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जैश के मुख्यालय को क़ब्जे में लिया, पाकिस्तान की पंजाब सरकार का दावा 

पुलवामा पर हुए आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान पर जिस तरह लगातार दबाव बढ़ता जा रहा है, लगता है कि उसका असर पड़ रहा है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की सरकार ने दावा किया है कि उसने जैश-ए-मुहम्मद के बहावलपुर स्थित मुख्यालय पर क़ब्जा कर लिया है। 
रिपोर्टों के मुताबिक़, पंजाब सरकार ने दावा किया है कि उसने जैश-ए-मुहम्मद के तमाम मदरसों को अपने क़ब्जे में ले लिया है। जैश ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले की ज़िम्मेदारी ली है। इस हमले में सीआरपीएफ़ के 40 जवान मारे गए। इस हमले के बाद पहली बार पंजाब सरकार ने जैश के मुख्यालय पर क़ब्जा किया है। 
राज्य सरकार की यह कथित कार्रवाई पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक के बाद हुई है। इस बैठक में यह तय किया गया कि जमात-उद-दावा, फ़लाह-ए-इन्सानियत फ़ाउंडेशन और लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगा दिए जाएँ। लश्कर-ए-तैयबा पर आरोप लगता रहा है कि उसने ही मुंबई हमलों को अंजाम दिया है।  
Jaish-e-Muhammad head quarters under control, says punjab government - Satya Hindi
अज़हर मसूद, प्रमुख, जैश-ए-मुहम्मद
पाकिस्तानी अख़बार 'ट्रिब्यून' ने आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के एक प्रवक्ता के हवाले से एक ख़बर छापी। इसमें कहा गया है, 'पंजाब सरकार ने मदरसात-उल-साबिर, जामा-ए-मसजिद सुब्हान अल्लाह और जैश-ए-मुहम्मद के बहावलपुर स्थित मुख्यालय को अपने क़ब्जे में ले लिया है और कामकाज देखने के लिए एक प्रशासक नियुक्त कर दिया है।' 
अख़बार का कहना है कि जैश के मुख्यालय के मदरसे में तक़रीबन 600 छात्र तालीम पाते हैं और 70 शिक्षक दीन की तालीम देते हैं। पर भारत का कहना है कि जैश मुख्यालय में आतंकवादियों का ट्रेनिंग कैम्प है, जहाँ लोगों को हिंसक गतिविधियों, ख़ास कर आतंकी कार्रवाइयों का प्रशिक्षण दिया जाता है। 
पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस कार्रवाई के ज़रिए पाकिस्तान विश्व समुदाय को यह संकेत देना चाहता है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ है, उसका पुलवामा हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इसकी वजह पाकिस्तान पर बढ़ता हुआ अंतरराष्ट्रीय दबाव है। चीन समेत तमाम देशों ने इस आतंकवादी वारदात की निंदा की है और भारत के प्रति सहानुभूति प्रकट की है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस घटना की ज़बरदस्त निंदा की गई और हर मौके पर पाकिस्तान का साथ देने वाला उसका दोस्त चीन भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं कर सका। 
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान हालाँकि पूरी तरह सेना की लाइन मान कर चल रहे हैं और उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि भारत ने यदि हमला किया तो पाकिस्तान इसका जवाब देगा। पर ख़ान यह भी दिखाना चाहते हैं कि उनकी सरकार आतंकवाद के मुद्दे पर पहले की सरकारोें से हट कर है और यह 'नया पाकिस्तान' के नारे के अनुकूल है। 
इसके पीछे क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान ख़ान की मजबूरी यह है कि पाकिस्तान विश्व समुदाय में आतंकवाद के मुद्दे पर हाशिए पर धकेल दिया गया है और मौजूदा सरकार चाहती है कि किसी तरह हालात को बदतर होने से बचा लिया जाए।
तो क्या इससे भारत-पाकिस्तान रिश्ते बिल्कुल खराब होने से फिलहाल बच जाएँगे या यह संकेत जाएगा कि बदला हुआ पाकिस्तान पड़ोसी से दोस्ताना रिश्ता चाहता है? क्या भारत की तनी हुई भौहें सामान्य हो जाएँगी और इस्लामाबाद की और फ़जीहत नहीं होगी, इन सवालों का जवाब अगले कुछ दिनों में मिलेगा। यह इस पर भी निर्भर करेगा कि पाकिस्तान सरकार अज़हर मसूद के साथ क्या करती है। 
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क़मर वहीद नक़वी

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