तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान की राजधानी काबुल पर क़ब्ज़ा कर लिया और सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण भी हो गया, पर उसके ख़िलाफ़ बहुत बड़े विद्रोह और लंबी लड़ाई की तैयारी चल रही है।
और यह कोई और नहीं, बल्कि पहले रूसी सेना और उसके बाद तालिबान को छ्क्के छुड़ाने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे कर रहे हैं।
अहमद शाह मसूद को 'पंजशिर का शेर' कहा जाता था। उसी पंजशिर घाटी में अहमद शाह मसूद के बेटे अहम मसूद अपने पूरे लाव लश्कर के साथ तैयार हैं और तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। पूरे देश पर क़ब्ज़ा कर लेने वाले तालिबान के लड़ाके पंजशिर के पास भी नहीं फटक सके हैं।
अहमद मसूद के साथ हैं अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व उप राष्ट्रपति अमारुल्ला सालेह, बिस्मिल्ला ख़ान मुहम्मद और दूसरे स्थानीय नेता। इन सबने मिल कर नेशनल फ़्रंट ऑफ़ अफ़ग़ानिस्तान नामक मोर्चे का गठन किया है, जिसे सेकंड रेजिस्टेन्स भी कहते हैं।
अहमद मसूद की चुनौती
अहमद मसूद ने अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन पोस्ट' में एक लेख में लिखा है, मैं पंजशिर घाटी में हूं, अपने पिता के पदचिह्नों पर चलने को तैयार हूं और मेरे साथ हैं मुजाहिदीन लड़ाके जो एक बार फिर तालिबान से लड़ने को तैयार हैं।
अहमद मसूद ने इसके आगे लिखा है कि उनके पास 'बहुत बड़ी मात्रा में हथियार हैं, जो उन्होंने बहुत दिनों से जमा कर रखा है क्योंकि मुझे पता था कि एक दिन ऐसा होना ही है।'
उन्होंने इसके आगे कहा कि तालिबान सिर्फ अफ़ग़ानिस्तान के लिए समस्या नहीं है, उसके नियंत्रण में अफ़ग़ानिस्तान कट्टरपंथी इसलाम का केंद्र बनेगा और लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ़ एक बार फिर यहां से साजिशें रची जाएंगी।
सालेह ने खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित किया
दूसरी ओर, पूर्व उप राष्ट्रपति अमारुल्ला सालेह ने कहा है कि वे किसी सूरत पर तालिबान को स्वीकार नहीं करेंगे, कभी उसके साथ एक छत के नीचे नहीं रहेंगे।
उन्होंने ख़ुद को कार्यवााहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया था और कहा था कि तालिबान का ज़बरदस्त विरोध किया जाएगा।
अमीरुल्ला सालेह का इतना असर है कि पड़ोसी देश ताज़िकिस्तान की राजधानी दुशानबे स्थित अफ़ग़ान दूतावास में उनकी तसवीर लगी हुई है और उसके नीचे कार्यवाहक राष्ट्रपति लिखा हुआ है। यानी दुशानबे दूतावास में अभी भी सालेह के ही लोग हैं।
Clarity: As per d constitution of Afg, in absence, escape, resignation or death of the President the FVP becomes the caretaker President. I am currently inside my country & am the legitimate care taker President. Am reaching out to all leaders to secure their support & consensus.
— Amrullah Saleh (@AmrullahSaleh2) August 17, 2021
पंजशिर की चुनौती
पंजशिर को हमेशा ही विरोध और विद्रोह का केंद्र माना जाता रहा है। रूसी क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ यहां विद्रोह हुआ था और अमेरिकी मदद से यहाँ से रूसियों को वहाँ से खदेड़ दिया गया था।
रूसियों के ख़िलाफ़ सबसे ताक़तवर व्यक्ति बन कर उभरे थे अहमद शाह मसूद। वे मुजाहिदीन नेता थे।
आज एक बार फिर उसी पंजशिर से उसी नेता के लोग तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।
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