अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ को अमेरिका से दी जानी वाली फंडिंग रोक दी है। ट्रंप ने कोरोना वायरस के पूरे मामले में डब्ल्यूएचओ के रवैये को लेकर यह क़दम उठाया है। फ़िलहाल डब्ल्यूएचओ को पैसे देने वालों में अमेरिका सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। 2019 में ही इसने 400 मिलियन डॉलर दिया था जो डब्ल्यूएचओ के कुल बजट का क़रीब 15 फ़ीसदी था।
ट्रंप शुरू से ही चीन और डब्ल्यूएचओ के ख़िलाफ़ ज़हर उगलते रहे हैं और कोरोना महामारी के लिए उन पर दोष मढ़ते रहे हैं। ट्रंप आरोप लगाते रहे हैं कि चीन ने कोरोना वायरस की जानकारी छुपाई और डब्ल्यूएचओ इसमें उसका साथ देता रहा। सात अप्रैल को ही ट्रंप ने ट्वीट कर डब्ल्यूएचओ को फंडिंग रोकने की धमकी दी थी। ट्रंप ने सीधे शब्दों में डब्ल्यूएचओ को चीन के प्रति पक्षपाती क़रार दिया था।
ट्रंप ने ट्वीट में लिखा था, 'डब्ल्यूएचओ का रवैया सचमुच अजीब है। किसी कारण से बड़े पैमाने पर वित्त पोषण संयुक्त राज्य अमेरिका करता है, फिर भी (यह) बहुत ज़्यादा चीन केंद्रित है। हम इसे अच्छी नज़र से देखेंगे। ख़ुशक़िस्मती है कि मैंने चीन के लिए हमारी सीमाओं को खुला रखने की उनकी सलाह को पहले ही अस्वीकार कर दिया था। उन्होंने हमसे इतनी दोषपूर्ण सिफ़ारिश क्यों की?'
हालाँकि इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एटोनियो गुटरेस ने कहा है कि यह वह समय नहीं है कि डब्ल्यूएचओ के स्रोतों में कटौती की जाए। एक बयान में उन्होंने कहा कि वायरस से लड़ने के लिए यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होने का समय है।
बता दें कि दुनिया भर में कोरोना वायरस का असर काफ़ी ज़्यादा है और अब तक 20 लाख से ज़्यादा लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। अब तक क़रीब 1 लाख 27 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं। सबसे ज़्यादा अमेरिका में ही 6 लाख से ज़्यादा लोग संक्रमित हैं और 26 हज़ार से ज़्यादा लोग मारे जा चुके हैं। विश्व में अब तक इतना बड़ा संकट कभी नहीं आया था।
बिल गेट्स ने ट्रंप की आलोचना की
इधर माइक्रोसॉफ़्ट के को-फाउंडर और अरबपति दानदाता बिल गेट्स ने डब्ल्यूएचओ की फंडिंग रोकने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के बीच में इस तरह फंडिंग को रोकना ठीक नहीं है। उन्होंने कहा है कि दुनिया को संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन की अभी कहीं ज़्यादा ज़रूरत है।
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