प्रियंका गाँधी पूरे जोश में हैं। उत्तर प्रदेश में वेंटिलेटर पर चली गई कांग्रेस में नई जान फूंकने के लिए प्रियंका अपने काफ़िले के साथ एक जिले से दूसरे जिले में दौड़ लगा रही हैं। प्रियंका लोगों से मिल रहीं हैं और पीड़ितों को ढांढस बंधा रही हैं कि वह उन्हें न्याय दिलाने की भरसक कोशिश करेंगी। प्रियंका के ताबड़तोड़ दौरों के बाद बीएसपी प्रमुख मायावती का ट्वीट कर प्रियंका पर हमला बोलना दर्शाता है कि कहीं न कहीं उनके मन में प्रियंका की गतिविधियों को लेकर खौफ़ बैठ चुका है। उन्हें कहीं न कहीं यह ख़तरा महसूस हो रहा है कि उत्तर प्रदेश और खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रियंका गाँधी के ताबड़तोड़ दौरे उनकी राजनीतिक ज़मीन में सुराख कर सकते हैं।
बसपा का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण या वोटों का गणित दलित-मुसलिम गठजोड़ से बनता है, जबकि कभी यह गठजोड़ कांग्रेस की सियासी जमीन का आधार था। प्रियंका की कार्यशैली और तूफानी दौरों से यह बात भी साफ़ समझ में आती है कि कांग्रेस की उत्तर प्रदेश में दलितों और मुसलिमों पर निगाह है। पर क्या सत्ता में वापसी का लक्ष्य इतने भर से ही संभव हो सकेगा?
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 20 दिसंबर, 2019 को नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में प्रदर्शनों के दौरान हुए बवाल के बाद पुलिस एक्शन में हताहत हुए नागरिकों की कुशल-क्षेम लेने राजनीति के बाज़ीगरों में सबसे पहले प्रियंका गाँधी उतरीं। प्रियंका सबसे पहले बीएसपी के गढ़ माने जाने वाले बिजनौर के नहटौर इलाक़े में पीड़ितों के घर पहुंचीं। नहटौर में हुए उपद्रव के दौरान गोलीबारी में मारे गए एक शख़्स के परिवार के साथ वह काफ़ी समय तक रुकीं और इस वजह से उनका उस दिन मेरठ के पीड़ितों से मिलने का कार्यक्रम भी रद्द हो गया। पर इसके दो दिन बाद ही राहुल और प्रियंका मेरठ पहुंच गए लेकिन पुलिस-प्रशासन ने धारा 144 का नोटिस पकड़ाकर उन्हें वापस दिल्ली लौटने को मजबूर कर दिया।
बेकसूरों की लड़ाई लड़ने का वादा
4 जनवरी, 2020 को प्रियंका मुज़फ़्फरनगर पहुंचीं। सबसे पहले वह पुलिस की पिटाई से घायल हुए बुजुर्ग मौलाना के पास गईं और कहा कि कांग्रेस बेकसूर पीड़ितों को न्याय दिलाने और जुर्म करने वाले पुलिसकर्मियों के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ेगी और मजलूमों का भी पूरा साथ देगी। इसके बाद प्रियंका पुलिस की गोली का शिकार हुए हाजी नूर के घर जाकर उनके बच्चों से मिलीं और फिर उस घर में पहुंच गईं जहां एक लड़की के निकाह के लिए इकट्ठा किया गया सामान पुलिसबल द्वारा तोड़-फोड़ देने का आरोप था। इसके बाद उन्होंने रुंधे गले से मीडिया को पुलिस अत्याचार की कहानी सुनाई। प्रियंका ने बुजुर्ग मौलाना को बेरहमी से पीटने और उस लड़की के माथे पर पुलिस की पिटाई से आए 16 टांकों की कहानी बयां करते हुए अपनी संवेदनाओं को उजागर किया। साथ ही वही बात दोहराई कि कांग्रेस पीड़ितों के साथ खड़ी है।
पुलिस को दिया चकमा
इसके बाद जैसे ही प्रियंका मेरठ पहुंचीं तो पुलिस-प्रशासन ने मेरठ की सीमा में घुसते ही धारा 144 का नोटिस उन्हें थमा दिया लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी मुस्तैद थी और पहले से ही मेरठ के कथित पीड़ित परिवारों को बाईपास स्थित एक कॉलोनी में एक कांग्रेस कार्यकर्ता के घर पहुंचा दिया गया था। प्रियंका शहर में न जाकर नियोजित कार्यक्रम के मुताबिक़ वहीं जाकर पीड़ित परिवारों से मिलीं। इस दौरान लोगों का हुजूम उमड़ आया था। निष्क्रिय कांग्रेसी कार्यकर्ता भी अपनी नेता के पास तक पहुंचने के लिए धक्कामुक्की कर रहे थे। अराजकता जैसा माहौल था जिसे नियंत्रित करने में कांग्रेसी ही जुटे हुए थे।
प्रियंका अंदर कमरे में पीड़ितों के आंसू पोंछ रहीं थीं, उनको हौसला दे रहीं थीं और मदद का पूरा भरोसा भी। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान आसपास के लोगों का मन टटोलने को जब मैंने एक व्यक्ति से पूछा तो वह तपाक से बोला- अजी मोदी बड़ा चतुर है, इनके वश की कुछ नहीं उनके सामने। हम्म की ध्वनि के साथ मैंने फिर एक सवाल उछाला कि बीजेपी से यूपी में यही टक्कर ले रही हैं तो उसने कहा कि जो चुप हैं उन्हें अपना कमाया माल भी तो बचाना है। एक मौलाना मिले तो बोले कि कांग्रेस से हमें कोई दिक्कत नहीं लेकिन सिर्फ हमारे वोटों से तो इनका काम नहीं चलेगा! अगर चलता होता तो पिछली बार ही इनकी झोली में वोट न डाल दिए होते!
ऐसी ही बहुत सी बातें इधर-उधर हवा में तैरती हुई कानों तक पहुंचती रहीं। इन सब बातों को सुनकर प्रियंका गाँधी की मीडिया ब्रीफिंग में कही गई एक बात दिमाग में अटक गई। प्रियंका ने कहा कि दोषियों को सजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम गुनहगारों पर कार्रवाई के पक्ष में हैं लेकिन बेकसूर लोगों पर जुल्म बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
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