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क्या योगी सरकार ने शिक्षकों की भर्ती में आरक्षण में किया घालमेल?

क्या आपको पता है कि उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के लिए हुई एक परीक्षा में ओबीसी-एससी/एसटी श्रेणी का कट ऑफ़ सामान्य श्रेणी के कट ऑफ़ से ऊपर था? यानी, रिजर्वेशन श्रेणी के कैंडिडेटेस को सामान्य श्रेणी के कैंडिडेट्स से अधिक नंबर पर चुना गया।  है न अद्भुत बात! इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ सरकार की मंशा पर सवाल उठता है। सवाल यह है कि क्या यह आरक्षण के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है? सवाल यह भी उठता है कि क्या बीजेपी सरकार ने जानबूझ कर आरक्षण में चोरी छिपे सेंध लगाई है? 

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उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में चयन की प्रक्रिया हैरान करने वाली है। इसने कॉलेज लेक्चरर और प्रोफ़ेसर की बहाली के लिए जो परीक्षाएँ लीं, उसमें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारो का इंटरव्यू के लिए चुनाव सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से अधिक नंबर पर किया गया। आयोग ने 16 विषयों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए परीक्षाएं लीं और इंटरव्यू के लिए बुलाया। इनमें से 14 विषयों में आरक्षित श्रेणी का कट ऑफ़ सामान्य श्रेण की कट ऑफ़ से ऊपर था, यानी अधिक नंबर पर चुनाव हुआ। सिर्फ वाणिज्य और सैन्य विज्ञान विषय ही अपवाद रहे। 
आरक्षण में गड़बड़ी
आयोग के परिणाम को देखने से ऐसा लगता है कि ओबीसी में आने वाली करीब 52 प्रतिशत आबादी को ओबीसी में निकली कुछ मामूली वैकेंसीज में समेट दिया गया। इस ओबीसी वर्ग में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल होते हैं और सामान्य की तुलना में ओबीसी की सीटें बहुत मामूली होने के कारण उनके चयन की मेरिट सामान्य से बहुत ज़्यादा चली गई है। 
किसी भी परीक्षा में सामान्य सीटों का यह आशय नहीं होता है कि वे सभी सीटें गैर-आरक्षण वाले अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित हो गई हैं। सामान्य सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति और जनजाति (एससी और एसटी), महिलाएँ, विकलाँग या किसी भी श्रेणी के अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं।

मामला क्या है?

इतिहास विषय में कुल 3230 अभ्यर्थियों परीक्षा के लिए बुलाया गया, जिनमें से 2007 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग के 203, अन्य पिछड़ा वर्ग के 28 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 13 अभ्यर्थी सफल घोषित किए गए हैं। इसमें सामान्य वर्ग का कट ऑफ़ अंक 157.14, ओबीसी का 163.27 और एससी-एसटी का 146.94 है। इन्ही सीटों में कोटा के मुताबिक महिलाओं का भी आरक्षण होता है, जिसमें सामान्य महिला का कट ऑफ़ 148.98 और ओबीसी महिला का कट ऑफ़ 159.18 अंक है। 
OBC/SC/ST candidates higher cut off than General category in Yogi UP - Satya Hindi
भूगोल विषय में 3684 विद्यार्थी लिखित परीक्षा के लिए बुलाए गए, जिनमें 2421 परीक्षा में शामिल हुए। इनमें सामान्य वर्ग के 163, अन्य पिछड़ा वर्ग के 79, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 28 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए हैं। इनमें से सामान्य का कट ऑफ अंक 149.47, ओबीसी का 153.68 और एससी-एसटी का 153.68 है। 

क्या हुआ उर्दू में?

उर्दू विषय में 11 पदों के लिए कुल 688 अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए आमंत्रित किया गया, जिनमें से 439 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। इनमें सामान्य वर्ग के 60, ओबीसी के 5 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 5 अभ्यर्थियों को उत्तीर्ण घोषित किया गया है। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 145, ओबीसी का 165.66 और एससी-एसटी का 115.15 है।
OBC/SC/ST candidates higher cut off than General category in Yogi UP - Satya Hindi
सहायक आचार्य, अंग्रेजी के 147 पद के लिए लिखित परीक्षा में 1415 अभ्यर्थियों को बुलाया गया, जिनमें से 746 लिखित परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग के 446, अन्य पिछड़ा वर्ग के 198, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 71 अभ्यर्थी उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं। सामान्य का कट ऑफ अंक 53.06, ओबीसी का 73.47, एससी-एसटी का 55.10 है। सहायक आचार्य, राजनीति शास्त्र के 121 पदों के लिए 2885 अभ्यर्थियों को बुलाया गया, जिनमें से 1,747 अभ्यर्थी ने लिखित परीक्षा में हिस्सा लिया। सामान्य वर्ग के 546, अन्य पिछड़ा वर्ग के 110 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 66 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए उत्तीर्ण घोषित किया गया है। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 115.15, ओबीसी का 127.27 और एससी-एसटी का 117.17 है। 

समाजशास्त्र के 273 पदों के लिए 4097 अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया, जिनमें से 2715 अभ्यर्थी लिखित परीक्षा में शामिल हुए। इनमें सामान्य वर्ग के 838, ओबीसी के 355, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 217 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए उत्तीर्ण घोषित किया गया है। सामान्य वर्ग का कट ऑफ 103.37, ओबीसी का 130.34 और एससी-एसटी का कट ऑफ अंक 112.36 है। 
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शारीरिक शिक्षा में 60 पदों के लिए 1145 अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए आमंत्रित किया गया, जिनमें से 777 अभ्यर्थियों ने परीक्षा दी। इनमें से सामान्य वर्ग के 302, अन्य पिछड़ा वर्ग के 26 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 10 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए बुलाए गए। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 103.09, ओबीसी का 123.71, एससी-एसटी का कट ऑफ अंक 107.22 है। 
सैन्य विज्ञान के 20 पदों के लिए 427 अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया, जिनमें से 278 अभ्यर्थी  परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग के 56, अन्य पिछड़ा वर्ग के 28 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 20 अभ्य़र्थी साक्षात्कार के लिए चुने गए हैं। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 126.09, ओबीसी का 121.77 और एससी-एसटी का कट ऑफ अंक 104.35 है।  
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गृह विज्ञान के 5 पदों के लिए 765 अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा में आमंत्रित किया गया जिनमें से 360 अभ्यर्थी ही परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग में 15, अन्य पिछड़ा वर्ग में 5 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति श्रेणी में 7 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए चुना गया है। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 144.09, ओबीसी का 144.09, एससी-एसटी का कट ऑफ अंक 131.18 है। 
वाणिज्य विषय के 10 पदों के लिए 1090 अभ्यर्थियों को लिखित परीक्षा के लिए बुलाया गया, लेकिन  529 विद्यार्थी ही परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग के 22, अन्य पिछड़ा वर्ग के 15 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के 20 अभ्यर्थी मुख्य परीक्षा के लिए चयनित हुए। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 135.42, ओबीसी का 130.52 और एससी-एसटी का 118.75 है।
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वाणिज्य विषय की 60 सीटों के लिए लिखित परीक्षा में 2191 अभ्यर्थियों को आमंत्रित किया गया, जिनमें से 1097 अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हुए। इनमें से सामान्य वर्ग में 55, ओबीसी में 154 और अनुसूचित जाति एवं जनजाति में 102 अभ्यर्थी साक्षात्कार के लिए उत्तीर्ण घोषित किए गए हैं। सामान्य वर्ग का कट ऑफ अंक 133.33, ओबीसी का 107.07, एससी-एसटी का कट ऑफ अंक 84.84 है। सहायक अध्यापक वाणिज्य के लिए यह अलग परिणाम है। 
सिर्फ 24 जून 2019 को जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक सफल अभ्यर्थियों की सूची आई है। यह समाज शास्त्र, शारीरिक शिक्षा, सैन्य विज्ञान, गृह विज्ञान और वाणिज्य विषयों के लिए है। 
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस तरह की शिकायतें आ रही थीं कि आरक्षित वर्ग को सिर्फ उनके कोटे में नौकरियाँ दी जा रही हैं, उन्हें सामान्य सीटों पर नहीं लिया जा रहा है। इसे देखते हुए कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने 4 अप्रैल 2018 को सीधी भर्तियों में अन्य पिछड़े वर्ग की नियुक्ति से संबंधित नए दिशानिर्देश जारी किए गए।

केंद्र सरकार की नौकरियों व सेवाओं में आरक्षित वर्ग यानी ओबीसी, एससी, और एसटी अभ्यर्थी, जो सामान्य अभ्यर्थियों के मानकों के मुताबिक चयनित होंगे, उन्हें आरक्षित रिक्तियों में समायोजित नहीं किया जाएगा। उन्हें तभी आरक्षित श्रेणी में शामिल किया जाएगा, जब उन्होंने आयु सीमा, अनुभव, योग्यता, लिखित परीक्षा में शामिल होने की संख्या जैसी सुविधाओं का लाभ उठाया हो। ऐसे अभ्यर्थियों को आरक्षित रिक्तियों में गिना जाएगा।


केंद्र सरकार के कार्मिक विभाग का नोटिस

केंद्र सरकार ने नए सिरे से सफाई दी है। इसमें कहा गया है कि अगर आरक्षित वर्ग का कोई अभ्यर्थी सामान्य वर्ग के मानकों के मुताबिक चयनित होता है तो उसे आरक्षित की हुई रिक्तियों में समायोजित नहीं किया जाएगा। उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग में विभिन्न विषयों के लिए चयनित अभ्यर्थियों की कहानी कुछ और ही बयान कर रही है। यह कुछ उसी तरह से है, जैसे 75 सीटों की बस में 5 सीटें महिला के लिए आरक्षित हों और महिलाओं को उन 72 में से सिर्फ 5 सीटों पर ही बैठने दिया जाए, शेष 70 सीटों पर पुरुष कब्जा जमा लें। 
लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या यह भूल से हुआ है या सोची समझी रणनीति के तहत किया गया है? कारण जो हो, यह साफ़ है कि आरक्षित वर्ग के लोगों को नुक़सान हुआ है और सामान्य वर्ग के लोगों को फ़ायदा। विश्वविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति के मामले में बीजेपी की केंद्र सरकार पर आरोप लगा था कि उसने रोस्टर प्रणाली का इस्तेमाल इसलिए किया था ताकि सामान्य श्रेणी के लोगों को लाभ पहुँचाया जा सके। क्या वैसा ही उत्तर प्रदेश सरकार ने नहीं किया है? अगला सवाल यह है कि इसके लिए ज़िम्मेदार कौन है? इसकी ज़िम्मेदारी कौन लेगा? क्या उत्तर प्रदेश सरकार इसकी ज़िम्मेदारी लेगी? इस पूरे मामले में राहत की बात यह है कि अब तक सिर्फ़ इंटरव्यू हुए हैं, अंतिम रिजल्ट और नियुक्ति नहीं। इसे अभी रोका जा सकता है और पूरी प्रक्रिया को एक बार फिर दुहराया जा सकता है। 
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प्रीति सिंह

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