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इसलामाबाद की लाल मसजिद में जुटे नमाज़ी। फ़ोटो क्रेडिट - @AsadHashim

कोरोना: पाक में जुमे की नमाज़ पर मसजिदों में भीड़, रमज़ान में लोगों को कैसे संभालेंगे इमरान?

पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान में सरकार और प्रशासन के लाख समझाने के बाद भी लोग मसजिदों में जुट रहे हैं। इमरान ख़ान सरकार ने अपील की है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए मसजिद में 5 से ज़्यादा लोग न जुटें। लेकिन शुक्रवार को राजधानी इसलामाबाद की लाल मसजिद से जो तसवीर सामने आई है, वह डराने वाली है। इस तसवीर में दिख रहा है कि जुमे की नमाज़ के दौरान मसजिद के अंदर बहुत बड़ी संख्या में नमाज़ी मौजूद हैं। 

सारी दुनिया सोशल डिस्टेंसिंग का मंत्र जप रही है लेकिन इस तसवीर में दिख रहा है कि लोग एक-दूसरे से सटकर बैठे हुए हैं। मुश्किल से एक या दो लोगों ने मास्क पहना हुआ है। शायद ये लोग इस बात से जान-बूझकर अनजान बन रहे हैं कि ये कितनी बड़ी मुसीबत को दावत दे रहे हैं। 
मसजिद से निकलकर ये लोग ऑटो, बसों से होते हुए, मोहल्ले में लोगों से मिलते हुए अपने घरों तक पहुंचेंगे। अगर मसजिद में बैठे लोगों में से एक भी व्यक्ति कोरोना वायरस से संक्रमित होगा तो वह इस वायरस को कहां से कहां पहुंचा देगा, इसके बारे में सोचकर ही डर लगता है।
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पुलिस, प्रशासन परेशान

इस वजह से सबसे बड़ी मुसीबत पुलिस, प्रशासन और सरकारी अधिकारियों को हो रही है क्योंकि लोग लॉकडाउन को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। लॉकडाउन के बावजूद देश भर की मसजिदों में नमाज़ियों के जुटने की ख़बरें सामने आ रही हैं। नमाज़ियों में से लगभग सभी लोग मास्क लगाना ज़रूरी नहीं समझते। यह हालात तब हैं जब देश में 7 हज़ार से ज़्यादा लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं और 135 लोगों की मौत हो चुकी है। 

न्यूज़ एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, मुल्तान में रहने वाले साबिर दुर्रानी कहते हैं कि वह और उनके साथ नमाज़ पढ़ने वाले लोग मास्क नहीं लगाते। वह कहते हैं कि उनके धर्मगुरु ने उन्हें बताया है कि यह वायरस उन्हें उस तरह संक्रमित नहीं कर सकता, जिस तरह यह पश्चिमी दुनिया के लोगों को करता है। 

दुर्रानी कहते हैं, ‘हम नमाज़ से पहले दिन में पांच बार हाथ और अपना चेहरा धोते हैं लेकिन काफ़िर ऐसा नहीं करते, इसलिए हमें चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। अल्लाह हमारे साथ है।’

पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के 60 फ़ीसदी से ज़्यादा मामले उन लोगों से जुड़े हैं जो मध्य-पूर्व के देशों के धार्मिक स्थलों की यात्रा करके लौटे हैं और तब्लीग़ी जमात के फ़ॉलोवर्स हैं। पाकिस्तान सरकार की सबसे बड़ी चिंता शुक्रवार को मसजिदों में होने वाली जुमे की नमाज़ तो है ही, अप्रैल के अंतिम हफ़्ते से शुरू हो रहे रमज़ान भी हैं। 

एक ओर इमरान सरकार मौलानाओं और आम जनता से मदद करने की अपील कर रही है, दूसरी ओर मौलाना और स्थानीय नेता वायरस को फैलने से रोकने के लिए लगाई गई बंदिशों का विरोध कर रहे हैं। 

रॉयटर्स के मुताबिक़, एक धार्मिक पार्टी के प्रमुख नेता मुफ़्ती कफ़ायतुल्लाह ने पिछले हफ़्ते एक जनाजे के दौरान इकट्ठा हुए लोगों से कहा कि हम अपनी जान दे देंगे लेकिन अपनी मसजिदों को वीरान नहीं होने देंगे।

पाकिस्तान के दूसरे सबसे बड़े शहर कराची में एक हफ़्ते में दो बार पुलिस पर हमला हो चुका है। क्योंकि पुलिस लोगों से लॉकडाउन का पालन करने की अपील कर रही है और अधिकतर लोग इसका विरोध कर रहे हैं। रॉयटर्स के मुताबिक़, पाकिस्तान में पिछले शुक्रवार को ‘मुसलमानों, मसजिद तुम्हें बुला रही है’, ट्विटर पर टॉप ट्रेंडिंग में रहा। 

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मौलानाओं का कहना है कि मसजिदों को बंद करने, शुक्रवार की नमाज़ को रोके जाने को पाकिस्तान के लोग स्वीकार नहीं कर सकते। मौलानाओं और धार्मिक नेताओं ने कोरोना से जूझ रहे पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। इमरान ख़ान के सामने रमज़ान के दौरान भी मुल्क़ के लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब समझा पाना एक बहुत बड़ी चुनौती है। 

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क़मर वहीद नक़वी

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