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सर्वोच्च नेता मावलवी हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा।फ़ोटो साभार: ट्विटर/@rahmatullah103

जानिए, तालिबान के चार बड़े 'नेता' कौन हैं?

तालिबान अब अफ़ग़ानिस्तान की सत्ता में हैं। 20 साल बाद उनकी वापसी हुई है। आख़िर इन वर्षों के दौरान तालिबान को किसने न सिर्फ ज़िंदा रखा बल्कि मज़बूती से सक्रिए भी रखा? इन 20 वर्षों में कौन हैं वो तालिबान के सूत्रधार जिन्होंने अमेरिकी सेना को न सिर्फ़ चुनौती दी बल्कि उन्हें वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया?

आतंकी संगठनों से संबंध रखने वाले और आतंकवादी समूह का आरोप झेलते रहने वाले इस तालिबान के शीर्ष नेतृत्व में से कई नेताओं ने भगोड़े की ज़िंदगी बिताई है, कुछ या तो छुपे रहे या फिर जेल में रहे और कुछ अमेरिकी ड्रोन से बचते रहे। पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जे के बाद उनमें से कई अब अगले कुछ दिनों में अफ़ग़ानिस्तान की सरकार चला रहे होंगे। 

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उन नेताओं ने अब यह संकेत देने की कोशिश की है कि वे 1990 के दशक में अपने पहले के नेतृत्व की तुलना में अधिक सहिष्णु हैं, महिलाओं के साथ काम करने के इच्छुक हैं और वे लोगों से अपनी नौकरी पर वापस जाने का आग्रह करते हैं। लेकिन बड़ा सवाल अभी भी बरकरार है कि क्या उन्होंने वास्तव में एक चरमपंथी विचारधारा को त्याग दिया है? दो दशकों से वे युद्ध के माध्यम से आगे बढ़े हैं, हिंसा करते रहे हैं? आत्मघाती हमलों में शामिल रहे हैं। आतंकवादियों से संबंध रखे हैं। कहीं उनका ताज़ा रवैया वैश्विक स्वीकृति हासिल करने के लिए एक चाल तो नहीं है? यह सब समझने के लिए जानिए तालिबान के 4 बड़े नेताओं को...

सर्वोच्च नेता मावलवी हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा

अखुंदज़ादा एक इस्लामी क़ानून का विद्वान है। उसे आंदोलन के लिए एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक के रूप में बताया जाता रहा है। वह लंबे समय से आत्मघाती बमबारी का समर्थक रहा है। उसके बेटे ने आत्मघाती हमलावर बनने के लिए प्रशिक्षण लिया और 23 साल की उम्र में हेलमंद प्रांत में एक हमले में ख़ुद को उड़ा लिया। जाहिर है उसके बेटे के इस काम के बाद अखुंदज़ादा का क़द तालिबान में बढ़ा।

जब पहले के तालिबान का सर्वोच्च नेता मुल्ला अख्तर मुहम्मद मंसूर 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था तो अखुंदज़ादा की उम्मीदवारी सर्वोच्च नेता के तौर पर पक्की हुई।

कहा जाता है कि उसमें तालिबान के अलग-अलग गुटों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करने की काबिलियत है। कहा तो यह भी जाता है कि एक प्रगतिशील नेता के रूप में जाने जाने वाले अखुंदजादा ने तालिबान के ही राजनीतिक नेताओं को खारिज कर दिया और सैन्य विंग को अफगान शहरों पर हमले तेज करने की अनुमति दी।

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उपनेता सिराजुद्दीन हक्कानी

सिराजुद्दीन हक्कानी एक प्रसिद्ध मुजाहिदीन शख्सियत का बेटा है जो पाकिस्तान में एक बेस से लड़ाकों और धार्मिक स्कूलों के एक विशाल नेटवर्क की देखरेख करता है। 48 वर्षीय हक्कानी ने तालिबान के हालिया सैन्य कार्रवाइयों का नेतृत्व किया। उसके हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए जाना जाता है। 

हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में अमेरिका की उपस्थिति का सबसे कट्टर विरोधी था। यह अमेरिकियों को बंधक बनाने, आत्मघाती हमलों और हत्याओं को अंजाम देने के लिए ज़िम्मेदार रहा। हक्कानी और उसके नेटवर्क के अल क़ायदा से भी क़रीबी संबंध हैं। कहा जाता है कि इसने ओसामा बिन लादेन को 2001 में अमेरिकी आक्रमण के बाद तोरा बोरा में उसके मुख्यालय से भागने में मदद की थी। 

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राजनीतिक उप प्रमुख अब्दुल गनी बरादर

तालिबान के अभियान में शुरू में शामिल होने वालों में से एक अब्दुल गनी बरादर ने तालिबान के संस्थापक, मुल्ला मुहम्मद उमर के प्रमुख सहायक के रूप में कार्य किया। 2010 में अमेरिकी दबाव में पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तारी किए जाने तक बरादर ने आंदोलन के सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया। वह गुरिल्ला रणनीति में माहिर है।

पाकिस्तानी जेल में तीन साल और कुछ समय तक नज़रबंद रहने के बाद बरादर को 2019 में अमेरिकी दबाव में तब रिहा किया गया जब ट्रम्प प्रशासन 2020 में तालिबान से शांति समझौते पर बातचीत करना चाह रहा था और इसमें उसे मदद की दरकार थी।

सैन्य नेता मुल्ला मुहम्मद याकूब

मुल्ला उमर का बेटा मुल्ला मुहम्मद याकूब ने तालिबान के सैन्य बलों के साथ अपने काम के बाद नज़र में आया। रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि पदानुक्रम में नंबर 2 स्थान के लिए हक्कानी को चुनौती देने की संभावना नहीं है।

उसे अपने पिता की तुलना में कम हठधर्मी माना जाता है। कहा जाता है कि उसने तालिबान के सैन्य विंग के नेतृत्व के लिए एक प्रतिद्वंद्वी से मुक़ाबले में जीत हासिल की थी। 

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क़मर वहीद नक़वी

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