क्या है मामला?
अमेरिका स्थित ग्लोबल इनवायरनमेंट फ़ैसिलिटी (जीईएफ़) ने इस अभयारण्य को विकसित करने के लिए वित्तीय मदद देने में दिलचस्पी दिखाई। इस मुद्दे पर हुई ऑनलाइन बैठक में चीन ने इसका विरोध किया। जीईएफ़ की 2-3 जून को हुई इस ऑनलाइन बैठक में चीनी प्रतिनिधि ने जीव अभयारण्य की ज़मीन पर दावा कर सबको चौंका दिया।चीन का विरोध
भूटान का प्रतिनिधित्व विश्व बैंक में कार्यकारी निदेशक अपर्णा सुब्रमणि ने किया। वह 1 सितंबर, 2017 से ही भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और श्रीलंका क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। चीनी प्रतिनिधि ने कहा,“
‘साकतेंग अभयारण्य चीन-भूटान विवादित इलाक़े में बसा हुआ है, इसलिए चीन इस परियोजना का विरोध करता है और इसमें शामिल होने से इनकार करता है।’
चीनी प्रतिनिधि, ग्लोबल इनवायरनमेंट फ़ैसिलिटी
भूटान का पलटवार
इस पर भारत, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव और श्रीलंका क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले ने कहा कि इसके साथ ही भूटान की बातों को भी दर्ज किया जाना चाहिए। इस पर भूटान की आपत्तियाँ भी दर्ज कर ली गईं। इसमें कहा गया है,“
‘भूटान कौंसिल सदस्य चीन के दावों को पूरी तरह खारिज करता है। साकतेंग जीव अभयारण्य भूटान का अभिन्न अंग और उसका संप्रभु इलाक़ा है, चीन-भूटान बातचीत में कभी यह विवादित मुद्दा नहीं रहा है।’
भूटानी प्रतिनिधि, ग्लोबल इनवायरनमेंट फ़ैसिलिटी
चीनी विदेश मंत्रालय ने भारत का नाम लिए बग़ैर कहा कि यह भूटान-चीन का दोतरफा मामला है और इसमें कोई तीसरा पक्ष न बोले।
भारत का क्या कहना है?
भारत का विदेश मंत्रालय इस मामले पर निगाह रखे हुए है। चीन और भूटान के बीच सिर्फ दो जगह सीमा विवाद है। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर 1984 और 2016 में 24 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन 2017 में डोकलाम विवाद के बाद चीन-भूटान में कोई बातचीत नहीं हुई है।निशाने पर भारत?
चीन में भारत के पूर्व राजदूत और इंस्टीच्यूट ऑफ़ चाइनीज़ स्टडीज़ के निदेशक अशोक के. कंठ ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, ‘भूटान के ख़िलाफ़ चीन अपने इलाक़े का दावा बढाता जा रहा है। साकतेंग पर कभी कोई विवाद नहीं था। दरअसल यह दबाव बढ़ाने की चीन की रणनीति है।’“
‘चीन-भूटान के बीच सिर्फ दो जगहों पर सीमा विवाद है, उत्तर में पसमलुंग और जकरलुंग, पश्चिम में डोकलाम और उसके पास का कुछ हिस्सा। इन इलाक़ों में 2013 और 2015 में संयुक्त सर्वे भी किया गया था।’
वी. पी. हरण, भूटान में भारत के पूर्व राजदूत
क्या कहा था माओ ने?
बता दें कि आधुनिक चीन के निर्माता कहे जाने वाले और चीनी कम्युनिस्ट क्रांति के नेता माओ त्सेतुंग के एक भाषण का हवाला दिया जाता है जो उन्होंने कथित रूप से 1940 में दिया था। इस भाषण में माओ ने कहा था कि“
‘तिब्बत चीन के दाहिने हाथ की हथेली है, इसकी 5 अंगुलियाँ हैं- नेपाल, सिक्किम, भूटान, लद्दाख और नेफ़ा।’
चीनी नेता माओ त्सेतुंग के कथित भाषण का अंश
चीन का दावा
इसके बाद चीन सरकार ने 1954 में स्कूली बच्चों के लिए एक पाठ्य पुस्तक प्रकाशित की, जिसका नाम था, ‘आधुनिक चीन का संक्षिप्त इतिहास’। इस किताब में एक नक्शा भी छपा था, जिसमें नेपाल, सिक्किम, भूटान, लद्दाख और नेफ़ा को चीन में दिखाया गया था।इसके अलावा चीन के लेफ़्टीनेंट जनरल झांग गुओहुआ ने 1959 में बीजिंग (उस समय के पीकिंग) में एक आम सभा में कहा था कि ‘भूटानी, सिक्किमी, लद्दाखी और तिब्बती मिल कर एक परिवार का निर्माण करते हैं।’
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