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आईएस ने जारी किया वीडियो, बग़दादी के जिंदा होने का दावा

खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट इन इराक़ एंड अल-शाम (आईएसआईएस) का सरगना अबू बकर अल बग़दादी क्या जिंदा है? यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ है क्योंकि आईएस की ओर से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें दिख रहे शख़्स के बग़दादी होने का दावा किया गया है। वीडियो में बग़दादी इस्लामिक स्टेट को हुए नुक़सान का बदला लेने की बात कहता दिख रहा है।

2014 के बाद से बग़दादी को कहीं नहीं देखा गया था। इस वीडियो में बग़दादी इस बात को स्वीकार करता है कि आईएस का मज़बूत गढ़ बग़ुज उसके हाथ से निकल गया है।

हालाँकि अभी यह साफ़ नहीं हो पाया है कि इस वीडियो को कब रिकॉर्ड किया गया है। यह वीडियो  इस्लामिक स्टेट के मीडिया नेटवर्क अल-फ़ुरक़ान की ओर से पोस्ट किया गया है। 

श्रीलंका हमलों पर की बात 

वीडियो में बग़दादी कह रहा है कि आतंकी संगठन आईएस के ख़ात्मे का बदला लेने के लिए ही श्रीलंका में ईस्टर संडे के मौक़े पर हमले किए गए। बग़दादी यह भी कहता है कि उसने उसने बुर्किना फासो और माली में आतंकवादियों के साथ वफ़ादार रहने की प्रतिज्ञा की है। वीडियो में बग़दादी कहता है कि बग़ुज की लड़ाई ख़त्म हो चुकी है लेकिन इस लड़ाई के बाद भी बहुत कुछ होगा। बता दें कि बग़ुज आईएस का आख़िरी किला था। 

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बग़दादी वीडियो में सूडान और अल्जीरिया में हुए विरोध प्रदर्शनों के बारे में भी बात करता है, वह यह दावा करता है कि जिहाद ही ‘अत्याचारियों’ का एकमात्र समाधान है। बता दें कि इन दोनों ही देशों ने इस महीने लंबे समय से राज कर रहे अपने शासकों को उखाड़ फ़ेंका है। वीडियो के अंत में बगदादी की तसवीर ग़ायब हो जाती है और उसकी एक ऑडियो रिकॉर्डिंग चलती है जिसमें वह श्रीलंका में हुए हमलों की चर्चा कर रहा है। 
ख़बरों के मुताबिक़, 2014 में आईएस ने इराक़ और सीरिया के अपने क़ब्जे वाले इलाक़ों में 'ख़िलाफ़त' यानी इस्लामिक राज्य बनाने की घोषणा की थी। संगठन ने अपने मुखिया बग़दादी को 'ख़लीफ़ा' घोषित किया था।

बग़दादी मूल रूप से इराक़ का रहने वाला है और उसका असली नाम इब्राहिम अव्वाद इब्राहिम अल-बदरी है। पिछले साल अगस्त में भी एक ऑडियो रिकार्डिंग में उसकी आवाज़ सुनने में आई थी। 18 मिनट के इस वीडियो में बग़दादी इस्लामिक स्टेट को हुए नुक़सान के बारे में बात करता है। 

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बता दें कि सीरिया में आतंकियों के ख़िलाफ़ लंबी लड़ाई चली थी। अमेरिका की नाटो सेना ने आतंकियों को हराया था। कुछ साल पहले तक सीरिया और इराक़ के बड़े हिस्से पर आईएस का क़ब्जा था और यह संगठन तब काफ़ी मज़बूत हुआ करता था। लेकिन कुछ साल पहले इराक़ का मोसुल आईएस के हाथ से निकल गया था और 2017 में सीरिया के रक़्क़ा से भी उन्हें खदेड़ दिया गया था। 

हाल ही में श्रीलंका में चर्च और होटलों में हुए सीरियल धमाकों की ज़िम्मेदारी भी आईएस ने ली थी। इस आतंकवादी संगठन ने अपनी पत्रिका अमक़ में यह दावा किया था कि कोलंबो और श्रीलंका के दूसरे शहरों में चर्चों और होटलों पर धमाके उसके संगठन से जुड़े लोगों ने किए हैं।

आख़िर है कहाँ बग़दादी?

अमेरिका ने बग़दादी पर 25 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित किया हुआ है। कई बार बग़दादी के मारे जाने की अफ़वाह भी उड़ी। इसका भी पता नहीं लग सका कि आख़िर वह कहाँ है? सितंबर 2014 में पहली बार बग़दादी के मारे जाने की ख़बर सामने आई थी। अप्रैल और अक्टूबर 2015 में भी बग़दादी के सीरिया में मारे जाने की ख़बर सामने आई थी। 2016 में सीरिया के रक्का में हवाई हमले में उसके मरने की ख़बर सामने आई थी। लेकिन इस वीडियो के सामने आने के बाद सवाल खड़ा हो गया है कि क्या बग़दादी जिंदा है और है तो वह आख़िर कहाँ है। सीरियन डेमोक्रेटिक फ़ोर्स ने भी हज़ारों आइएस लड़ाकों को मार गिराया और गिरफ़्तार भी किया लेकिन पूछताछ में बग़दादी के बारे में कुछ पता नहीं चला। 

पहले मौलवी था बग़दादी 

बग़दादी इराक़ के समारा इलाक़े की एक मसजिद में मौलवी था। बग़दादी का सपना उज़्बेकिस्तान, कज़ाकिस्तान, इराक़, आधा ईरान, सीरिया, तुर्कमेनिस्तान, जॉर्डन, लेबनान, फिलिस्तीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान पर कब्जा कर 'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ख़ुरासान' बनाने का है। बगदादी 2014 में पहली बार जनता के सामने आया था। 

हिंदुस्तान पर भी थी पैनी नज़र 

'इस्लामिक स्टेट ऑफ़ ख़ुरासान' बनाने के बग़दादी के सपने को पूरा करने के लिए इस आतंकी संगठन ने हिंदुस्तान में भी पैर जमाने की कोशिश की थी। बग़दादी के ‘खुरासान प्लान’ में हिंदुस्तान के कई इलाक़ों का नाम शामिल था। 2017 में जब मध्य प्रदेश के शाजापुर के पास एक पैसेंजर ट्रेन में आईएस के हिंदुस्तान मॉड्यूल ने पहला धमाका किया था तो सुरक्षा एजेंसियों ने देश में इस संगठन से जुड़े लोगों की धरपकड़ शुरू की थी और लखनऊ में इससे जुड़े आतंकी सैफ़ुल्लाह को मार गिराया था। सुरक्षा एजेंसियों ने मध्य प्रदेश और कानपुर से 7 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया था। 

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क़मर वहीद नक़वी

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