अभूतपूर्व। पश्चिम बंगाल में इस साल की शुरुआत से ही जारी राजनीतिक घमासान के बारे में बताने के लिए यही एक शब्द सबसे सटीक है। यह घमासान विधानसभा चुनाव और अबकी बार दो सौ पार का नारा देने वाली बीजेपी के औंधे मुंह गिरने के बावजूद थमने का नाम नहीं ले रहा है। चुनावी नतीजों के तुरंत बाद राज्य में शुरू हुई राजनीतिक हिंसा की आग में भी फर्जी वीडियो और तसवीरों के जरिए घी डालने की कोशिशें हुईं।
उसके बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा करते रहे और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार ममता बनर्जी सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे। यहां तक तो फिर भी ठीक था।
लेकिन उन्होंने मंत्रिमंडल के शपथ लेने से पहले ही करीब सात साल पुराने एक मामले में टीएमसी के तीन नेताओं और एक पूर्व मंत्री के ख़िलाफ़ चार्जशीट दायर करने की सीबीआई की अपील को हरी झंडी दिखा दी।
वैसे, राज्यपाल की यह सक्रियता कोई पहली बार देखने को नहीं मिली है। करीब दो साल पहले शपथ ग्रहण के बाद से ही उन्होंने ममता बनर्जी सरकार के ख़िलाफ़ जिस तरह आक्रामक रवैया अपना रखा है उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी पीछे छोड़ दिया है।
कई बार तो राज्यपाल और बीजेपी नेताओं की भाषा आश्चर्यजनक रूप से एक जैसी लगती है। ताजा मामले में तृणमूल कांग्रेस के नेता एडवोकेट कल्याण बनर्जी ने राज्यपाल पर जिस तरह हमला किया है उसकी भी कोई मिसाल नहीं मिलती।
संविधान का कसाई बताया
कल्याण बनर्जी ने हुगली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पश्चिम बंगाल के राज्यपाल ने नारद मामले में सीबीआई को सीधे अनुमति दे दी जो कि संविधान के ख़िलाफ़ है। हम जानते हैं कि हम उनके ख़िलाफ़ आपराधिक मुकदमा दायर नहीं कर सकते।
राज्यपाल को संविधान का कसाई बताते हुए तृणमूल नेता ने पार्टी के समर्थकों से राज्य के तमाम थानों में उनके ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने को कहा। इससे पहले वे धनखड़ को खून चूसने वाला भी बता चुके हैं। बनर्जी ने कहा कि वे जानते हैं कि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और उन्हें भी संविधान और उसके प्रावधानों की जानकारी है।
जेल जाएंगे राज्यपाल: बनर्जी
बनर्जी ने कहा, “मैं जानता हूं कि जब तक वे राज्यपाल के पद पर हैं, उनके ख़िलाफ़ न तो कोई आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है और न ही उन्हें जेल भेजा जा सकता है। लेकिन जिस दिन वह पद से हट जाएंगे उनको उसी प्रेसीडेंसी जेल में जाना होगा जहां उन्होंने बंगाल के चार बड़े नेताओं को भेजा है।”
उन्होंने राज्यपाल जगदीप धनखड़ पर लोगों को हिंसा के लिए उकसाने और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया है।
धनखड़ की प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, राज्यपाल धनखड़ ने कल्याण बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा है कि वे इससे स्तब्ध हैं। एक वरिष्ठ सांसद, वकील और तृणमूल कांग्रेस के नेता के इस तरह के बयान ने उनको अचंभित कर दिया है।
राज्यपाल ने अपने ट्वीट में कहा है, “वे (कल्याण बनर्जी) टीएमसी के वरिष्ठ पदाधिकारी, लोकसभा के वरिष्ठ सांसद हैं और अधिवक्ता हैं। मैं उनके शब्दों से आहत हूं लेकिन इस मुद्दे को बंगाल की सुसंस्कृत जनता और मीडिया के विवेक पर छोड़ता हूं। उन्होंने अपने ट्वीट में ममता बनर्जी, लोकसभा सचिवालय, बार काउंसिल और एडिटर्स गिल्ड को भी टैग किया है।”
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