जाँच अधिकारियों का कहना है कि उसके बाद कौंसल-जनरल को भी वहाँ से बाहर भेज दिया गया। ख़ाशोगी से वहाँ किसी तरह की कोई पूछताछ नहीं की गयी। दरअसल, हत्यारे तो वहाँ सिर्फ़ ख़ाशोगी की हत्या के मक़सद से ही आये थे।
स्टडी टेबल पर जमाल ख़ाशोगी को कोई इंजेक्शन लगाया गया। इसके बाद उनकी चीख़ें अचानक रुक गयीं। उन्हें क्या इंजेक्शन दिया गया, यह पता नहीं।
ख़ुफ़िया सूत्रों के मुताबिक़ इसके बाद सलाह मुहम्मद-अल-तुबैग़ी ने स्टडी टेबल पर पड़े ख़ाशोगी के शरीर को काटना शुरू कर दिया। उस समय तक ख़ाशोगी सम्भवत: जीवित ही थे। इस पूरे काम में सिर्फ़ सात मिनट लगे।
तुबैग़ी सऊदी अरब के जनरल सिक्योरिटी विभाग का फ़ोरेन्सिक प्रमुख है। ख़ाशोगी की हत्या के ठीक पहले जो 15 सऊदी दल एक प्राइवेट जेट से रहस्यमय तरीक़े से तुर्की पहुँचा था, उसमें तुबैग़ी भी शामिल था।
ऐसी क्रूरता! इयरफ़ोन लगाकर संगीत सुनते हुए काटा शरीर
जाँच अधिकारियों का कहना है कि हत्या कितनी क्रूरता से की गयी, इसका अन्दाज़ इसी से लग सकता है कि ख़ाशोगी के शरीर को काटते वक़्त तुबैग़ी ने इयरफ़ोन लगा रखे थे, और वह संगीत सुन रहा था। तुबैग़ी ने उस समय कमरे में मौजूद अपने बाक़ी साथियों से भी कहा, "जब भी मैं ऐसा काम करता हूँ, तो हमेशा संगीत सुनता हूँ। आप लोगों को भी ऐसा ही करना चाहिए।"
जाँच अधिकारियों का कहना है कि तुबैग़ी अपने साथ हड्डी काटने वाली कुल्हाड़ी लेकर आया था। तुबैग़ी के बारे में कहा जाता है कि कुछ साल पहले उसने सऊदी अरब में ऐसी मोबाइल क्लीनिक विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी, जिसमें ज़रूरत पड़ने पर किसी शव का पोस्टमार्टम सिर्फ़ सात मिनट में हो जाये। हज के दिनों में अकसर हज-यात्रियों की अचानक मौत के कारणों का पता लगाने के लिए ऐसी मोबाइल क्लीनिक के इस्तेमाल को लेकर लन्दन से प्रकाशित एक सऊदी अख़बार अशरक़-अल-वसत ने 2014 में तुबैग़ी का एक इंटरव्यू भी छापा था।
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