loader

पाकिस्तान: सुप्रीम कोर्ट ने इमरान को तलब कर लगाई डांट, क्या भारत में ऐसा संभव है?

क्या आप ऐसा सोच सकते हैं कि भारत की सुप्रीम कोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बुलाए और किसी मसले पर अच्छे-खासे ढंग से डांट लगा दे। भारत में ऐसा होना मुश्किल लगता है लेकिन पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान में बीते रोज़ ऐसा हुआ और एक मामले में वज़ीर-ए-आज़म इमरान खान को वहां की सुप्रीम कोर्ट ने न सिर्फ़ तलब किया बल्कि खरी-खोटी भी सुनाई। 

यहां जिक्र करना ज़रूरी होगा कि पाकिस्तान को ऐसे मुल्क़ के तौर पर पेश किया जाता है, जहां जम्हूरियत नहीं है और विशेषकर भारत में उसके बारे में दिन-रात ऐसा प्रचार किया जाता है कि वहां किसी तरह की न्याय या क़ानून व्यवस्था नहीं है और वह पूरी तरह बर्बाद हो चुका है।

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट ने इमरान ख़ान को दिसंबर, 2014 में पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल पर हुए आतंकी हमले के मामले में तलब किया था। इस हमले में कुल 147 लोग मारे गए थे जिनमें 132 बच्चे थे। यह हमला तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने किया था। 

मामले की सुनवाई कर रही बेंच में पाकिस्तान के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद, जस्टिस काज़ी मोहम्मद अमीन अहमद और जस्टिस इजाज़ुल अहसान शामिल थे। 

ताज़ा ख़बरें

टीटीपी से बातचीत क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने इमरान ख़ान से कड़ाई से पेश आते हुए पूछा कि उनकी हुक़ूमत स्कूल पर हुए हमले के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है और वह क्यों टीटीपी से बात कर रही है। 

सुनवाई के दौरान जस्टिस अमीन ने वज़ीर-ए-आज़म से पूछा, “हम कार्रवाई करने के बजाए टीटीपी को बातचीत की टेबल पर वापस ला रहे हैं। क्या हम एक बार फिर से सरेंडर करने जा रहे हैं।”
चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने कहा, “आप हुकूमत में हैं, आपने क्या किया है, आप दोषियों को बातचीत की टेबल पर ले आए।” जबकि जस्टिस अहसान ने कहा कि स्कूल पर हुए हमले में मारे गए बच्चों के माता-पिता का संतुष्ट होना ज़रूरी है। 
Army Public School peshawar attack in Pakistan case  - Satya Hindi
सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद।

शीर्ष अदालत ने इमरान ख़ान की हुक़ूमत से कहा कि वह हमले में मारे गए बच्चों के परिवारों का दर्द सुने और दो हफ़्ते में अपनी रिपोर्ट जमा करे। 

हुक़ूमत का फ़ैसला 

मंगलवार को हुई इमरान कैबिनेट की बैठक में इस बात का फ़ैसला लिया गया था कि कौमी हुक़ूमत टीटीपी के ऐसे धड़ों को जो आतंकवाद में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं और मुल्क़ के आईन और क़ानून की इज्जत करते हैं, उन्हें मौक़ा देगी जबकि निर्दोष लोगों की हत्या में शामिल आतंकवादियों से कड़ाई से निपटेगी। 

सुनवाई के दौरान ही चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने आइन की किताब को उठाया और इमरान से कहा कि यह मुल्क़ के हर शख़्स की हिफ़ाजत की गारंटी देती है।

इमरान की सफाई 

इमरान ने अपनी सफाई में कहा कि पाकिस्तान में आतंकवाद के कारण 80 हज़ार लोगों को जान गंवानी पड़ी है और 2014 के पेशावर हमले के बाद नेशनल एक्शन प्लान बनाया गया। उन्होंने कहा कि लोग आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में सेना के साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा, “स्कूल पर हुआ हमला बेहद दर्दनाक था। अदालत इस बारे में आदेश जारी करे और उनकी हुक़ूमत इस पर फ़ैसला लेगी।” 

इमरान ने कहा कि उनकी हुक़ूमत नुक़सान की भरपाई के लिए जो कर सकती थी, उसने किया है, लेकिन चीफ़ जस्टिस ने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को वापस पाना चाहते हैं न कि किसी तरह की नुक़सान की भरपाई। 
हमले में मारे गए बच्चों के माता-पिता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि स्कूल की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार अफ़सरों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की जाए।

ख़ुफ़िया एजेंसियों पर सवाल 

सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस ने अटार्नी जनरल खालिद जावीद खान से कहा, “जब हमारे लोगों की हिफ़ाजत की बात आती है तो ख़ुफ़िया एजेंसियां कहां ग़ायब हो जाती हैं। क्या आर्मी के पूर्व चीफ़ और अन्य जिम्मेदार लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी।”

जवाब में अटार्नी जनरल ने कहा कि जांच रिपोर्ट में आर्मी के पूर्व चीफ़ और आईएसआई के पूर्व डायरेक्टर जरनल के ख़िलाफ़ कुछ नहीं मिला। 

नाराज़ हुए चीफ़ जस्टिस 

इस पर चीफ़ जस्टिस नाराज़ हो गए और उन्होंने कहा, “हमारे देश में बहुत बड़ा ख़ुफ़िया सिस्टम है और इस पर अरबों रुपये ख़र्च होते हैं। लेकिन इसका नतीजा ज़ीरो है।” उन्होंने सख़्त लहजे में कहा कि अदालत स्कूलों में बच्चों को मरते हुए नहीं छोड़ सकती। 

जबकि जस्टिस अमीन ने कहा कि क्या यह हुक़ूमत का काम नहीं है कि वह असली अपराधियों को पकड़े। जस्टिस अहसान ने कहा कि ऐसा नहीं हो सकता कि आतंकवादियों को अंदर से सपोर्ट न मिला हो। 

दुनिया से और ख़बरें

सख़्त संदेश 

सुप्रीम कोर्ट ने इमरान ख़ान को सख़्त संदेश दिया है कि वह इस मामले में किसी तरह की ढील को बर्दाश्त नहीं करेगा। बेशक, किसी भी मुल्क़ में अगर क़ानून का राज क़ायम करना है तो न्यायिक इदारों को इसी तरह सख़्त होना पड़ेगा और तभी वहां की अवाम को इंसाफ़ मिलेगा और उनका भरोसा वहां के न्यायिक इदारों पर बढ़ेगा। 

छवि बदल रहे चीफ़ जस्टिस

चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद पाकिस्तान की छवि बदलने के काम में जुटे हैं। पिछले साल हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर हुए हमले को लेकर चीफ़ जस्टिस ने बेहद सख़्ती दिखाई थी और मंदिर को फिर से तामीर करने का आदेश दिया था। बीते दिनों गुलज़ार अहमद दिवाली के मौक़े पर आयोजित एक कार्यक्रम में इस मंदिर में पहुंचे और इसका उद्घाटन भी किया। उन्होंने कहा कि मुल्क़ के आईन के मुताबिक़, हिंदुओं को भी बाक़ी मज़हबों के लोगों के बराबर हक़ हासिल हैं। निश्चित रूप से इससे पाकिस्तान की छवि मुल्क़ से बाहर और विशेषकर पड़ोसी देशों के बीच में सुधर रही है। 

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें