उत्तर प्रदेश में ज़बरदस्त कोरोना प्रसार के बीच चार चरणों में संपन्न हुए पंचायत चुनाव प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों के लिए जानलेवा साबित हुए हैं। प्राथमिक शिक्षकों के संघ के मुताबिक़, इस पूरी कवायद में कोरोना से 700 से ज्यादा शिक्षकों की जान चली गयी है। शिक्षक संघ ने मृत शिक्षकों की सूची जारी कर सरकार से जवाब माँगा है कि कोरना की ज़बरदस्त लहर के बीच आखिर क्यों चुनाव कराए गए।
इस बीच प्रदेश में पंचायत चुनावों के लिए 2 मई से मतगणना का काम शुरू होना है और पेपर बैलेट से हुए इन चुनावों के लिए मतों की गिनती के काम में भी बड़े पैमाने पर शिक्षकों की ही ड्यूटी लगाई गयी है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में भी यूपी पंचायत चुनावों की मतगणना रोकने के लिए एक याचिका दाखिल की गयी है। याचिका पर शनिवार को सुनवाई होगी।
मतदान ने ली जान
शिक्षकों का कहना है कि यूपी पंचायत चुनाव 2021 उस समय कराए गए, जब कोरोना का प्रसार अपने चरम पर है। चुनाव ड्यूटी के प्रशिक्षण से लेकर मतदान तक संक्रमण को रोकने के कोई उपाय नही किए गए। इतना ही नहीं इन चुनावों में संक्रिमतों को भी वोट डालने की सुविधा दी गयी।
पंचायत चुनाव संपन्न करा रहे शिक्षकों की तबीयत ख़राब होने की दलीलों को भी नहीं सुना गया और उन्हें ज़बरन ड्यूटी करने पर मजबूर किया गया।
मतगणना से पहले शिक्षकों के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट कराना अनिवार्य किया गया और इसकी जाँच जिन जगहों पर की गयी वहाँ भारी भीड़ जमा रही, जहाँ सोशल डिस्टैंसिंग का कोई मतलब तक नहीं रह गया।
ज़िलाधिकारियों का विरोध
उत्तर प्रदेश के आईएएस अफसरों के एक वॉटस्ऐप ग्रुप में कई ज़िलाधिकारियों ने पंचायत चुनावों को ग़ैरज़रूरी बताते हुए कहा कि इसे इन हालात में नहीं काराना चाहिए। अयोध्या के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा का तो वॉट्सऐप मैसेज सुर्खियों में रहा जहाँ उन्होंने कहा है कि इन हालात में पंचायत चुनावों की क्या ज़रूरत थी।
सत्य हिन्दी के पास मौजूद उनके मैसेज में साफ लिखा है कि जब 15 अप्रैल से हालात ख़राब हैं तो पंचायत चुनाव क्यों होने दिए गए। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कई ज़िलाधिकारियों ने इसी तरह की बातें कही थीं। प्रदेश की लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने मौजूदा हालात में पंचायत चुनावों का विरोध किया था।
शिक्षक संघ ने माँगा मुआवजा
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ ने गुरुवार को उन 706 शिक्षकों की एक सूची जारी की जिनकी मौत बीते एक महीने में पंचायत चुनाव कराते हुए कोरोना से हो गई। संघ ने 2 मई से होने वाली मतगणना को स्थगित करने की माँग करते हुए सरकार से शिक्षकों का जीवन बचाने की गुहार लगाई है।
उसका कहना है कि बड़ी तादाद में शिक्षक पंचायत चुनाव कराने का बाद से संक्रमित हो गए हैं और इलाज करा रहे हैं। उनमें से कुछ की हालात गंभीर हो गई है।
संघ ने मृत शिक्षकों के लिए 50 लाख रुपये का मुआवजा और उनके आश्रितों को नौकरी की माँग करते हुए कहा है कि सभी संक्रमितों का सरकारी खर्च पर बेहतर इलाज करवाया जाए।
संघ ने माँग कि है कि विकराल हालात को देखते हुए मतगणना को अनुकूल समय आने तक स्थगित कर दिया जाए।
डॉक्टरों की भी ड्यूटी
प्रदेश में बदहाल हो चुकी चिकित्सा व्यवस्था और कोरोना से हो रही मौतों के बीच प्रदेश सरकार ने कई जगहों पर आयुष के डॉक्टरों की भी ड्यूटी पंचायत चुनावों में लगा दी। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया कि कोरोना से जंग में आयुष, होम्योपैथी व यूनानी डॉक्टरों की मदद ली जाएगी।
उन्होंने 5,000 से ज्यादा इस संवर्ग के डाक्टरों से संवाद किया।
राजधानी लखनऊ जहाँ के हालात सबसे ज्यादा ख़राब हैं, वहाँ के ज़िला प्रशासन के आयुष डाक्टरों को चुनाव ड्यूटी में झोंक दिया है।
प्रियंका : शिक्षकों की जान बचाएँ
कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी ने बड़ी तादाद में पंचायत चुनावों में हुए शिक्षकों की मौत का मुद्दा उठाते हुए फ़ेसबुक पोस्ट लिखी और ट्वीट किया है।
प्रियंका गांधी ने लिखा है कि यूपी पंचायत चुनावों की ड्यूटी में लगे लगभग 500 शिक्षकों की मृत्यु की ख़बर दुखद और डरावनी है। चुनाव ड्यूटी करने वालों की सुरक्षा का प्रबंध लचर था तो उनको क्यों भेजा? उन्होंने लिखा है कि 'सभी शिक्षकों के परिवारों को 50 लाख रु मुआवाजा व आश्रितों को नौकरी की माँग का मैं पुरजोर समर्थन करती हूँ।'
अपनी राय बतायें