विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने सबसे पहले जिस फाइज़र की वैक्सीन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है उस वैक्सीन को नॉर्वे में लगवाने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़कर 29 हो गई है। मरने वाले सभी लोग नर्सिंग होम के मरीज थे और उन सभी की उम्र 75 साल से ज़्यादा की थी। रिपोर्टों में स्वास्थ्य अधिकारियों के हवाले से कहा गया है कि जाहिर तौर पर इन मौतों का संबंध वैक्सीन के साइड इफ़ेक्टस से है। हालाँकि उन्होंने साफ़ किया है कि इनमें से 13 मौतों की पड़ताल की जा चुकी है और 16 ऐसी मौतों का भी पता चला है और उसकी पड़ताल की जा रही है।
यूरोपीय देश नॉर्वे में अब तक 30 हज़ार से ज़्यादा लोगों को वैक्सीन लगाई गई है। जनवरी में ही वहाँ वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया है।
फाइज़र को अब तक सबसे ज़्यादा सुरक्षित, प्रभावी और विश्वसनीय वैक्सीनों में से एक माना जा रहा है। यह इसलिए कि ट्रायल में यह 95 फ़ीसदी प्रभावी रही है। सबसे पहले इसी टीके को इंग्लैंड में इस्तेमाल की मंजूरी मिली थी। 40 से ज़्यादा देशों में इसका टीकाकरण किया जा रहा है। और सबसे पहले इसी टीके को डब्ल्यूएचओ ने भी आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इसने कहा है कि फ़ाइजर वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित और प्रभावी है।
लेकिन नॉर्वे में वैक्सीन लगाने वालों की एक के बाद एक 29 लोगों की मौत से सवाल उठने लगे हैं। इस बीच एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, एक अन्य यूरोपीय देश बेल्जियम के एक शख्स की फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगवाने के बाद 5 दिन बाद मौत हो गई है।
नॉर्वे में मौत के इन मामलों की पुष्टि तो ख़ुद स्वास्थ्य अधिकारियों ने की है। एक हफ़्ते से कुछ पहले फाइज़र वैक्सीन लगवाने वाले 2 लोगों की मौत की ख़बर आई थी। शुक्रवार तक 23 लोगों की मौत की ख़बरें आई थीं। इन सभी की उम्र 80 से ज़्यादा थी।
लेकिन शनिवार को छह और लोगों की मौत हो गई। इसमें 75 साल के बुजुर्ग भी शामिल थे। इस तरह अब यह संख्या बढ़कर 29 हो गई है और वे सभी 75 वर्ष से ज़्यादा उम्र के थे। नॉर्वे मेडिसीन एजेंसी के मुख्य चिकित्सक सिगर्ड होर्टेमो ने शुक्रवार के बयान में कहा है कि वैक्सीन से बुखार और जी मचलने जैसे दुष्प्रभाव के कुछ घातक परिणाम कमजोर रोगियों में आए होंगे।
इन ख़बरों के बीच ही नार्वे की मेडिसिन एजेंसी के मेडिकल डायरेक्टर स्टेइनार मैडसेन ने 'एनआरके' न्यूज़ चैनल से कहा, 'हम इससे चिंतित नहीं हैं। यह बिल्कुल साफ़ है कि इन टीकों में बहुत कम जोखिम है। गंभीर रूप से बीमार मरीज़ इसके अपवाद हैं।' उन्होंने कहा, 'डॉक्टरों को अब सावधानीपूर्वक विचार करना चाहिए कि किसे टीका लगाया जाना चाहिए। जो लोग गंभीर बीमार हैं और अंतिम साँसें गिन रहे हैं, उन्हें व्यक्तिगत तौर पर जाँच करने के बाद ही टीका लगाया जाए।'
'यूरो न्यूज़' टीवी चैनल से इंटरव्यू में भी स्टेइनार मैडसेन ने यही दोहराया कि टीकाकरण अभियान जारी रहेगा लेकिन टीका लगाने से पहले वैसे लोगों की पूरी जाँच की जाएगी।
'न्यूयॉर्क पोस्ट' की एक रिपोर्ट के अनुसार एक प्रवक्ता ने भी बयान में कहा, 'नॉर्वे के अधिकारियों ने नर्सिंग होम के मरीज़ों के टीकाकरण को प्राथमिकता दी है, जिनमें से अधिकांश गंभीर रूप से बीमार हैं और बुजुर्ग भी। कुछ तो बिल्कुल आख़िरी साँसें गिन रहे हैं।' उन्होंने बयान में कहा है कि नॉर्वे की मेडिसिन एजेंसी पुष्टि करती है कि अब तक की घटनाओं की संख्या चिंताजनक नहीं है और उम्मीदों के अनुरूप है। इसके साथ ही बयान में यह भी कहा गया है कि हरेक मौत की पूरी पड़ताल की जाएगी और यह देखा जाएगा कि क्या मौत के मामले वैक्सीन से जुड़े हैं। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि नॉर्वे में सामान्य रूप से हर हफ़्ते नर्सिंग होम में क़रीब 400 लोगों की मौतें होती हैं।
बता दें कि नॉर्वे में अब तक क़रीब 57 हज़ार कोरोना संक्रमण के मामले आए हैं और कोरोना से जुड़ी क़रीब 500 मौतें हुई हैं।
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