उत्तर प्रदेश में दलित उत्पीड़न की एक और घटना सामने आई है। घटना गोरखपुर की है, जहां एक नाबालिग लड़की के साथ दो लोगों ने बलात्कार किया और हैवानियत की हदें पार करते हुए उसके बदन को सिगरेट से दाग भी दिया।
उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में महिलाओं और दलितों के उत्पीड़न की कई घटनाएं सामने आई हैं। न्यूज़ एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, पुलिस ने बताया कि यह घटना गोरखपुर के गोला इलाके में हुई।
नाबालिग लड़की अचेत अवस्था में मिली और जिला अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है। पुलिस ने इस मामले में देहरीभर गांव के रहने वाले अर्जुन और एक अज्ञात व्यक्ति के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है। यह केस नाबालिग की मां की शिकायत पर दर्ज किया गया है।
नाबालिग के पिता ईंट भट्ठा मजदूर हैं। पीटीआई के मुताबिक़, बीते शुक्रवार की रात को नाबालिग पास के एक हैंड पंप पर पानी लेने गई थी। इसी दौरान दोनों अभियुक्त उसे जबरन मोटरसाइकिल पर बैठाकर गांव में बनी एक झोपड़ी में ले गए और बलात्कार किया। यह भी आरोप है कि उन्होंने लड़की के शरीर को कई जगह सिगरेट से जलाया, जिससे वह बेहोश हो गई। इसके बाद दोनों अभियुक्त मौके से भाग गए।
पीटीआई के मुताबिक़, एसएसपी सुनील कुमार गुप्ता ने कहा कि इस मामले में अपहरण, सामूहिक बलात्कार और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत दोनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया गया है।
आज़मगढ़ में दलित प्रधान की हत्या!
आज़मगढ़ में हुई दलित उत्पीड़न की एक ताज़ा घटना में सत्यमेव जयते नाम के ग्राम प्रधान की हत्या कर दी गई। बांसगांव में हुई इस घटना में आरोप लगा है कि कथित रूप से गांव के सवर्णों ने दलित प्रधान की हत्या कर दी। सत्यमेव जयते के भतीजे लिंकन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह हत्या जातीय नफ़रत की वजह से हुई। लिंकन के मुताबिक़, सवर्ण लोग एक दलित के प्रधान बनने और उनके सामने उसके तन कर खड़े होने को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे।
सत्यमेव की कथित हत्या के बाद गांव के लोगों में गुस्सा फैल गया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया और इस पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना के बाद दलित बहुल इस गांव में ज़बरदस्त तनाव है और पुलिस तैनात की गई है।
हाल ही में बेंगलुरू में हुई एक वारदात में एक सवर्ण की मोटर साइकिल छू लेने के कारण एक दलित को कथित तौर पर नंगा कर बुरी तरह पीटा गया था। उसके परिवार वालों को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें भी बुरी तरह मारा-पीटा गया था। इस घटना का वीडियो वायरल हुआ था।
सांसद के साथ भी दलित उत्पीड़न
उत्पीड़न का दंश केवल आम दलितों को ही नहीं बल्कि सांसद जैसे आला पदों पर बैठे हुए दलित जनप्रतिनिधियों को भी झेलना पड़ता है। कुछ महीने पहले कर्नाटक के चित्रदुर्ग से बीजेपी के एक दलित सांसद को एक गांव में वहां के लोगों ने आने ही नहीं दिया था। सांसद का नाम ए. नारायणस्वामी है। जब यह घटना हुई तो सांसद अपने साथियों के साथ गांव में विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए जा रहे थे।
इस तरह की सैकड़ों घटनाएं आए दिन देश के कई जिलों से सामने आती हैं और ऐसा नहीं लगता कि इनमें शामिल अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कोई कठोर कार्रवाई होती हो। अगर होती तो उत्पीड़न करने वालों का दुस्साहस इतना नहीं बढ़ता।
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