कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था को बदहाल होने से बचाने के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने 2 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक मदद पैकेज का एलान किया है।
आधुनिक इतिहास के इस सबसे बड़े पैकेज पर प्रशासन और विपक्षी सीनेटरों के बीच सहमति बन गई है। इस पैसे का इस्तेमाल उद्योग व व्यवसाय जगत, बेरोज़गारों व दूसरे ज़रूरतमंद लोगों और राज्यों की मदद करने में किया जाएगा।
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आधुनिक इतिहास के इस सबसे बड़े पैकेज पर प्रशासन और विपक्षी सीनेटरों के बीच सहमति बन गई है। इस पैसे का इस्तेमाल उद्योग व व्यवसाय जगत, बेरोज़गारों व दूसरे ज़रूरतमंद लोगों और राज्यों की मदद करने में किया जाएगा।
आपदा की घड़ी
वित्त मंत्री स्टीवन न्यूशिन ने पैकेज पर सहमति के बाद कहा, 'यह कोई मजेदार राजनीतिक मौका नहीं है। यह राष्ट्रीय आपदा की घड़ी है।'इस पैकेज के तहत हर बालिग नागरिक को 1,200 डॉलर मिलेगा जो सीधे उसके खाते में डाल दिया जाएगा और उसका बेरोज़गारी बीमा बढ़ा दिया जाएगा। छोटी कंपनियों को 367 अरब डॉलर की मदद दी जाएगी ताकि वे अपने कर्मचारियों का वेतन दे सकें और दूसरे भुगतान कर सकें।
राष्ट्रपति भवन ने 15 दिनों के सोशल डिस्टैसिंग का एलान किया है और उसके लिए दिशा निर्देश जारी कर रखा है। ट्रंप ने इस पैकेज की घोषणा के बाद कहा कि ईस्टर के पहले यह रोक हटा ली जाएगी। उस समय तक यह पैकेज भी लागू हो जाएगा।
उद्योगों को राहत
इस पैकेज से उन उद्योग-धंधों को सीधा फ़ायदा होगा जो बंद हो चुके हैं या होने की कगार पर हैं या अपने कर्मचारियों को वेतन नहीं दे पा रहे हैं। इसके साथ ही अस्पतालों को भी इससे पैसे मिलेंगे ताकि वे स्वास्थ्य कर्मियों की नियुक्ति कर सकें, कोरोना के उपचार और रोकथाम के लिए पूरी कोशिश कर सकें।इस पैकेज पर डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन सीनेटरों के बीच गहरे मतभेद थे। डेमोक्रेट्स ने दो बार इस पैकेज में अड़ंगा डाला। राष्ट्रपति भवन के संसदीय मामलों के निदेशक एरिक यूलैंड को यह ज़िम्मेदारी दी गई कि वे दोनों पक्षों से बात कर बीच का कोई रास्ता निकालें।
पैकेज क्यों?
इस पैकेज की ज़रूरत इसलिए पड़ी कि विश्लेषकों ने कहा कि अर्थव्यवस्था पर बुरा असर दिखना शुरू हो गया है। बीते एक हफ़्ते में ही लाखों अमेरिकी बेरोज़गार हो गए। अस्पतालों में ज़रूरी उपकरणों की कमी हो गई है और वेंटीलेटर तक की कमी महसूस की जाने लगी है। कई कारखाने बंद हो गए। इसके बाद ट्रंप प्रशासन ने पैकेज पर विचार करना शुरू कर दिया।पर्यवेक्षकों का कहना है कि इसी साल नवंबर में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है। प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और प्राइमरी हो रहे हैं। ऐसे में उद्योग धंधों के चौपट होने का बहुत ही बुरा असर ट्रंप के ख़ुद के चुनाव पर पड़ता।
इसके अलावा वह इस समय मतदाताओं के गुस्से का शिकार भी नहीं होना चाहते थे। इन्हीं बातों के मद्देनज़र ट्रंप प्रशासन ने आर्थिक पैकेज का एलान कर दिया।
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