loader

कमलेश मर्डर: हत्यारों ने मारे 15 चाकू, जिंदा बचने की गुंजाइश नहीं छोड़ी

हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष रहे कमलेश तिवारी की हत्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई है। रिपोर्ट से साफ़ है कि हत्यारों के अंदर तिवारी के ख़िलाफ़ नफ़रत इस हद तक भरी हुई थी कि उन्होंने तिवारी को कम से कम 15 चाकू मारे और गोली भी मारी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से साफ़ है कि हत्यारे अशफाक़ और मोइनुद्दीन यह तय करके आये थे कि उन्होंने कमलेश तिवारी को किसी भी हाल में जिंदा नहीं छोड़ना है। अशफाक़ और मोइनुद्दीन को 22 अक्टूबर को पुलिस ने गुजरात-राजस्थान बॉर्डर के पास से पकड़ लिया था। दोनों हत्यारे भगवा कुर्ते पहनकर उनसे मिले थे और अशफाक़ शेख रोहित सोलंकी बनकर तिवारी की पार्टी से जुड़ा हुआ था। 
ताज़ा ख़बरें

लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में तिवारी के शव का पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तिवारी के सीने की बायीं तरफ़ एक ही जगह पर सात बार चाकू मारे गए हैं। इससे पता चलता है कि तिवारी के हत्यारे इस बात को जानते थे कि उन्हें किस जगह ऐसा वार करना है, जिससे तिवारी के बचने की एक फ़ीसद भी गुंजाइश न रहे। 

यूपी पुलिस के डीजीपी ने कहा था कि हत्यारे तिवारी के द्वारा पैंगबर साहब को लेकर दिये गये बयान को लेकर बेहद नाराज़ थे और इसीलिए उन्होंने हत्या की वारदात को अंजाम दिया है। इस बात की पुष्टि गुजरात एटीएस की ओर से भी की गई है। 

उत्तर प्रदेश से और ख़बरें
अंग्रेजी अख़बार ‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट की कॉपी है। इसमें लिखा है कि तिवारी के सीने में चाकू के वार से 3-4 सेमी का एक गड्ढा बन गया है। इसके अलावा दो और घाव के निशान हैं, जिनमें से एक उनके गले के काटने का भी है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि हत्यारों ने कम से कम एक गोली भी तिवारी के चेहरे पर मारी थी।
पुलिस इस बात को लेकर हैरान है कि आख़िर तिवारी की पत्नी और सुरक्षा गार्ड ने गोली की आवाज़ क्यों नहीं सुनी। जबकि ये दोनों हत्या की घटना के दौरान घर की निचली वाली मंजिल पर ही थे।

टीओआई के मुताबिक़, पुलिस इस बात की जाँच कर रही है कि पिस्टल तिवारी के घर पर कैसे मिली। क्या यह पिस्टल अशफाक़ और मोइनुद्दीन अपने साथ लाये थे या यह वहाँ पहले से थी।

संबंधित ख़बरें

रणनीति बनाकर आये थे हत्यारे

तिवारी के हत्यारे पूरी रणनीति बनाकर ही सूरत से लखनऊ आये थे। लखनऊ पहुंचने के बाद उन्होंने तिवारी को फ़ोन भी किया था और हत्या से पहले भी उन्होंने तिवारी को फ़ोन कर मिलने आने की बात कही थी। इसके बाद तिवारी ने उनका अच्छा स्वागत भी किया था। हत्यारे इस मौक़े की तलाश में थे कि किसी तरह तिवारी अकेले हो जाएँ, इसीलिए उन्होंने तिवारी के कार्यालय सहायक सौराष्ट्रजीत को सिगरेट-मसाला लाने के लिए कहा। इस बीच तिवारी थोड़ी देर के लिए अलग हुए और जब तक सौराष्ट्रजीत कमरे में पहुंचा, हत्यारे वारदात को अंजाम देकर जा चुके थे। 

कमलेश तिवारी की हत्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद कई गंभीर बातें सामने आती हैं।  

1 - हत्यारे यह तय करके आये थे कि तिवारी को किसी भी क़ीमत पर जिंदा नहीं छोड़ना है, इसलिए उन्होंने 1-2 नहीं, 15 बार वार किये, वह भी ताबड़तोड़। 

2- हत्यारों ने सीने में बायीं तरफ़ एक ही जगह पर 7 वार किये। बायीं ओर दिल होता है और हत्यारे जानते थे कि अगर चाकू के वार से दिल फट गया तो तिवारी किसी भी हालत में जिंदा नहीं बचेंगे। 

3 - इतने वार करने के बाद भी हत्यारे नहीं रुके, और उन्होंने तिवारी का गला भी रेता। 

4 - इस सबके बाद हत्यारों ने तिवारी को गोली भी मारी और 100% सुनिश्चित किया कि तिवारी मर चुके हैं। 

एक गंभीर सवाल यह भी है कि अगर हत्यारों के मन में इतनी नफ़रत ना होती तो क्या वे इतनी क्रूरता से उन्हें मारते, एक के बाद एक 15 चाकू मारते?, सीने की बायीं तरफ़ ही 7 वार करते?, उसके बाद गला भी रेतते? और फिर क्या गोली भी मारते? इसका मतलब तय है कि हत्यारों के अंदर तिवारी के लिये नफ़रत बहुत ज़्यादा थी और उनकी जान लेना ही उनका एकमात्र मक़सद था। 

तिवारी की हत्या के बाद पुलिस ने इस मामले में गुजरात पुलिस के द्वारा दो साल पहले दायर की गई चार्जशीट को भी खंगाला था। चार्जशीट के मुताबिक़, कुख्यात आतंकवादी संगठन आईएसआईएस के दो आतंकवादियों कासिम स्तिमबरवाला और ओबेद मिर्ज़ा ने पुलिस को बताया था कि वे तिवारी की हत्या करने की योजना बना रहे थे। पुलिस ने इन दोनों को अक्टूबर, 2017 में गिरफ़्तार किया था। 

अशफाक़ और मोइनुद्दीन के अलावा पुलिस ने तिवारी की हत्या की साज़िश रचने के आरोप में मौलाना मोहसिन शेख, फ़ैज़ान और राशिद अहमद पठान को हत्या के दूसरे दिन ही सूरत से हिरासत में ले लिया था। इनमें फैजान ने सूरत में एक दुकान से मिठाई खरीदी थी और इस दुकान का बिल घटनास्थल पर मिला था। हत्यारे मिठाई के डिब्बे में ही पिस्टल और चाकू छिपाकर लाए थे। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें