पाकिस्तान के आंतरिक मामलों या गृह विभाग के मंत्री एजाज़ अहमद ने इस बात को स्वीकार किया है उनके देश ने प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा पर लाखों रुपये ख़र्च किये हैं। बता दें कि जमात-उद-दावा का मुखिया हाफ़िज़ सईद है और यह वही हाफ़िज़ सईद है जो भारत में 2008 में हुए मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है।
संयुक्त राष्ट्र हाफ़िज़ सईद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कर चुका है। भारत ने मुंबई हमले के संबंध में पाकिस्तान को कई बार डोजियर सौंपे लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी इस आतंकी सगरना के ख़िलाफ़ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, एजाज़ अहमद ने पाकिस्तानी टीवी चैनल हम न्यूज़ के साथ बातचीत में कहा, ‘हमने जमात-उद-दावा पर लाखों रुपये खर्च़ किये हैं। हमें ग़ैरक़ानूनी घोषित किये गये इस संगठन के सदस्यों को आतंकवाद से हटाकर उन्हें मुख्य धारा में लाने की आवश्यकता है।’
पिछले साल अक्टूबर में एक बार फिर पाकिस्तान का यह सच उजागर हुआ था कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ उसकी कोई भी कार्रवाई महज दिखावा है। तब पाकिस्तान के धार्मिक मामलों के मंत्री नूरुल हक़ क़ादरी ने हाफ़िज़ सईद के साथ एक सभा में मंच साझा किया था। पाकिस्तान के क़रीब 40 धार्मिक समूहों की संस्था 'दिफ़ा-ए-पाकिस्तान काउंसिल' के इस कार्यक्रम में इमरान के मंत्री पहुँचे थे। यह संस्था भी हाफ़िज़ सईद ने 2011 में बनायी थी। हैरानी तब हुई थी जब अपने भाषण में क़ादरी ने साफ़-साफ़ बताया था कि वह प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के निर्देश पर ही वहाँ आये हैं।
एएनआई के मुताबिक़, एजाज़ अहमद ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान पर भरोसा नहीं करता है। एजाज़ ने कहा, ‘हम कहते हैं कि भारत ने कश्मीर में कर्फ़्यू लगाया है और जम्मू-कश्मीर के लोगों को दवाएँ नहीं दी जा रही हैं। लोग हम पर भरोसा नहीं करते लेकिन वे उन पर (भारत) भरोसा कर लेते हैं। लोग सोचते हैं कि हम कोई गंभीर देश नहीं हैं।’
पाकिस्तान भयंकर आर्थिक बदहाली झेल रहा है और उस पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (एफ़एटीएफ़) की ब्लैक लिस्ट में डाले जाने का ख़तरा मंडरा रहा है।
एफ़एटीएफ़ की ब्लैक लिस्ट में आने के डर से पाकिस्तान ने इस साल 17 जुलाई को हाफ़िज़ सईद को गिरफ़्तार कर लिया था और उसे लाहौर की कोट लखपत जेल में भेज दिया था। तब पाकिस्तान ने कहा था कि उसने हाफ़िज़ सईद और उसके 12 अन्य साथियों पर आतंकवाद के लिए धन उपलब्ध कराने के मामले में केस दर्ज किया है और उसके पास इसके पुख़्ता सबूत हैं।
कुछ दिन पहले ही भारत सरकार ने जैश-ए-मुहम्मद के सरगना मसूद अज़हर, हाफ़िज़ सईद, लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर ज़की-उर-रहमान लखवी और दाऊद इब्राहिम को यूएपीए क़ानून के तहत आतंकवादी घोषित किया था।
'हिंदुस्तान टाइम्स' को खु़फ़िया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़, पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी संगठनों के ख़िलाफ़ की गई कार्रवाई जिनमें जमात-उद दावा पर भी की गई कार्रवाई शामिल है, यह पूरी तरह दिखावा है क्योंकि पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलीजेंस (आईएसआई) ने जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का इस्तेमाल 17 सितंबर को होने वाली संयुक्त राष्ट्र आम सभा की बैठक से पहले कश्मीर में अशांति फैलाने के लिए करने की योजना बनाई है। एक ताज़ा ख़ुफ़िया जानकारी के मुताबिक़, जैश-ए-मुहम्मद के मुखिया मौलाना मसूद अज़हर को आतंकवादी ऑपरेशन की योजना बनाने के लिए गुपचुप तरीक़े से रिहा किया जा चुका है।
8 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी कहा था कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई द्वारा समर्थित 230 आतंकवादी सीमा पर दिखाई दिये हैं।
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