loader
फ़ोटो साभार: ट्विटर/कमाल ख़ान/वीडियो ग्रैब

कानपुर: मुसलिम पर हमले के गिरफ़्तार तीनों आरोपियों को 24 घंटे में जमानत

कानपुर में एक मुसलिम पर हमले और जबरन 'जय श्री राम' के नारे लगवाने के आरोप में गिरफ़्तार तीनों लोगों को शुक्रवार को ज़मानत दे दी गई है। जमानत संबंधित थाने ने ही दी है। आरोपियों के ख़िलाफ़ लगाई गई क़ानून की धाराओं में सात साल से कम की सजा का प्रावधान है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने कहा है कि उचित प्रक्रिया का पालन किया गया और अन्य आरोपियों को पकड़ने के प्रयास जारी है। इस गिरफ़्तारी के विरोध में एक भीड़ ने प्रदर्शन किया था। उन्होंने उनको रिहा करने की मांग की थी। कहा जा रहा है कि प्रदर्शन करने वालों में अधिकतर बजरंद दल से जुड़े लोग थे।

यह मामला उससे जुड़ा है जिसमें एक वीडियो में दिख रहा था कि एक मुसलिम रिक्शेवाले को सड़क पर घुमाया गया, मारपीट की गई और 'जय श्री राम' के नारे लगवाए गए। भीड़ से घिरे मुसलिम व्यक्ति को कई लोग पकड़े होते हैं। उस बीच पीड़ित की छोटी बच्ची भीड़ के सामने गिड़गिड़ाते रहती है कि उसके पिता को वे छोड़ दें। आख़िर में उस व्यक्ति को पुलिस के हवाले कर दिया गया। वीडियो में यह भी दिखता है कि पुलिस की हिरासत में भी कुछ लोग इस व्यक्ति पर हमला करते हैं। 

ताज़ा ख़बरें

इसी मामले में पुलिस ने गुरुवार को राहुल, अमन और राजेश नाम के तीन युवकों को गिरफ़्तार किया। इस मामले में पुलिस ने गुरुवार को दिन में ही मामला दर्ज किया था। पुलिस ने कहा था कि थाना क्षेत्र के बर्रा में राम गोपाल चौराहे के पास कच्ची बस्ती में मारपीट की घटना का वीडियो वायरल हुआ था। इस मामले में कानपुर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रवीना त्यागी ने बयान में कहा था, 'हमने एक व्यक्ति के साथ मारपीट का वीडियो देखा है। पीड़ित की शिकायत के आधार पर हमने प्राथमिकी दर्ज की है और हम क़ानूनी प्रक्रिया को अंजाम दे रहे हैं।'

इसी क़ानूनी प्रक्रिया के तहत जब तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया तो इसके विरोध में भीड़ ने पुलिस के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया। निष्पक्ष जाँच के बारे में पुलिस से 'आश्वासन' के बाद ही भीड़ यह कहकर गई कि अगर गिरफ्तार किए गए लोगों को जल्द रिहा नहीं किया गया तो वे वापस लौट आएँगे।

सोशल मीडिया पर इस गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ किए गए प्रदर्शन का वीडियो लोगों ने शेयर किया। विनोद कापड़ी ने ऐसे ही एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए लिखा है, 'बर्बरता के बाद उन्मादी भीड़ सड़क पर है। यूपी में क़ानून का राज है कि नहीं?'

बता दें कि इससे पहले गुरुवार को एक बयान में कानपुर पुलिस ने कहा था कि उन्होंने मारपीट करने वाले व्यक्ति की शिकायत के आधार पर एक शादी का बैंड चलाने वाले एक स्थानीय व्यक्ति, उसके बेटे और क़रीब 10 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ दंगा करने का मामला दर्ज किया है। पीड़ित ई-रिक्शा चालक ने अपनी शिकायत में कहा था, 'मैं दोपहर क़रीब 3 बजे अपना ई-रिक्शा चला रहा था, जब आरोपी ने मुझे गालियाँ देना और मारपीट करना शुरू कर दिया और मुझे और मेरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी। मैं पुलिस की वजह से बच गया।' 

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना उस एक चौराहे से 500 मीटर की दूरी पर हुई, जहाँ दक्षिणपंथी समूह बजरंग दल ने एक बैठक की। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उस बैठक में संगठन के लोगों ने दावा किया कि इलाक़े के मुसलमान अपने इलाक़े में एक हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करने की कोशिश कर रहे थे। कथित तौर पर हमला बैठक के ठीक बाद हुआ।

हालाँकि पुलिस ने यह नहीं बताया है कि मुसलिम व्यक्ति से मारपीट करने के मामले में नामित व्यक्ति संगठन से जुड़ा है या नहीं। 

पीड़ित व्यक्ति इलाक़े के एक मुस्लिम परिवार का रिश्तेदार है जिसका अपने हिंदू पड़ोसियों के साथ क़ानूनी विवाद है। कानपुर पुलिस के बयान में कहा गया है कि जुलाई में दोनों परिवारों ने एक दूसरे के ख़िलाफ़ स्थानीय थाने में मामला दर्ज कराया था।

कानपुर की इस घटना में जिस तरह से 'जय श्री राम' के नारे लगवाने का मामला आया है वैसा ही मामला दिल्ली के जंतर मंतर पर पिछले रविवार को आया था। दिल्ली के जंतर-मंतर पर रविवार को जिस मार्च में मुसलिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत उगली गई उसमें 'जय श्री राम' के नारे लगवाने के लिए पत्रकार को कथित तौर पर डराया-धमकाया गया और उनसे धक्का-मुक्की की गई। पत्रकार उस मार्च की रिपोर्टिंग कर रहे थे तभी उसमें शामिल लोगों की भीड़ ने उन्हें घेर लिया। नेशनल दस्तक वेबसाइट से जुड़े पत्रकार अनमोल प्रीतम ने आरोप लगाया है कि इसके बाद उन्हें 'डरा धमकाकर जय श्री राम बुलवाने की कोशिश की गई' और जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया तो उनके साथ 'धक्का मुक्की भी की गई।' 

ख़ास ख़बरें
जंतर मंतर पर वह कार्यक्रम 'औपनिवेशिक युग के क़ानूनों के ख़िलाफ़' हुआ था। उसमें मुसलिमों के ख़िलाफ़ जहर उगलने वाले नारे लगाए जाने के कई वीडियो सामने आए थे। काफ़ी दबाव के बाद इस मामले में कार्रवाई हुई थी और बीजेपी सदस्य अश्विनी उपाध्याय सहित छह लोगों को गिरफ़्तार किया गया था। लेकिन बाद में अश्विनी उपाध्याय को ज़मानत भी मिल गई है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें