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मद्रास हाई कोर्ट : प्रवासी मज़दूरों की स्थिति 'दयनीय', 'मानवीय त्रासदी', 'आँसू नहीं थमते'

मद्रास हाई कोर्ट ने पूर देश में प्रवासी मजदूरों की स्थिति को 'दयनीय' व 'मानवीय त्रासदी' क़रार देते हुए कहा कि उन्हें देख कर 'आँसू नहीं थमते'।
अदालत ने तमिलनाडु सरकार को बेहद कड़े शब्दों में दिए गए एक आदेश में कहा कि राज्य सरकार को सभी प्रवासी मज़दूरों की सुरक्षा और कल्याण का ख्याल रखना चाहिए। 

'दयनीय स्थिति'

जस्टिस एन किरुबकरण और जस्टिस आर. हेमलता के खंडपीठ ने कहा, 'यह देखना दयनीय है कि प्रवासी मज़दूर अपने काम की जगह से कई दिन पैदल चल कर अपने गृह राज्य पहुँच रहे हैं। कुछ की मौत रास्ते में ही दुर्घटना से हो जा रही है। सभी राज्यों को चाहिए कि ऐसे मज़दूरों को मानवीय सहायता मुहैया कराएं।' उन्होंने महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए रेल हादसे पर टिप्पणी करते हुए कहा,

'मीडिया में प्रवासी मज़दूरों की स्थिति देख कर आँसू रोकना किसी के लिए मुश्किल है। यह मानवीय त्रासदी से कम नहीं है।'


जस्टिस एन किरुबकरण और जस्टिस आर. हेमलता, मद्रास हाई कोर्ट

राज्य सरकार की अपील

अदालत के इस आदेश के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री इदपद्दी के पलनीस्वामी ने सभी प्रवासी मज़दूरों से अपील की कि वे कहीं न जाएं और राज्य सरकार उनकी मदद करेगी। 
उन्होंने प्रवासी मज़दूरों से कहा कि राज्य सरकार ने बिहार, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के सरकारों से संपर्क कर विशेष ट्रेनें चलाई हैं और लगभग 53 हज़ार मज़दूरों को उनके राज्य भेजा है। उन्होंने कहा कि बाकी मज़दूरों को भी उनके गृह राज्य भेजा जाएगा। 
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क़मर वहीद नक़वी

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