कोरोना संक्रमण के संकट के बीच अयोध्या में राम नवमी पर प्रभु राम का प्राकट्योत्सव लाखों की भीड़ में नहीं रही, बल्कि यह सन्नाटे में मनाया गया। लॉकडाउन के कारण पूरा शहर सील है और इस कारण अयोध्या के क़रीब पाँच हज़ार मंदिरों में होने वाले राम जन्मोत्सव को भी मंदिरों के गर्भगृहों तक सीमित कर दिया गया। कहा जा रहा है कि सैकड़ों साल में पहली बार ऐसे सन्नाटे के माहौल में प्रभु का जन्मोत्सव मनाया गया।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग सबसे महत्वपूर्ण और कारगर उपाए है इसलिए लोगों को इकट्ठे होने पर पाबंदी थी। इसी कारण रामनवमी पर प्रभुराम की धार्मिक नगरी वीरान दिखी। सरयू नदी पर जहाँ हर साल 15 लाख की भीड़ स्नान के लिए जुटती थी, वहाँ सन्नाटा पसरा रहा। जिस तरह से पुजारी ठाकुर जी की पूजा लॉकडाडन में कर रहे थे उसी तरह से रामनवमी के दिन भी की गई। अयोध्या के मंदिरों के संत-महंतों को कनक भवन व प्रमुख मंदिरों में जाने की अनुमति नहीं दी गई।
इस साल मंदिरों के पुजारियों व सुरक्षा कर्मियों के बीच ही भए प्रकट कृपाला दीन दयाला का उद्घोष सीमित होकर रह गया। कनक भवन, जन्म भूमि दशरथ महल, जानकी महल, रंग महल, राम बल्लभाकुंज जैसे प्रमुख मंदिरों में भी राम जन्मोत्सव मंदिरों के गर्भगृहों में पूजा-आरती राग-भोग तक ही सीमित रहा। मेलाधिकारी एडीएम सिटी वैभव शर्मा के मुताबिक़ पूरी तरह से लॉकडाउन का पालन करवाया गया। उन्होंने कहा कि मंदिरों में राम का जन्मोत्सव पुजारियों तक ही सीमित कर दिया था। अयोध्या की सीमाएँ सील कर दी गई हैं जिससे बाहर से किसी श्रद्धालु का प्रवेश लॉकडाउन के दौरान न हो सके।
लाइव प्रसारण का कार्यक्रम भी निरस्त
वर्षों से कनक भवन से जन्मोत्सव के दिन दोपहर 12 बजे राम जन्मोत्सव का दूरदर्शन से लाइव प्रसारण की व्यवस्था रहती थी। इस साल भी राम जन्म भूमि परिसर में नए अस्थाई मंदिर में विराजमान भगवान राम लला के जन्मोत्सव का लाइव प्रसाारण करवाने की योजना थी। मेलाधिकारी शर्मा के मुताबिक़ लॉकडाउन में लाइव प्रसारण का कार्यक्रम भी निरस्त कर दिया गया।
जन्मभूमि मंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास के मुताबिक़ जिस तरह से इस साल राम लला के जन्मोत्सव मनाने की योजना थी, कोरोना संकट के चलते निरस्त कर दी गई है। इस साल सीमित साधनों में जन्मोत्सव बिना श्रद्धालुओं के मनाया गया। प्रसाद में पंजीरी-लड्डू आदि व फलाहारी की मात्रा भी काफ़ी कम कर दी गई।
एसपी ग्रामीण एस के सिंह ने बताया कि हालाँकि ज़िले की सीमाएँ सील करके राम नवमी के एक दिन पहले से ही पूरी सख़्ती से लॉकडाउन को लागू किया गया, लेकिन लोगों ने ख़ुद ही घरों से न निकल कर अपने घरों में ही रामनवमी का अनुष्ठान किया।
राम मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास ने बताया कि राम जन्मोत्सव पर प्रभुराम से इस संकट से मुक्त करने के लिए प्रार्थना की गई। लोगों ने अपने घरों पर ही सुदरकांड का पाठ किया और राम नवमी के सभी अनुष्ठान भी किए।
अपनी राय बतायें