बिहार के विधानसभा चुनाव और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के बागी विधायकों के कारण हुए उपचुनाव के बीच उत्तर प्रदेश के उपचुनाव की चर्चा दब गई। राज्य में कुल 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिनमें से 6 बीजेपी जीतने में कामयाब रही, जबकि एसपी सिर्फ एक सीट जीत पाई है। बीएसपी ज्यादातर सीटों पर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है, जबकि कांग्रेस ने 2 सीटों पर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है।
परिणामों से साफ नजर आता है कि तमाम आलोचनाओं के बावजूद राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी है।
अपराध की घटनाएं
हालिया दिनों में बलात्कार व हत्याओं के कई मामले सामने आए, जिससे राज्य सरकार की अच्छी-खासी किरकिरी हुई। वहीं, राज्य में लगातार होने वाली पुलिस मुठभेड़ों को लेकर भी खासी चर्चा हुई। कानपुर में पुलिस अधिकारियों की हत्या ने कानून व्यवस्था को सिर के बल खड़ा कर दिया और इसके बाद हुए लगातार एनकाउंटर्स से ऐसा लगा, जैसे पुलिस ने अपना बदला ले लिया हो।
ब्राह्मणों के ख़िलाफ़ बढ़ते अपराधों और राज्य में ठाकुरवाद को लेकर भी सरकार चर्चा में आई। कोरोना के दौर में पैदल घर जाते यात्रियों की सबसे दयनीय तसवीरें उत्तर प्रदेश से ही आईं, जहां दिल्ली-गाजियाबाद बॉर्डर पर विस्थापित मजदूरों का हफ्तों तक मेला लगा रहा।
लेकिन उपचुनाव के परिणाम पर इसका कोई असर नजर नहीं आता है। ज्यादातर सीटों पर बीजेपी ने भारी अंतर से चुनाव जीत लिया है और सिर्फ मल्हानी सीट पर उसे मात खानी पड़ी। उपचुनाव के नतीजे बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ जनता की पसंद बने हुए हैं।
चुनावी सीटों का हाल
बांगरमऊ सीट पर बीजेपी प्रत्याशी 71,381 वोट पाकर विजयी हुआ, जबकि कांग्रेस की आरती वाजपेयी 39,983 वोट पाकर दूसरे स्थान पर, एसपी 35,322 वोट पाकर तीसरे और बीएसपी को 19,062 वोट पाकर चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा। बुलंदशहर में भी बीजेपी को 88,645 वोट मिले, बीएसपी 66,943 वोट पाकर दूसरे, कांग्रेस 10,319 वोट पाकर तीसरे और आरएलडी 7,286 वोट पाकर चौथे स्थान पर सरक गई।
देवरिया में बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले अजय प्रताप सिंह को 19,299 वोट मिले, उसके बावजूद एसपी-बीएसपी कोई करिश्मा नहीं दिखा सकीं। यहां बीजेपी प्रत्याशी 68,732 वोट पाकर विजयी रहा, जबकि दूसरे स्थान पर एसपी को महज 48,643 वोट मिले और बीएसपी को 22,069 वोट मिले। कांग्रेस की सबसे ज्यादा दुर्गति हुई और उसके प्रत्याशी को 2000 वोट भी नसीब नहीं हुए।
घाटमपुर में बीजेपी को 60,405 वोट, कांग्रेस को 36,585 वोट बीएसपी को 33,955 वोट और एसपी को 22,735 वोट मिले हैं। मल्हानी ने एसपी को राहत दी, जहां उसके प्रत्याशी लकी यादव 73,468 वोट पाकर जीतने में कामयाब हुए। दूसरे स्थान पर बीजेपी को महज 28,840 वोट और बीएसपी को 25,180 वोट मिले हैं। कांग्रेस 2,871 वोट पर सिमट गई है।
नौगांवा सादात में बीजेपी को 86,171 वोट जबकि एसपी को 71,376 वोट मिले हैं। बीएसपी के प्रत्याशी को 38,253 मत मिले हैं। कांग्रेस को यहां 4,532 वोट मिले। यहां एसपी-बीएसपी दोनों ने ही मुसलिम प्रत्याशी उतारे थे। टुंडला में बीजेपी को 72,950 वोट, एसपी को 55,267 वोट, बीएसपी को 41,010 वोट मिले हैं।
बीएसपी की हालत ख़राब
इस उपचुनाव में अगर कुछ अहम बातें देखी जाएं तो कांग्रेस की मौजूदगी सबसे ज्यादा चौंकाती है। 7 में से दो सीटों बांगरमऊ और घाटमपुर में कांग्रेस दूसरे स्थान पर रही है, जबकि बुलंदशहर में तीसरे स्थान पर। वहीं, बीएसपी का सबसे बुरा हाल नजर आ रहा है। बीएसपी सिर्फ बुलंदशहर में दूसरा स्थान बरकरार रख पाई है और बाकी विधानसभाओं में तीसरे या चौथे स्थान पर जा चुकी है।
उपचुनाव के परिणामों से लगता है कि प्रियंका गांधी की लगातार सक्रियता के अलावा राज्य स्तर के नेतृत्व की ओर से लगातार जनसंपर्क और हर मुद्दे पर उपस्थिति दर्ज कराने के कारण जनता अब कांग्रेस को भी दौड़ में शामिल मान रही है।
अगर देवरिया सदर में कांग्रेस ने बीजेपी के बागी प्रत्याशी को अंत समय में लपक लिया होता तो यह संभव था कि पार्टी 7 में से 3 विधानसभा सीटों पर दूसरा स्थान बना सकती थी।
एसपी दूसरे स्थान पर
एसपी अभी राज्य में दूसरे स्थान पर बरकरार नजर आ रही है, लेकिन बढ़ती कांग्रेस उसके लिए खतरा है। कांग्रेस की यह कहकर उपेक्षा नहीं की जा सकती है कि उसका संगठन नहीं है। अगर एसपी अपनी छवि और सक्रियता में बदलाव नहीं करती है तो जनता कांग्रेस को भी राज्य में एक विकल्प के तौर पर देख सकती है।
मुसलिम अखिलेश के साथ!
बीएसपी तीसरे स्थान पर या कहें कि चौथे स्थान पर जा चुकी है। इसकी वजह पार्टी प्रमुख मायावती के बयान और बीजेपी से बढ़ती नजदीकी हो सकती है। बीएसपी ने नौगांवा सादात में मुसलिम प्रत्याशी उतारा, लेकिन पार्टी मुसलिम वोटों को गोलबंद नहीं कर सकी और उसे एसपी और बीजेपी की तुलना में करीब आधे वोट ही मिल पाए हैं। अन्य जगहों पर बीएसपी के तीसरे या चौथे स्थान पर जाने से भी यह संकेत मिलते हैं कि मुसलमानों की पहली पसंद अब एसपी बन चुकी है।
विपक्ष के लिए ख़तरे की घंटी
बहरहाल, योगी आदित्यनाथ की मकबूलियत बरकरार नजर आ रही है। ज्यादातर सीटों पर बीजेपी इतने ज्यादा अंतर से जीती है कि विपक्ष कहीं नहीं ठहरता। योगी ने इस उपचुनाव के बाद आलोचकों के मुंह बंद कर दिए हैं और पार्टी के भीतर भी अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। यह एसपी और बीएसपी के लिए खतरे की घंटी है।
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