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कोरोना: यूपी के गांवों में हालात बदतर, कागजों में घट रहा प्रकोप

यूपी के हमीरपुर, बलिया, गाजीपुर और उन्नाव में यमुना और गंगा में बहती लाशों के ढेर नजर आ रहे हैं। उन्नाव में गंगाघाट पर हर रोज दर्जनों लाशों को चिता तक नहीं नसीब हो रही है बल्कि उन्हें रेत में दफन किया जा रहा है। गुरुवार को चंदौली में आधा दर्जन शव तैरते हुए मिले। कानपुर जिले के घाटमपुर-फतेहपुर रोड पर परास गांव में बीते 20 दिनों में 40 मौतों से दहशत का माहौल है। तमाम गांवों में बीमारी के खौफ से लोग पलायन को मजबूर हो रहे हैं। 

गांव वालों का कहना है कि इतनी लाशें अंतिम संस्कार के लिए आ रही हैं कि जलाने के लिए लकड़ी मिलना मुश्किल है और दाम बहुत बढ़ गए हैं। इसके चलते भी लोग शवों को नदियों में प्रवाहित कर दे रहे हैं। इन सबके बावजूद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के मुताबिक कोरोना का प्रकोप थमने लगा है।

सरकार के आंकड़ों के मुताबिक गांव-गांव जांच हो रही है और दवाएं बंट रही हैं तो सैनिटाइजेशन भी हो रहा है। सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मिली वाहवाही का हवाला देते हुए ट्विटर पर खुद के मॉडल को बेहतर करार देने का ट्रेंड भी करा रही है।

लाशें मिलने का सिलसिला जारी

यूपी के शहरों से निकल कर कोरोना गांवों में पहुंच चुका है। आंकड़ों में दिख रही गुलाबी तसवीर नदियों में बह रही लाशों ने धुंधली कर दी है। यूपी में गंगा किनारे बसे कई जिलों में नदी में अब तक सैकड़ों शव बहते मिले हैं। पहले हमीरपुर में यमुना में दर्जनों शव मिले फिर बलिया, गाजीपुर, उन्नाव के बाद गुरुवार को यही नजारा चंदौली में देखने को मिला है। 

चंदौली के धानापुर थाना क्षेत्र के बड़ौरा गाँव के पास नदी में शव मिले हैं। चंदौली जिले में धानापुर थाना इंचार्ज ने पुष्टि करते हुए बताया कि आधा दर्जन पांच से सात दिन पुराने शव गंगा नदी में मिले हैं। शवों के मिलने की सूचना के बाद मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने उन्हें निकाल कर अंतिम संस्कार करवाया है।

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लकड़ी कम पड़ गयी 

राजधानी लखनऊ से सटे जिले उन्नाव में गंगाघाट रौतापुर में बुधवार को अंतिम संस्कार के लिए आए 16 में से 13 शवों को दफना दिया गया। इन शवों को ग्रामीणों ने घाट के पास खाली पड़ी रेत में दफना दिया। लोगों का कहना है कि क्रियाकर्म कराने के लिए कम से कम 8 से 10 हजार का खर्च आता है। जो इस समय उनके लिए बहुत बड़ी रकम है। इसलिए  लोग शव को मिट्टी में ही दफनाने को मजबूर हैं। 

बलिया, गाजीपुर से लेकर उन्नाव तक गांव वालों का कहना है कि लकड़ी के दाम आसमान छू रहे हैं और मिल भी नहीं रही है। नतीजतन, ज्यादातर लोग शवों को रेत में ही दफना दे रहे हैं। हालत यह हैं कि घाट पर अब शवों को दफनाने की जगह तक नहीं बची है।

सरकारी मदद भी नहीं मिल रही

योगी सरकार ने बीते दिनों कोरोना से होने वाली मौतों के अंतिम संस्कार का खर्च उठाने का एलान किया था। इसके तहत 5000 रुपये की आर्थिक मदद देने का प्रावधान है। हालांकि गांवों में यह मदद भी नहीं मिल पा रही है। ज्यादातर लोगों की मौतें तो कोरोना के लक्षणों के चलते हो रही हैं पर जांच न होने से इसका किसी सरकारी कागजात में दर्ज होना मुश्किल है। कोरोना संक्रमण के पुष्ट हुए बिना सरकारी मदद मिल नहीं सकती। 

ग्रामीणों का कहना है कि कुछ मामलों में तो कोरोना जांच की रिपोर्ट आने से पहले ही मौत हो जा रही है। अब अंतिम संस्कार के लिए रिपोर्ट का इंतजार तो किया नहीं जा सकता है।

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प्रियंका ने कहा- न्यायिक जांच हो 

उत्तर प्रदेश में गावों की हालत पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया है। प्रियंका ने ट्वीट में लिखा है कि खबरों के अनुसार बलिया, गाजीपुर में शव नदी में बह रहे हैं और उन्नाव में नदी के किनारे सैकड़ों शवों को दफना दिया गया है। 

लखनऊ, गोरखपुर, झांसी, कानपुर जैसे शहरों में मौत के आंकड़े कई गुना कम करके बताए जा रहे हैं। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में हद से ज़्यादा अमानवीयता हो रही है। सरकार अपनी इमेज बनाने में व्यस्त है और जनता की पीड़ा असहनीय हो चुकी है। इन मामलों पर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की निगरानी में तुरंत न्यायिक जांच होनी चाहिए।

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कुमार तथागत

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