loader

पाकिस्तान : महक केशवानी क्यों बन गईं महक फ़ातिमा?

ननकाना साहिब की वारदात के बाद एक बार फिर पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों की स्थिति की ओर पूरी दुनिया का ध्यान गया है। दो हफ़्ते पहले ही पाकिस्तान के कराची की रहने वाली महक केशवानी के मुसलमान बनने और फिर एक मुसलमान युवक से निकाह करने की घटना से पाकिस्तान की काफी किरकिरी हुई थी।  
दिसंबर महीने के अंतिम हफ़्ते में सिंध प्रान्त के कराची शहर में रहने वाली 22 वर्षीय युवती महक केशवानी का अपहरण हो गया। डिफेन्स हाउसिंग अथॉिरिटी के घर से उसका अपहरण कर लिया गया।
दुनिया से और खबरें
बाद में घोटगी प्रांत में  इसलाम कबूल करते हुए उसका वीडियो सामने आया। इसमें वह यह कहते हुए दिखती है कि उसने अपनी मर्ज़ी से इसलाम धर्म कबूल किया है और उसका नया नाम महक फ़ातिमा है। 

लेकिन महक के घरवालों ने कहा था कि उसने दबाव में आकर इसलाम कबूल किया था और दबाव डाल कर ही उसका निकाह भी कराया गया था। 

इस घटना से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ होने वाली ज़्यादतियों की ओर लोगों का ध्यान एक बार फिर गया था। लेकिन पाकिस्तान में इस तरह की वारदात अतीत में भी कई बार हो चुकी है। 

'हज़ारों हिंदू लड़कियों को मुसलिम बनाया'

पाकिस्तान के अंग्रेज़ी अख़बार ‘डॉन’ ने इस पर कई रिपोर्टें की हैं। 'डॉन' ने उमरकोट ज़िले के सरहंदी श्राइन के गद्दी नशीं पीर मुहम्मद अयुब जन सरहंदी से बातचीत के आधार पर 17 अगस्त, 2017 में एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें सरहंदी दावा करते हैं कि उन्होंने हज़ारों हिंदू लड़कियों को मुसलिम में धर्मांतरण किया है। 
रिपोर्ट के अनुसार, वह कहते हैं, 'इसमें से अधिकतर लड़कियाँ अनुसूचित जाति भील, मेघवार और कोहली की थीं। इसमें जबरन धर्मांतरण के मामले भी हैं और मुसलिम लड़कों के साथ भाग कर आने वाली नाबालिग लड़कियों के मामले भी।'
डॉन ने यह रिपोर्ट तब छापी थी जब क्षेत्र में अपहरण का एक मामला हुआ था। रिपोर्ट के अनुसार परिजनों ने आरोप लगाया था कि प्रभावशाली मुसलिम समुदाय ने 16 साल की एक किशोरी का अपहरण कर जबरन धर्म परिवर्तन कराकर अगवा करने वाले बदमाश से शादी करायी थी। हालाँकि बाद में कोर्ट में किशोरी ने अपहरण किये जाने की ख़बरों को ख़ारिज़ कर दिया था। 
डॉन ने इसी रिपोर्ट में गद्दी नशीं के भाई पीर वलीवुल्लाह सरहंदी का बयान भी छापा है जिसमें वह कहते हैं, 'जब किसी लड़की को मुसलिम धर्म में परिवर्तन कराने के लिए क़ाज़ी के सामने लाया जाता है तो तुरंत ही उसे यह काम करना होता है। यदि इस प्रक्रिया में थोड़ी-सी भी देरी होती है तो क़ाज़ी को ही काफ़िर कहा जाने लगता है।'

उमरकोट में ही हर माह 25 धर्म परिवर्तन

एक स्थानीय मानवाधिक कार्यकर्ता के हवाले से डॉन ने रिपोर्ट की है कि सिंध के उमरकोट ज़िले में हर महीने जबरन धर्म परिवर्तन के क़रीब 25 मामले होते हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इलाक़ा बेहद पिछड़ा हुआ है और लोग अल्पसंख्यक अनुसूचित जाति के हैं और जबरन धर्म परिवर्तन की उनकी शिकायतों पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती। इ
स तरह पुलिस में शिकायतें कम ही दर्ज होती हैं। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मानवाधिकार कार्यकर्ता कहते हैं कि इसी कारण जबरन धर्म परिवर्तन की ख़बरें मीडिया में बहुत कम आ पाती हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी

अपनी राय बतायें

दुनिया से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें