loader

पराक्रम दिवस : बीजेपी के हिन्दुत्व में फिट बैठते हैं नेताजी?

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले नेताजी जन्मदिन को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान कर बीजेपी ने उन्हें अपनाने और उनकी विरासत पर कब्जा करने की कोशिश की है। पर सवाल यह है कि क्या नेताजी के सिद्धांत बीजेपी के उग्र हिन्दुत्व में कहीं फिट बैठते हैं? सवाल यह भी है कि क्या बीजेपी सावरकर और श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कृत्यों के लिए बंगाल और देश से माफ़ी माँगेगी?
प्रमोद मल्लिक

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाने का एलान कर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के इस ऑइकॉन और बंगाली अस्मिता के प्रतीक को हथियाने की एक और कोशिश की है। नेताजी की 125वीं जंयती पर साल भर चलने वाले विशेष कार्यक्रम का एलान भी इसी मुहिम का एक हिस्सा है। राज्य विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले बंगाल के गौरव पर कब्जा करने की बीजेपी की इस कोशिश से कई सवाल खड़े होते हैं।

यह तो पूछा ही जाना चाहिए कि क्या उग्र हिन्दुत्व की राजनीति करने वाली बीजेपी की नीतियाँ नेताजी की नीतियों से कहीं मेल खाती हैं? क्या  हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए काम कर रहे राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के दर्शन में सुभाष बाबू कहीं फिट बैठते हैं?

अंग्रेजी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ अपनी जान तक कुर्बान करने वाले नेताजी के संघर्ष और उसी समय अंग्रेजी राज के लिए सैनिक भर्ती करने का अभियान चलाने वाले दामोदर विनायक सावरकर में क्या समानता है?

पराक्रम दिवस

मंगलवार को केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर एलान किया, "नेताजी की अदम्य भावना और राष्ट्र के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा और सम्मान को याद रखने के लिए, भारत सरकार ने देशवासियों, विशेष रूप से युवाओं को प्रेरित करने के लिए उनके 23 जनवरी को आने वाले जन्मदिवस को हर साल पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया है। नेताजी ने विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए देशवासियों में देशभक्ति की भावना जगाई।"

सरकार इसके पहले ही यह कह चुकी है कि पूरे साल चलने वाला विशेष कार्यक्रम 23 जनवरी को शुरू किया जाएगा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता में करेंगे। इसके लिए कमेटी गठित की जा चुकी है, जिसकी अगुआई गृह मंत्री अमित शाह कर रह हैं।

BJP trying to usurp netaji before west bengal assembly election - Satya Hindi
इसके साथ ही भारतीय रेल ने हावड़ा- कालका मेल का नाम बदल कर 'नेताजी एक्सप्रेस' करने का फ़ैसला किया है। सुभाष चंद्र बोस जब वेश बदल कर भारत से निकल गए थे तो उन्होंने मौजूदा झारखंड में यह ट्रेन पकड़ी थी, जिससे उन्होंने पेशावर के लिए आगे की यात्रा की थी। 

सावरकर की राजनीति, सुभाष पर गौरव!

सावरकर और गोलवलकर पर फ़ख्र करने वाली बीजेपी को यह अच्छी तरह मालूम है कि देश की जनता इन दोनों लोग को स्वीकार नहीं करेगी। अपना कोई ऑइकॉन नहीं होने की स्थिति में दूसरी विचारधारा के प्रतीकों को हड़पने की कोशिश करना, उन्हें अपने से जोड़ना और उन्हें ज़बरन अपना बनाना बीजेपी की राजनीतिक मजबूरी है।

इसलिए जिन सरदार बल्लभ भाई पटेल ने आरएसएस को प्रतिबंधित कर दिया था, उन्हें ही अपना आदर्श पुरुष घोषित करना और उनकी विरासत पर कब्जा करना बीजेपी की रणनीति है।

ख़ास ख़बरें

नेताजी पेपर्स

इसी तरह बीजेपी ने नेताजी को अपनाने और उनकी विरासत पर कब्जा करने की रणनीति बना रखी है। इसके तहत पहले नेताजी से जुड़े गोपनीय काग़ज़ातों को बड़े ही जोश-खरोश से जारी किया गया और क्लासीफ़ाइड फ़ाइलों को नेताजी पेपर्स नाम से प्रकाशित कर वेबसाइट बना उस पर डाला गया।

इसके पीछे यह रणनीति भी थी कि जवाहरलाल नेहरू से जुड़े कुछ काग़ज़ात भी हाथ लग जाएंगे जिससे यह साबित किया जा सकेगा कि वे नेताजी के ख़िलाफ़ थे या उन्होंने सुभाष बाबू को राजनीति में वह स्थान नहीं दिया जिसके वे हकदार थे या यह कि नेताजी की विधवा व बेटी का ध्यान नहीं रखा गया या यह कि उनकी गुमशुदगी पर से रहस्य हटाने के लिए नेहरू ने कुछ नहीं किया। लेकिन ऐसा कोई काग़ज़ नहीं मिलने से बीजेपी का उत्साह ठंडा पड़ गया।

लंबी चुप्पी के बाद बीजेपी को नेताजी की याद उस समय आई जब पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 सामने आ गया।

BJP trying to usurp netaji before west bengal assembly election - Satya Hindi
विनायक दामोदर सावरकर

सावरकर और सुभाष

लेकिन, बीजेपी इस बात से इनकार नहीं कर सकती कि जिस समय सुभाष चंद्र बोस सैन्य संघर्ष के जरिए अंग्रेज़ी राज को उखाड़ फेंकने की रणनीति बना रहे थे, ठीक उसी समय सावरकर ब्रिटेन को युद्ध में हर तरह की मदद दिए जाने के पक्ष में थे। बिहार के भागलपुर में 1941 में हिंदू महासभा के 23वें अधिवेशन को संबोधित करते हुए सावरकर ने अंग्रेज शासकों के साथ सहयोग करने की नीति का एलान किया था। उन्होंने कहा था, "देश भर के हिंदू संगठनवादियों (अर्थात हिंदू महासभाइयों) को दूसरा सबसे महत्वपूर्ण और अति आवश्यक काम यह करना है कि हिंदुओं को हथियार बंद करने की योजना में अपनी पूरी ऊर्जा और कार्रवाइयों को लगा देना है। जो लड़ाई हमारी देश की सीमाओं तक आ पहुँची है वह एक ख़तरा भी है और एक मौक़ा भी।" इसके आगे सावरकर ने कहा था, 

"सैन्यीकरण आंदोलन को तेज़ किया जाए और हर गाँव-शहर में हिंदू महासभा की शाखाएँ हिंदुओं को थल सेना, वायु सेना और नौ सेना में और सैन्य सामान बनाने वाली फ़ैक्ट्रियों में भर्ती होने की प्रेरणा के काम में सक्रियता से जुड़ें।"


विनायक दामोदर सावरकर

सुभाष के ख़िलाफ़ सेना तैयार की सावरकर ने?

हिंदू महासभा के मदुरा अधिवेशन में सावरकर ने प्रतिनिधियों को बताया कि पिछले एक साल में हिंदू महासभा की कोशिशों से लगभग एक लाख हिंदुओं को अंग्रेजों की सशस्त्र सेनाओं में भर्ती कराने में वे सफ़ल हुए हैं।

जब आज़ाद हिन्द फ़ौज जापान की मदद से अंग्रेजी फ़ौज को हराते हुए पूर्वोत्तर में दाखिल हुई तो उसे रोकने के लिए अंग्रेजों ने उसी टुकड़ी को आगे किया, जिसके गठन में सावरकर ने अहम भूमिका निभाई थी।

अंग्रेजों के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी

लगभग इसी समय सुभाष बाबू के बंगाल में हिन्दू महासभा ने मुसलिम लीग के साथ मिल कर सरकार बनाई थी। हिन्दू महासभा के श्यामा प्रसाद मुखर्जी उस साझा सरकार में वित्त मंत्री थे। मुसलिम लीग के नेता ए. के. फ़जलुल हक़ थे। महत्वपूर्ण बात यह है कि फ़जलुल हक़ ने ही भारत के दो टुकड़े कर अलग पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव मुसलिम लीग की बैठक में पेश किया था।  

हिन्दू महासभा तो 'भारत छोड़ो' आन्दोलन के ख़िलाफ़ था ही, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने एक ख़त लिख कर अंग्रेज़ों से कहा कि कांग्रेस की अगुआई में चलने वाले इस आन्दोलन को सख़्ती से कुचला जाना चाहिए। मुखर्जी ने 26 जुलाई, 1942 को बंगाल के गवर्नर सर जॉन आर्थर हरबर्ट को लिखी चिट्ठी में कहा, ‘कांग्रेस द्वारा बड़े पैमाने पर छेड़े गए आन्दोलन के फलस्वरूप प्रांत में जो स्थिति उत्पन्न हो सकती है, उसकी ओर मैं ध्यान दिलाना चाहता हूं।'

BJP trying to usurp netaji before west bengal assembly election - Satya Hindi
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, संस्थापक, हिन्दू महासभा

मुसलिम लीग के साथ हिन्दू महासभा

इतना ही नहीं, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने बंगाल के गवर्नर को लिखी उस चिट्ठी में भारत छोड़ो आन्दोलन को सख़्ती से कुचलने की बात कही और इसके लिए कुछ ज़रूरी सुझाव भी दिए। उन्होंने इसी ख़त में लिखा :

"सवाल यह है कि बंगाल में भारत छोड़ो आन्दोलन को कैसे रोका जाए। प्रशासन को इस तरह काम करना चाहिए कि कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद यह आन्दोलन प्रांत में अपनी जड़ें न जमा सके। सभी मंत्री लोगों से यह कहें कि कांग्रेस ने जिस आज़ादी के लिए आन्दोलन शुरू किया है, वह लोगों को पहले से ही हासिल है।"


श्यामा प्रसाद मुखर्जी, संस्थापक, हिन्दू महासभा

सवाल यह है कि विनायक दामोदर सावरकर या श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जो कुछ किया, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का उससे कहीं भी सामंजस्य बैठता दिख रहा है? क्या नेताजी इन लोगों के बीच कहीं फिट बैठते हैं? यदि नहीं तो बीजेपी किस आधार पर नेताजी को अपना बताने और बनाने की मुहिम में लगी है?
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रमोद मल्लिक

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें