पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित एक गणेश मंदिर में तोड़फोड़ हुई है। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो मुल्क़ के वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान ने ट्वीट कर इस वाक़ये की कड़ी निंदा की और घटना में शामिल अभियुक्तों की गिरफ़्तारी और उनके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए। इमरान ने कहा कि उनकी सरकार इस मंदिर को फिर से बनवाएगी। यह वाक़या बुधवार का है।
तोड़फोड़ का यह वाकया रहीम यार ख़ान जिले के भोंग शहर में हुआ। रहीम यार ख़ान जिले में बड़ी संख्या में हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं। इसके अलावा हिंदू समुदाय के कुछ घरों में भी तोड़फोड़ की गई है। घटना के बाद से ही मौक़े पर पुलिस को तैनात कर दिया गया है और हालात क़ाबू में हैं।
वाकये का वीडियो सामने आने के बाद भारत ने गुरूवार को पाकिस्तान के राजदूत को समन किया था और कहा था कि पाकिस्तान की सरकार अपने मुल्क़ में अकलियतों की हिफ़ाजत के लिए क़दम उठाए।
अदालत ने लिया संज्ञान
पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने मंदिर पर हुए हमले का संज्ञान लिया है और इस मामले में सुनवाई होनी है। उनके सामने यह मामला पाकिस्तान के सांसद रमेश कुमार वंकवानी ने रखा था। वंकवानी पाकिस्तान हिंदू काउंसिल के संरक्षक भी हैं।
चीफ़ जस्टिस ने पंजाब के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख को निर्देश दिए थे कि वे इस वाक़ये से जुड़ी पूरी रिपोर्ट लेकर अदालत के सामने आएं।
वायरल हुए वीडियो में दिख रहा है कि सैकड़ों लोगों ने मंदिर के अंदर घुसकर वहां रखी मूर्तियों को तोड़ दिया। उनके हाथों में पत्थर भी थे। ‘द डॉन’ के मुताबिक़, इसलामिक मदरसे पर पेशाब करने के एक अभियुक्त 9 साल के हिंदू लड़के को स्थानीय अदालत द्वारा जमानत पर रिहा करने से ग़ुस्साए इन लोगों ने मंदिर में तोड़फोड़ की और कुछ घंटों के लिए सुक्कुर-मुल्तान मोटरवे को भी जाम कर दिया।
दिसंबर, 2020 में जब सैकड़ों की भीड़ ने एक हिंदू संत की समाधि और मंदिर पर आगजनी की थी, तब चीफ़ जस्टिस गुलज़ार अहमद ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। यह घटना उत्तर-पश्चिमी ख़ैबर पख्तूनख़्वा के करक जिले में हुई थी।
हमले की कई घटनाएं
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के धार्मिक स्थलों पर इससे पहले भी कई बार हमले हो चुके हैं। नवंबर, 2020 में कराची के ल्यारी इलाक़े में हिंदू बिरादरी के एक मंदिर को ईश निंदा का आरोप लगाते हुए तोड़ दिया गया था। उस दौरान 20 दिनों के अंदर यह तीसरी घटना हुई थी, जिसमें मंदिरों को निशाना बनाया गया। इससे पहले ऐसी घटनाएं बदीन और नागरपारकर में हुई थीं।
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