफ़ से सहायता निधि को लेकर कोई अलग रणनीति चलाई जा रही है?
कोरोना वायरस को लेकर महाराष्ट्र में अब राजनीति गरमाने लगी है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने इस मामले में भारतीय जनता पार्टी और केंद्रीय गृह मंत्री पर सीधा निशाना साधा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कोरोना महामारी के कारण भारत के 40 करोड़ लोगों के ग़रीबी रेखा के नीचे जाने का ख़तरा बढ़ गया है और लॉकडाउन से मजूदर बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
84,000 लोगों पर एक आइसोलेशन बेड, 36,000 लोगों पर एक क्वरेंटाइन बेड, प्रति 11,600 भारतीयों पर एक डॉक्टर और 1,826 भारतीयों के लिए अस्पताल में एक ही बेड। ऐसे में कोरोना से कैसे निपटेंगे?
लॉकडाउन की घोषणा तो हो गई लेकिन देश की एक बड़ी जनसंख्या जो रोज़ कमाने -रोज़ खाने जैसे हालात में जीवन बसर करने के लिए मजबूर है, उसका क्या होगा? काम-धंधे बंद हैं, कमाई का कोई ज़रिया नहीं, ऐसे में ये लोग अपना पेट कैसे भरेंगे?
मोदी सरकार ने बीते एक साल में कॉर्पोरेट घरानों को राहत देने के लिये कई फ़ैसले किये लेकिन लॉकडाउन के कारण खाली बैठे दिहाड़ी मजदूरों के लिये अब तक कुछ नहीं किया है।
राजस्थान, पंजाब के बाद अब महाराष्ट्र में भी संपूर्ण लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है। आज रात 12 बजे से पूरे राज्य में धारा 144 लागू हो जाएगी। लंबी दूरी की रेल सेवाओं के साथ-साथ अब उपनगरीय रेल सेवा 31 मार्च के लिए बंद कर दी गयी है।
वुहान से मुंबई? कोरोना वायरस से लड़ने के लिए क्या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई वाक़ई में तैयार है? क्या मुंबई में भी चीन के वुहान शहर की तरह शटडाउन का फ़ॉर्मूला इस्तेमाल करने की नौबत आएगी?
विधानसभा सत्र में कैग की जो रिपोर्ट पेश हुई है उसमें फडणवीस सरकार के कार्यकाल के दौरान विभिन्न परियोजनाओं के लिए दिए गए टेंडरों में भारी अनियमितता और क़ायदे -क़ानून के साथ खिलवाड़ करने की तरफ़ इशारा करती है।