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मारे गए मुसलिमों के वहां जाने से मंत्री का इनकार, बोले - उपद्रवियों के वहां क्यों जाऊं

जनता के वोटों से चुनी गई सरकार का क्या धर्म होता है। संविधान कहता है- जनता का कल्याण करना किसी भी जनप्रतिनिधि का पहला दायित्व है और इसमें जाति, भाषा, धर्म और क्षेत्र का कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता। मंत्री पद की शपथ लेते वक़्त यही पढ़ा जाता है - ‘मैं संघ के मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अंतःकरण से निर्वहन करूँगा तथा मैं भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूँगा।’ 
लेकिन जब किसी प्रदेश की सरकार के मंत्री खुलेआम और पूरी दादागिरी के साथ समाज के एक वर्ग को उपद्रवी बताएं, उन्हें असामाजिक कहें तो ऐसे में उनकी मंशा पर सवाल ज़रूर खड़े होंगे। सवाल यह खड़ा होगा कि आख़िर उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया। क्या वह समाज के एक वर्ग को खुलेआम उपद्रवी और असामाजिक बताकर समाज में विभाजन कराना चाहते हैं। पहले आपको बताते हैं कि ये मंत्री महोदय कौन हैं और किस मौक़े पर उन्होंने ऐसा बयान दिया है। 
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मंत्री का नाम है कपिल देव अग्रवाल। नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों में यूपी में कई जगहों पर लोगों की मौत हुई है। बिजनौर में भी 2 लोगों की मौत हुई है और 1 शख़्स घायल हुआ है। अग्रवाल जब बिजनौर पहुंचे तो वह बिजनौर के नज़दीकी इलाके़ नहटौर में रहने वाले ओमराज सैनी के घर गए लेकिन मारे गए मुसलिमों के घर जाने से उन्होंने इनकार कर दिया। सैनी के परिजनों का कहना है कि वह खेतों से घर लौट रहे थे तभी उन्हें गोली लगी और वह घायल हो गए। सैनी के परिजनों का कहना है कि वह किसी दंगाई भीड़ का हिस्सा नहीं थे।  

जब एक पत्रकार ने मंत्री से सवाल पूछा कि आपकी सरकार सबका साथ-सबका विकास की बात करती है, आप ओमराज सैनी के वहां गए लेकिन मारे गए मुसलिमों के वहां क्यों नहीं गए। इस पर पढ़िए मंत्री ने क्या कहा - ‘ऐसे लोगों के वहां मैं क्यों जाऊंगा, उपद्रवियों के वहां मैं क्यों जाऊंगा। जो लोग उपद्रव कर रहे हैं, जो इस प्रदेश को देश को आग में झुलसाना चाहते हैं, वे सामाजिक कैसे हो गए, जो लोग नहटौर को, बिजनौर जनपद को आग में झुलसाना चाहते हैं, ऐसे व्यक्ति के वहां मुझे क्यों जाना चाहिए।’ 

मंत्री का बयान आपने पढ़ा। आख़िर मंत्री ने कैसे देश के इतने बड़े समुदाय को उपद्रवी और असामाजिक बता दिया। मंत्री महोदय को इतना तो पता होना ही चाहिए कि दंगाई, उपद्रवी, समाज में अशांति फैलाने वाले लोग किसी समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते। कुछ लोगों की ग़लती के कारण आप पूरे समुदाय को दोषी कैसे ठहरा सकते हैं। और ग़लती भी तब कही जा सकती है, जब पुलिस अपनी जाँच पूरी कर लेगी और अदालत फ़ैसला सुना देगी। लेकिन यहां तो मंत्री महोदय ने पूरी दादागिरी से एक समुदाय को दंगाई बता दिया। 

कर्नाटक में क्यों रोका मुआवजा?

ऐसा ही एक मामला कर्नाटक में भी सामने आया है। कर्नाटक के मेंगलुरू में नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन में मुसलिम समुदाय के दो लोगों की मौत हो गई थी। राज्य की बीजेपी सरकार ने पहले दोनों परिवारों को 10-10 लाख रुपये देने की घोषणा की थी। लेकिन बाद में आश्चर्यजनक रूप से सरकार ने इस घोषणा से यू-टर्न ले लिया। कर्नाटक में बीजेपी के नेताओं, विधायक ने मुआवजा राशि देने का विरोध किया। बीजेपी के विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा कि फ़ायरिंग में मारे गए दोनों लोग देशद्रोही थे और ऐसे में उन्हें सरकार की ओर से मुआवजा राशि क्यों दी जानी चाहिए। 

अब आप बीजेपी सरकार के मंत्री और बीजेपी के विधायक के बयान को देखें तो आपके मन में सवाल उठेगा कि आख़िर इस तरह के बयान क्यों दिये गये। क्या ऐसा विभाजनकारी राजनीति को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। अगर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े प्रदेश के मंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति इस तरह की बात करेगा तो पार्टी के बाक़ी पदाधिकारी, कार्यकर्ता क्या करेंगे। इससे तो उनमें ऐसा करने दुस्साहस बढ़ेगा और वे भी खुलेआम ऐसा ही बयान देंगे। 

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उत्तर प्रदेश से लगातार ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि पुलिस नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हो रहे प्रदर्शनों में हुई हिंसा में कार्रवाई के नाम पर मुसलिम समुदाय के लोगों में घरों में घुसकर उनसे मारपीट कर रही है। पुलिस इस क़ानून का विरोध करने वालों को धमका रही है और उठा लेने तक की धमकी दे रही है। ऐसे में अगर पुलिस की कार्रवाई से लेकर सरकार तक की भाषा गुंडागर्दी वाली होगी, भेदभाव करने वाली होगी तो लोग कैसे सरकार पर भरोसा कर पाएंगे। 

होना तो यह चाहिए कि मंत्री अपने बयान को लेकर माफ़ी मांगें और कहें कि ऐसा बयान देकर उन्होंने निश्चित रूप से बहुत बड़ा ग़ुनाह किया है। लेकिन इसकी उम्मीद कम है क्योंकि जिस अंदाज में और जिस आत्मविश्वास के साथ उन्होंने यह बयान दिया है, उससे नहीं लगता कि यह जल्दीबाजी में या अचानक से दिया गया बयान है। लेकिन फिर भी उम्मीद की जा सकती है कि कपिल देव अग्रवाल मंत्री पद की गरिमा रखते हुए अपने इस बयान के लिए पूरे समुदाय से और आम लोगों से माफ़ी मांगेंगे। 

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पवन उप्रेती

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