loader

द. बंगाल: टीएमसी के गढ़ में सेंध लगाएगी बीजेपी!

इस बार बीजेपी ने दक्षिण 24-परगना जिले की 31 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और दूसरे केंद्रीय नेता इस जिले में रैलियां और रोड शो कर चुके हैं। दूसरी ओर उत्तर 24-परगना जिले में भी टीएमसी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। 
प्रभाकर मणि तिवारी

पश्चिम बंगाल के दक्षिणी हिस्से यानी दक्षिण बंगाल को सत्तारुढ़ टीएमसी (टीएमसी) का गढ़ माना जाता है। राजधानी कोलकाता समेत उत्तर और दक्षिण 24-परगना के अलावा नदिया, पूर्व बर्दवान (16 सीटें), पश्चिम बर्दवान (9), हावड़ा (16), हुगली (18) और बीरभूम (11) जिले इसमें शामिल हैं। सत्ता हासिल करने का सपना देख रही बीजेपी उत्तर बंगाल में पहले ही टीएमसी को पटखनी दे चुकी है। 

इस बार उसने टीएमसी के इस अभेद्य किले में सेंधमारी के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। खासकर दोनों 24 परगना जिले हर चुनाव में टीएमसी की जीवन रेखा साबित होते रहे हैं।

ताज़ा ख़बरें

आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2016 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने उत्तर 24 परगना जिले की 33 में से 29 और दक्षिण 24 परगना जिले की सभी 31 सीटें जीती थीं। नदिया जिले में भी पार्टी की स्थिति काफी मजबूत रही है। लेकिन मतुआ, नमोशूद्र और दलितों के बिखर कर बीजेपी के खेमे में जाने की वजह से अब वहां उसका आधार कुछ कमजोर हुआ है। बीते लोकसभा चुनावों के नतीजों से भी यह बात साबित होती है। जिले में विधानसभा की 17 सीटें हैं।

वर्ष 2016 के चुनावों में इन तीनों जिलों में जहां बीजेपी का खाता तक नहीं खुला था वहीं बीते लोकसभा चुनावों के नतीजों के लिहाज से वह 21 विधानसभा इलाकों में पहले स्थान पर रही थी।

बंगाल चुनाव पर देखिए चर्चा- 

दक्षिण 24-परगना पर फ़ोकस

इस बार बीजेपी ने खासकर दक्षिण 24-परगना जिले की 31 सीटों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर पार्टी अध्यक्ष जे.पी.नड्डा और दूसरे केंद्रीय नेता इस जिले में रैलियां और रोड शो कर चुके हैं। इसी जिले में रोड शो के दौरान नड्डा के काफिले पर हमला भी हुआ था। अमित शाह ने पिछले दौरे में गंगासागर और काकद्वीप में रैलियां और रोड शो किए हैं। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी बीते सप्ताह जिले के गड़िया इलाके में रोड शो किया था।

tmc and bjp fight in south bengal - Satya Hindi

शोभन चटर्जी सक्रिय

बीजेपी के खेमे में इस बार कोलकाता नगर निगम के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी भी हैं। शोभन पहले दक्षिण 24-परगना जिला टीएमसी के अध्यक्ष रह चुके हैं। इसलिए जिले में उनका अपना एक ठोस आधार है। खासकर वे जिले के डायमंड हार्बर, फालता, सातगाछिया, बिष्णुपुर, महेशतला और दूसरे इलाकों में टीएमसी नेताओं में उभरे मतभेदों को बीजेपी के पक्ष में भुनाने में जुटे हैं। 

दूसरी ओर उत्तर 24-परगना जिले में भी टीएमसी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। टीएमसी से भगवा खेमे में आने वाले बैरकपुर के सांसद अर्जुन सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल राय को इस जिले में पार्टी की कमान सौंपी गई है। मूल रूप से जूट मिलों वाले इस इलाके में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों की आबादी ही ज्यादा है।

मतुआ समुदाय पर नज़र

बीजेपी इस जिले के बांग्लादेश से लगे इलाक़ों में भी अपनी पैठ मजबूत करने का प्रयास कर रही है। मतुआ समुदाय मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) का रहने वाला है। इस संप्रदाय की शुरुआत 1860 में अविभाजित बंगाल में हुई थी। मतुआ महासंघ की मूल भावना चतुर्वर्ण यानी ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र की व्यवस्था को खत्म करना है। इसकी शुरुआत समाज सुधारक हरिचंद्र ठाकुर ने की थी। उनका जन्म एक गरीब और अछूत नमोशूद्र परिवार में हुआ था। 

पश्चिम बंगाल से और ख़बरें

ये लोग देश के विभाजन के बाद धार्मिक शोषण से तंग आकर 1950 की शुरुआत में यहां आए थे। राज्य में उनकी आबादी दो करोड़ से भी ज्यादा है। इस समुदाय के कई लोगों को अब तक भारतीय नागरिकता नहीं मिली है। यही वजह है कि बीजेपी सीएए के तहत नागरिकता देने का दाना फेंक कर उनको अपने पाले में करने का प्रयास कर रही है। राज्य के नदिया और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिले की 70 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर मतुआ समुदाय की मजबूत पकड़ है।

बीते लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने हुगली, बर्दवान के कुछ इलाकों के साथ ही हावड़ा और बीरभूम में बेहतर प्रदर्शन किया था। अब दलबदलुओं के सहारे पार्टी ने खुद को वहां लगातार मजबूत किया है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रभाकर मणि तिवारी

अपनी राय बतायें

पश्चिम बंगाल से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें